Even after the murder of ASI, those responsible are silent, unable to reach these sand mafia: सीधी/शहडोल। शहडोल में रेत माफियाओं के द्वारा खुलेआम पुलिस सब इंस्पेक्टर को कुचलकर हत्या करने के बाद भी शहडोल जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन प्रमुख रेत माफिया तक नहीं पहुंचा है। जबकि सीधी, सिंगरौली का कुख्यात रत माफिया इस समय शहडोल में रेत के अवैध व्यापार में सक्रिय है। मीडिया द्वारा विगत कई माहों से शासन-प्रशासन को इस बात से अवगत कराया जाता रहा है कि शहडोल जिले में रेत का अवैध व्यापार रेत माफियाओं के द्वारा खुलेआम किया जा रहा है। इसके बाद भी जिला प्रशासन इस मामले को संज्ञान में नहीं लिया।
अब जबकि एक पुलिस अधिकारी की रेत माफियाओं के द्वारा हत्या कर दी गई उसके बाद पूरा प्रशासन मामले में पर्दा डालने में लगा है और असली रेत माफियाओं तक नहीं पहुंच पा रहा है। शहडोल जिले में रेत माफियाओं द्वारा मचाए जा रहे तांडव की गूंज प्रदेश स्तर पर पहुंच चुकी है। अभी पुलिस विभाग के एएसआई को ट्रैक्टर से कुचलकर मारने की घटना होने के बाद मुख्यमंत्री को रेत माफिया के विरुद्ध सख्त अभियान चलाने का फरमान जारी करना पड़ा। हैरत की बात तो यह है कि जिस जिले में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं वहां के जिम्मेदार अधिकारी भी बड़े रेत माफियाओं को अभयदान देने में जुटे हुए हैं। कार्यवाही के नाम पर छोटे मोहरों को निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन बड़े माफिया अब भी परदे के पीछे से पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
घटना के बाद से शहडोल प्रशासन द्वारा रेत के अवैध कारोबार को रोंकने के नाम पर महज औपचारिकताएं ही निभा रहा है। शहडोल जिले में रोजाना रेत का करोड़ों का अवैध रेत कारोबार होता है। जिसमें एक बड़ा हिस्सा इसको प्रश्रय देने वाले अधिकारियों के पास पहुंचता है। रेत के इस काले खेल में बड़े अधिकारियों के साथ ही कई बड़े नेताओं का संरक्षण भी शामिल है। इसी वजह से बड़े रेत माफिया उनके कारोबार में आड़े आने वाले अधिकारियों को सीधे रास्ते से हटाने में भी कोई गुरेज नहीं करते। उनको मालूम है कि उनके गुर्गे इस काम को बाखूबी अंजाम तक पहुंचा देंगे। इस पूरे खेल के पीछे रेत माफियाओं पर शुरू से अंकुश न लगने की बाते सामने आ रही है। रेत माफियाओं ने बीते माहों में रेत ठेका लेने वाली सहकार ग्लोबल के कर्मचारियों को भी निशाना बनाया था।
जिससे पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया, जिसकी परिणिति यह रही है कि भस्मासुर बन चुके रेत माफिया अब वर्दीधारियों सहित खनिज विभाग के कर्मचारियों को भी निशाना बनाने से नहीं चूक रहे हैं। जिले भर में रेत माफिया आये दिन कहीं न कहीं, किसी न किसी को निशाना बना रहे हैं, प्रशासन और पुलिस के ढीले रवैए की वजह से अभी तक रेत ठेका कंपनी को भी हर दिन चोट पहुंचाई जा रही है। जिले के ब्यौहारी क्षेत्र में निशांत, डेविड, रणवीर की तिकड़ी ने पूरा माहौल खराब कर रखा है, हालाकि चर्चा है कि निशांत, डेविड कथित कंपनी में पार्टनर है।
