रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के 63 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी 6 वर्ष बाद भी स्थायी कर्मी घोषित नहीं हो सके। हालांकि अब इन दैवेभो कर्मचारियों के स्थाईकर्मी घोषित होने की उम्मीद जगी है। उच्च शिक्षा विभाग ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि स्थाईकर्मी घोषित करने की प्रक्रिया विश्वविद्यालय के अधीन है, इसमें विभाग स्तर की कोई कार्यवाही इस प्रकरण में अपेक्षित नहीं है। सम्भवत: विभाग के उक्त पत्र से अब विश्वविद्यालय प्रशासन दैवेभो कर्मचारियों के प्रति सजग होगा। बता दें कि विगत सप्ताह मप्र विश्वविद्यालयीन पेंशनर्स, कर्मचारी, अधिकारी एवं शिक्षक संयुक्त संघर्ष समिति ने 15 मई से चरणबद्ध आंदोलन का अल्टीमेटम सरकार को दिया है। वर्षों से लंबित कई मांगों की पूर्ति न होने पर समिति ने आंदोलन का रुख अख्तियार करने के लिए कहा है। इस क्रम में गत 12 मई को उच्च शिक्षा के अवर सचिव का पत्र जारी हुआ है, जिसमें बिंदुवार समिति की मांगों पर कार्यवाही का उल्लेख है।
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nअभी तक नहीं मिला लाभ
nउल्लेखनीय है कि विगत 7 अक्टूबर 2016 को मप्र शासन ने सभी दैवेभो कर्मियों को स्थायी कर्मी घोषित करने का आदेश दिया है। उक्त दिनांक को शासन के पत्र क्रमांक एफ 5-1/2013/1/3 के बिंदु क्रमांक 1.8 में उल्लेख है कि मई 2007 के बाद भी सक्षम स्वीकृति से जो दैवेभो कर्मचारी रखे गए हैं, उन्हें स्थायी कर्मी योजना का लाभ मिलेगा। इसके बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा अल्प आय श्रेणी के दैवेभो कर्मचारियों को लाभ नहीं दिया गया।
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nचरणबद्ध कार्य बहिष्कार में हुआ आंशिक संशोधन
nइधर, 15 मई से होने वाले आंदोलन कार्यक्रम में आंशिक संशोधन हुआ है। मप्र विश्वविद्यालयीन पेंशनर्स, कर्मचारी, अधिकारी एवं शिक्षक संयुक्त संघर्ष समिति ने इसकी जानकारी शासन को दे दी है। न्यू कर्मचारी संगठन की ओर से भी इस बाबत विश्वविद्यालय कुलसचिव को पत्र सौंपा गया है। इस पत्र के अनुसार संयुक्त समिति के समर्थन में रीवा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा भी आंदोलन किया जायेगा। तय कार्यक्रम के तहत 15 व 16 मई को काली पट्टी बांधकर विरोध जताया जायेगा। फिर 17 मई से 25 मई तक प्रतिदिन एक-एक घंटे बढ़ते क्रम में कार्य का बहिष्कार किया जायेगा। तत्पश्चात 26 मई को 5 घंटे, 29 मई से 1 जून तक 6 घंटे और फिर 2 जून से पूर्णरुपेण कार्य बहिष्कार की चेतावनी समिति ने दी है।
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