Patients rolling on the floor in this hospital of Rewa: जिला अस्पताल में उपचार सुविधाएं बढ़ रही हैं, लगातार ओपीडी में ईजाफा हो रहा है। चिकित्सकों की मेहनत रंग ला रही है लेकिन अब जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं दम तोड़ती नजर आ रही है। जिससे मरीजों व उनके परिजनों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मात्र खून की जांच के लिए ही जांच पर्ची काउंटर में मरीजों को करीब एक से डेढ़ घंटे का समय लग रहा है। वजह जांच पर्ची काउंटर में मात्र एक आपरेटर का होना है। प्राइवेट कंपनी के हाथों चल रही इस व्यवस्था को लेकर शासन ने भी ऐसे मापदंड बना रखे हैं कि जिला अस्पताल प्रबंधन चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा है। कई दफा इसको लेकर पत्राचार किया गया लेकिन मरीजों व उनके परिजनों को राहत नहीं मिल सकी। अब जिला अस्पताल प्रबंधन उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने आस लगाए बैठे हैं, वजह यह है कि जिला अस्पताल प्रबंधन के द्वारा शासन को किए गए पत्राचार पर तो किसी ने विचार किया नहीं और अस्पताल प्रबंधन को यही उम्मीद है कि उपमुख्यमंत्री इस पर विचार करेंगे और मरीजों को राहत मिलेगी।
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घंटो तड़पता रहता है मरीज
बता दें कि मरीज को जिला अस्पताल आने के बाद पहले ओपीडी काउंटर में पर्ची के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है, यहां से जब वह चिकित्सक के पास पहुंचता है तो उसे लंबी कतार का सामना करना पड़ता है और यदि चिकित्सक ने खून जांच के लिए कह दिया तो मानो मरीज पर आफत ही आ जती है। यहां मरीज को कम से कम पर्ची कटाने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है। इसके बाद जांच होते-होते तक दो घंटे बीत जाते है। जिससे मरीज को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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प्राइवेट हाथों में व्यवस्था
बताया गया कि जांच के लिए प्राइवेट कंपनी को शासन स्तर से हॉयर किया गया है, निर्धारित मापदंड के अनसार एक ही कम्प्यूटर व आपरेटर दिया गया है, जबकि रोजाना ही पांच सैकड़ा से अधिक लोगो की जांच हो रही है। जिनकी पर्ची बनाने में काफी समय लग जाता है। सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को होती है, वह लाइन पर खड़ी भी नहीं रह पाती, यही हाल सीरियस मरीज का होता है। कई बार तो मरीज की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि वह फर्स में लोटते हुए दिखते हैं। इस समय यह नजारा जिला अस्पताल में आम देखने को मिल जाएगा। जिला अस्पताल ने एक कम्प्यूटर रखा और आपरेटर भी रखा लेकिन वह बहुत कम ही बैठ पाता है। जबकि प्रबंधन की माने तो कम से कम तीन आपरेटर की अवश्यकता है, जिसमें पुरुष, महिला की अलग लाइन के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए अलग लाइन लगे। तब जाकर मरीजो व परिजनों को राहत मिलेगी।
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हर माह बनता है लाखों का बिल
बताया गया कि इन व्यवस्थाओं के साथ ही लाखों रुपए का बिल हर माह प्राइवेट कंपनी द्वारा बना लिया जाता है। इसको लेकर कई दफा शासन से पत्राचार किया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। आगामी माह में जब ओपीडी बढ़ेगी तो और समस्या मरीजों को होगी। जांच की सुविधा तो बढ़ी है लेकिन यहां तक पहुंचने में मरीजों को काफी मसक्कत का सामना मरीजों को करना पड़ता है।
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जांच पर्ची काउंटर में आपरेटर बढ़ाने के लिए शासन से पत्राचार किया गया है, निर्धारित मापदंड के अनुसार एक ही आपरेटर मिला है। मरीजों को राहत मिले इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ.विकास सिंह, आरएमओ जिला अस्पताल।
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