बावजूद इसके मोटा मुनाफा कमाने के फेर में खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। निशांत तो प्रतिष्ठित कंपनी में होने का फायदा उठा रहा है और ठेका कंपनी में पार्टनर बनकर मैनेजमेंट का काम देख रहा है। वर्दीधारी की मौत के बावजूद प्रशासन और पुलिस पुराने पुराने रेत माफियाओं की कुण्डली खंगालने की जगह प्यादों पर कार्यवाही कर खुद की पीठ थप-थपा रही है। ब्यौहारी बुड़बा क्षेत्र में डेविड, निशांत और रणबीर की तूती बोलती है। सत्ताधारी और विपक्ष के कुछ नेताओं को अपने साथ लेकर लालसाहब बड़ी कंपनी का हवाला देते हुए ठेका कंपनी की आड़ में खुलकर रेत का अवैध कारोबार कर रहे हैं। डेविड नामक व्यक्ति ने ठेका कंपनी की आड़ में गोविंदगढ़ के आस-पास रेत का ठीहा बनाया है।
चर्चा है कि ब्यौहारी क्षेत्र से निकलने वाले अवैध रेत से लदे वाहन यहां खाली होते हैं। इसके बाद यहां से उत्तरप्रदेश की मण्डियों में रेत पहुंचाई जाती है। अवैध रेत के कारोबार के चलते दो शासकीय कर्मचारियों की हत्या हो चुकी है। अगर ऐसा ही चलता रहा तोए आने वाले दिनों में सुनहरी रेत के अवैध कारोबार में कितनी हत्याएं होगी। यह कह पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
सीधी, सिंगरौली में अवैध रेत का उत्खनन करने वाला रेत माफिया डेविड इस समय शहडोल में अवैध उत्खनन कर खुलेआम रेत का व्यापार कर रहा है। इसके बाद भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन रेत माफिया पर कोई लगाम नहीं लगा पा रही है। शहडोल जिले में एएसआई महेंद्र सिंह बागरी की मौत के बाद रेत माफियाओं पर जिस स्तर की कार्यवाही होनी चाहिए थी, वह दिखाई नहीं दे रही है। प्रतिष्ठित टेलीकॉम कंपनी में काम करने वाले निशांत ने ठेका कंपनी में पार्टनर सिप कर रखी हैं। दूसरी ओर डेविड ट्रांसपोर्टर की आड़ में पुराना खेल-खेल रहा है।
जिस कंपनी को रेत उत्खनन का ठेका मिला हुआ है। उसके कर्मचारियों का नाम उछाल कर पुलिस-प्रशासन की कार्यवाही की दिशा बदली जा रही है। बीते वर्षो में वंशिका गु्रप के पास जब जिले की खदाने थी, तब भी डेविड का नाम सामने आता था, वंशिका में केवल डेविड ट्रांसपोर्टर तक समिति था, हालाकि इस दौरान भी उसने लाभ उठाकर जमकर चांदी कूटी। रेत का अवैध कारोबार बंद होना तो दूर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। रेत के काले कारोबार के पीछे डेविड किसी पहचान का मोहताज नहीं है। बीते लगभग दो दशक से सूबे में भाजपा की सरकार है, बावजूद फायदा उठाकर डेविड लगातार ब्यौहारी क्षेत्र में अवैध रेत के कारोबार को अंजाम दे रहा है। इस पूरे खेल में निशांत भी शामिल है।
सहकार ग्लोबल के माथे पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। रेत का ठेका जब से सहकार ग्लोबल ने लिया है, उसके बाद से ही निशांत, डेविड और राणा सक्रिय हुए, आये दिन कंपनी के नाम पर विवाद की स्थिति निर्मित कर निशांत मैनेजमेंट के नाम पर मलाई खा रहा है। रेत के इस अवैध कारोबार के पीछे डेविड लंबे अर्से से ब्यौहारी क्षेत्र में सुर्खिया बटोर रहा है। ट्रांसपोर्ट की आड़ में डेविड नामक तथाकथित व्यक्ति द्वारा स्थानीय रेत चोरो से ट्रैक्टरों के माध्यम से महावीरन, झिरिया, गोपालपुर, सुखाढ़ में रेत एकत्र कराई जाती है। इसके बाद हाईवा में लोड कर ब्यौहारी क्षेत्र से होते हुए सीधी जिले या उत्तरप्रदेश की मंडियों में सप्लाई कर दी जाती है। यह खेल कोई नया नहीं है, ठेका कोई भी कंपनी ले, लेकिन डेविड इस खेल में इतने माहिर हैं कि इन्हें रोक पाना अब किसी के बूते का नहीं रह गया है।