रीवा। केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। महिलाओं को योजना के तहत निःशुल्क रसोई गैस सिलेंडर देना है। यह योजना मोदी सरकार के आने के बाद लागू की गई थी। गैस सलिंडर वितरण की जिम्मेदारी जिले के गैस एजेंसी संचालकों को सौंपी गई थी। योजना के तहत फ्री में कनेक्शन व गैस सिलेंडर देना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एजेंसी संचालकों द्वारा बहाने बनाकर सिलेंडर की पूरी कीमत वसूली गयी।
चूंकि इस वसूली में मॉनिटरिंग अधिकारियों का भी हिस्सा था इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हो पायी। इतना तक तो ठीक था लेकिन पैसा न देने पर सिलेंडर ही दूसरे हितग्राही को बेच दिया। फर्जीवाड़ा तब पकड़ा गया जब हितग्राही के खाते में सब्सिडी आने लगी। लेकिन जिम्मेदारों ने एजेंसी संचालक के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय हितग्राही की शिकायत को ही दबाते रहे। ऐसा करते हुए चारसाल बीत गए। खाद्य विभाग यह पतानहीं कर पाया कि हितग्राही का सिलेंडर एजेंसी संचालक ने बेचा किसे। यह मामला मंगलवार को शहर के पुराने बस स्टैंड में स्थित पापुलर गैस एजेंसी का सामने आया लेकिन कमोवेश इसी तरह की स्थिति शहर ही नहीं, रीवा व मऊगंज जिले के हर जनपद में है। कुछ शिकायत कर रहे हैं, कुछ नेप्रयास करना ही छोड़ दिया।
चार हजार नहीं दिया, इसलिए नहीं मिला गैस सिलेंडर
शिकायत कर्ता नजमा बानो पत्नी खालिक अंसारी निवासी कटरा वार्ड 29 ने बताया कि उनका उज्ज्वला योजना में नाम था।सारे दस्तावेज लिए गए। खाता भी लिया गया। केवायसी पूरी की गई। लेकिन जब गैस सिलेंडर देने की बारी आई तो उससे पैसे की मांग की गई। नजमा ने बताया कि वह गरीब महिला है, उसके पास पैसे नहीं थे। पहली दफा उससे 1500 रुपए की मांग की गई। किसी तरह जुटाकर जब वह 1500 रुपए लेकर गई तो एजेंसी संचालक द्वारा 2000 हजार की मागं की गई। उसके पास 1500 ही थे इसलिए सिलेंडर नहीं दिया।
एक सप्ताह बाद जब वह इंतजाम कर दो हजार रुपए लेकर पहुंची तो चार हजार की मांग की गई, और कहा गया कि चार हजार देने पर ही सिलेंडर मिलेगा। लिहाजा उसने सिलेंडर की उम्मीद ही छोड़ दी लेकिन कुछ समय बाद उसके खाते में गैस की सब्सिडी आने लगी। तब उसे एहसास हुआ कि उसका सिलेंडर किसी को बेच दिया गया।
नजमा ने बताया कि इसकी शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की लेकिन किसी ने सुना ही नहीं, न ही कोई कार्रवाई की गई। नजमा में मंगलवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर एजेंसी संचालक के खिलाफ कार्रवाई व सिलेंडर दिलाए जाने की मांग की है। देखना यह है कि जिला प्रशासन जिसमें तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम व कलेक्टर महिला अधिकारी हैं, इस पीड़ित महिला की फरियाद पर कितना अमल करता है।