In the era of Whatsapp and Telegram, more than 10 thousand people sent messages through post cards in Rewa
रीवा। वन विभाग में लागू किये जा रहे निजीकरण के विरोध में प्रदेश के वन मजदूर, स्थाई कर्मी दैनिक वेतन, भोगी वन, समिति के चौकीदार एवं वन समिति श्रमिकों ने प्रदेश के 55 जिले से 4 दिन में मुख्य सचिव के नाम 10 हजार पोस्टकार्ड, पोस्टकार्ड आंदोलन के माध्यम से भेज दिए है।
निजीकरण के विरोध में कर्मचारी मंच के नेतृत्व में आज रीवा सहित प्रदेश के समस्त 55 जिलों में पोस्टकार्ड आंदोलन चौथे दिन भी जारी रहा। वन समिति के मजदूर सोमवार को मुख्य सचिव के नाम खून से पोस्टकार्ड लिखकर निजीकरण का विरोध दर्ज कराएंगे। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि मध्य प्रदेश वन मजदूरों एवं वन कर्मचारियों की कड़ी मेहनत के कारण बना टाइगर स्टेट, चीता स्टेट, घड़ियाल स्टेट, तेंदुआ स्टेट का दर्जा निजीकरण लागू होने के बाद जल्दी ही छिन जाएगा।
जो वन कर्मचारी एवंवन श्रमिकों के कार्य के कारण मिला है मध्य प्रदेश शासन वन विभाग ने 27 मार्च 2024 को आदेश जारी करके वन विभाग के सभी कार्य ठेका के माध्यम (निजीकरण) से करने का पर्यावरण विरोधी निर्णय लिया है। यदि वन विभाग में निजीकरण लागू होगा तो वन मजदूरसमिति श्रमिकों दैनिक वेतन श्रमिकों का रोजगार छिन जाएगा। वन ग्राम वन समिति के श्रमिक पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे। ठेका प्रथा से वन विभाग का मूल स्वरूप नष्ट हो जाएगा क्योंकि जिस विभाग में निजीकरण लागू है उनके परिणाम सरकार के सामने है।
निजीकरण के कार्य की कोई गारंटी नहीं होती है। वन विभाग जो कार्य करता है। वन विभाग काम की सरकार को गारंटी देता है। वन विभाग के श्रमिकों कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि यदि वन विभाग में निजीकरण लागू करने का आदेश अति शीघ्र वापस नहीं लिया गया तो पोस्टकार्ड आंदोलन और तेज किया जाएगा। मुख्य सचिव को लाखों पोस्टकार्ड भेजने के बाद आचार संहिता समाप्त होने पर मुख्यमंत्री निवास में धरना दिया जाएगा।