रीवा।अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय में पिछले चार महीने से परीक्षा व्यवस्था प्रबंधन पटरी से उतर चुका है। पहले स्नातक द्वितीय व तृतीय वर्ष की परीक्षा में बेतहाशा नकल की शिकायत सामने आयी थी। अब स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा कराने में विश्वविद्यालय निरंतर लापरवाही कर रहा है। विश्वविद्यालय ने विगत 6 जुलाई को स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा का कार्यक्रम अधिसूचित किया, यह सूचना पत्र 8 जुलाई को विश्वविद्यालय की अधिकृत वेबसाइट में प्रदर्शित हुआ, जिसमें 15 जुलाई से परीक्षा आरम्भ होने की जानकारी दी गई। बताते हैं कि वेबसाइट में सूचना जारी होने के तीन बाद ही विश्वविद्यालय ने परीक्षा कार्यक्रम संशोधित कर 21 जुलाई से परीक्षा कराना तय किया परंतु इसकी सूचना न तो केंद्राध्यक्षों को दी और न ही अधिकृत वेबसाइट में 15 जुलाई की सुबह 11 बजे तक अपलोड की। इधर, विश्वविद्यालय की इस लापरवाही सुबह 7 बजे की पाली की परीक्षा में बैठने वाले छात्र केंद्र पहुंच गए। जब केंद्राध्यक्षों को छात्रों के पहुंचने की जानकारी मिली तो फिर उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से चर्चा कर छात्रों को लौटा दिया।
तीनों सूचना स्रोत पर वरिष्ठ अधिकारियों का नियंत्रण नहीं
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय जब परीक्षा या छात्रहित में अन्य कोई सूचना जारी करता है तो उस सूचना प्रसार का प्राथमिक स्रोत विश्वविद्यालय की अधिकृत वेबसाइट है, जिसमें सूचना आदेश के दिन ही उक्त सूचना वेबसाइट में अपलोड करने का नियम है। विश्वविद्यालय कुलसचिव कार्यालय से इस बाबत निर्देश भी सिस्टम इंचार्ज तक पहुंच जाते हैं परंतु प्रोफेसर बनने की चाह में मशगूल सिस्टम इंचार्ज अपना मूल कार्य ही नहीं करते, लिहाजा विश्वविद्यालय की वेबसाइट में अधिकांश सूचना या तो अपलोड ही नहीं तो और होती भी हैं तो देर से। इसके अलावा सूचना प्रसार का दूसरा स्रोत केंद्राध्यक्ष होते हैं, जिन्हें परीक्षा विभाग द्वारा सूचना भेजी जाती है परंतु ऐसा नहीं हुआ। ऐसे ही तीसरा सूचना स्रोत समाचार पत्र होते हैं। कई शराबी किस्म के कर्मचारी अधिकांश समय विश्वविद्यालय परिसर में ही दलाली करते घूमते हैं लेकिन समाचार पत्रों तक छात्रहित की सूचनाएं पहुंचाने में ऐसे कर्मचारियों को बेहद तकलीफ होती है। ऐसे कर्मचारियों पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी बेहद मेहरबान हैं।
नाम की रह गई परीक्षा समिति
गौरतलब है कि सत्र 2021-22 की यह परीक्षा नई शिक्षा नीति के तहत होनी है। अंकप्रणाली निर्धारण व प्रश्न पत्र निर्माण में देरी के चलते बीते 4 महीने से विश्वविद्यालय स्नातक प्रथम वर्ष की उक्त परीक्षा लंबित रही। तीन दफा विश्वविद्यालय परीक्षा कार्यक्रम संशोधित भी कर चुका है। बताते हैं कि वर्तमान में विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति नाम की है। परीक्षा कार्यक्रम जैसे सारे निर्णय बाबू स्तर के कर्मचारी अतिथि विद्वानों के निजी लाभ को देखते हुए कर लेते हैं, जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों की निगाह भी नहीं जाती।
वर्जन…
हमारे यहां परीक्षा संशोधन की सूचना तो आ गई है। लेकिन परीक्षा की अगली तिथि 21 जुलाई निर्धारित कर दी है। अब 20 जुलाई को सब मतगणना में रहेंगे तो परीक्षा की तैयारी कैसे कर पायेंगे। विश्वविद्यालय ने परीक्षा तिथि निर्धारण के संबंध में कुछ पूछा ही नहीं, मनमर्जी तय कर लेते हैं। जबकि प्राचार्यों की एक बैठक बुलाकर उसमें यह सब तय करना चाहिए।
डॉ पंकज श्रीवास्तव, एडी रीवा व अग्रणी प्राचार्य
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वेबसाइट में सूचनाओं का प्रसारण एमपी ऑनलाइन करता है। उनके यहंा अभी कुछ तकनीकी खराबी है, जिसके चलते फिलहाल इस तरह की समस्या है। बांकी केंद्राध्यक्षों और छात्रों को परीक्षा तिथि संशोधन की सूचना भेज दी गई है। मतगणना 20 को है, उसके पहले महाविद्यालयों को अपनी परीक्षा संबंधी तैयारी कर लेनी चाहिए। शासन व राजभवन के निर्देश हैं समय पर परीक्षा कराना और परिणाम जारी करना, इसलिए अब और आगे परीक्षा तिथि बढऩा सम्भव नहीं है।
डॉ राजकुमार आचार्य, कुलपति
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कार्यालयीन काम से मै बाहर था। केंद्राध्यक्षों का वाट्सअप में ग्रुप बना हुआ है, जिसमेें तिथि संशोधन की जानकारी दे दी गई थी। डॉ राय के यहां कुछ परेशानी थी, इसलिए वेबसाइट में सूचना अपलोड नहीं हो पाई है। बांकी वर्तमान में महाविद्यालय व विश्वविद्यालय के अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी चुनाव में संलग्न है, इसलिए भी कुछ दिक्कत है। जल्दी ही सुधार हो जायेगा।
डॉ सुरेंद्र ङ्क्षसह परिहार, कुलसचिव
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