A man earns a good amount of money even for the work that can be done easily in the Rewa Transport Office
विंध्य वाणी, रीवा। आरटीओ में जो काम एकदम आसान और सहजता के साथ हो सकते हैं उसमें भी आम आदमी एजेंट की प्रक्रिया से गुजरे बिना नहीं रह सकता है। इसमें बानगी तौर पर गाड़ी ट्रांसफर जैसी सामान्य प्रोसेस को ही लिया जा सकता है। इसमें बेची हुई गाड़ी का ट्रांसफर यदि विक्रेता से क्रेता के नाम जाना हो तो नियम यही कहता है कि टैक्स पेड, फीस का भुगतान और दस्तावेज अपलोड के साथ यह काम मुश्किल से 5 से 10 मिनटों के अंदर ही परिवहन कार्यालय से हो सकता है, लेकिन इस वर्क के लिए आदमी कई बारी महीनों तक चक्कर काटता है।
इसका कारण यह होता है कि सीधे यदि कोई व्यक्ति टैक्स पेड, फीस जमा कराकर और दस्तावेज ऑनलाइन प्रक्रिया में जमा भी कर देता है तो परिवहन कार्यालय की विंडों में जाने पर कोई न कोई कमी बता दी जाएगी। कागज अप्रूवल के लिए ले जाकर देने कहा जाएगा, इसमें सभी तरह के कागज पूरे नहीं दिख रहे हैं, एक बार फिर से ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाकर आइए या फिर रजिस्ट्रेशन की दूसरी कॉपी नहीं चलेगी, FIR कराकर आओ जैसे कई कारण बताकर भटका दिया जाता है। इस तरह कई बारी लोगों को भटका दिया जाता है। जो काम मामूली प्रोसेस में संभव है उसके लिए आदमी अच्छी-खासी परेशानी झेलता रहता है। और यह कोई और नहीं जन सेवा के लिए बैठे सरकारी कर्मचारी ही करते हैं।
सहयोग न करने से जाते हैं एजेंटों के पास
आरटीओ में शुक्रवार को गाड़ी ट्रांसफर के सिलसिले में पहुंचे सरकारी डॉक्टर कहते हैं कि आरटीओ के कर्मचारी यदि आने वाले लोगों को सहयोग करें, सही मार्गदर्शन करें, तो सभी प्रक्रिया सरलता से हो सकती है लेकिन एजेंटों से सेटिंग के चलते कर्मचारी ऐसा नहीं करते हैं। होता यही है कि सीधे वर्क कराने में विंडो से बार-बार वापस लौटा दिया जाता है जिससे थक-हारकर, परेशान होकर आदमी एजेंट के माध्यम से ही काम कराना पसंद करता है। जो व्यक्ति सीधे काम कराना चाहता है वह संघर्ष के साथ चक्कर काटता रहता है। इसी प्रकार नगर निगम से आए एक कर्मचाररी ने बताया कि उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था लेकिन नहीं बन रहा था, सीएम हेल्पलाइन शिकायत भी की गई लेकिन उसका भी असर आरटीओ के कर्मचारियों पर नहीं पड़ा। महीनों भटकने के बाद भी अभी लाइसेंस नहीं बना। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सरकारी कर्मचारी सरकारी विभाग के कर्मचारियों को ही भटका रहे हैं तो आम जन के साथ कैसा व्यवहार करते होंगे।
ऐसे हो जाता है 5 मिनट में
यही काम यदि एजेंट के माध्यम से किया जाता है तो एजेंट टैक्स पेड, सरकारी फीस के साथ विक्रेता को बुलाकर विंडो पर केवल रजिस्टर में एक हस्ताक्षर, एक अंगूठा लगाकर और फॉर्म में सिग्नेचर कर केवल 5 मिनट में करा देता है। इसका कारण यह होता है कि एजेंट पहले ही विंडो में बैठे बाबू से पूरी बात कर दस्तावेजों को दिखा देता है। एजेंट से परिवहन विभाग का क्लर्क तुरंत सहमत हो जाता है, क्योंकि इसमें दोनों का लाभ है। इस तरह की ट्रांसफर प्रक्रिया में किसी तरह से समय नहीं लगता है।