खाकी में भी कहीं-कहीं इश्क का भूत देखने को मिल जाता है और परिणाम वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। तो कोई सलाखों के पीछे जाकर वर्दी से हाथ धो लेता है तो कोई पुलिस लाइन या निलंबन के दौर से गुजरता है। कई तो ऐसे भी है जिन्होंने सामने वाले पक्ष को मैनेजमेंट कर अपनी नौकरी वापस पाई। जिले की खाकी में इश्क का एक नया मामला आलोक में आया है, इश्क का भूत जिले के चौकी प्रभारी पर सवार होना बताया, साथ ही सूत्रों ने बताया कि गांव के लोगो ने आशिक मिजाज एएसआई के सिर से इश्क का भूत उतारने के लिए पंडो की मदद से बंधक बना कर झाड़ फूक करवाया। मामला जब शहरी थाना पहुंचा तो दोनो पक्षों के बीच रजामंदी हो गई। वहीं एएसआई साहब यह बताते अपना पक्ष रख रहे है कि चुनाव में ड्यूटी पर लगे अधिकारी को छोड़ने उनके घर गया तो लौटते समय आवारा तत्व के लड़कों से उनके वाहन चालक से विवद हो गया था। अब सच क्या है यह तो जांच का विषय है लेकिन चर्चाओं में आशिकी का जिक्र बड़ी तेजी से हो रहा है।
चुनाव ड्यूटी में थे मनगवां मे, रात पहुंचे सिलपरा
प्रदेश के बड़े अखबार मध्य प्रदेश जनसंदेश ने लिखा की घटना शुक्रवार-शनिवार के दरम्यानी रात लगभग साढ़े बारह बजे के आसपास की है। सूत्रों का कहना है कि चौकी प्रभारी की चुनावी ड्यूटी जिले के रीवा बनारस हाइवे के बीच में कस्बे के थाने में लगी हुई थी। रात लगभग साढ़े बारह बजे गोविंदगढ़ मार्ग के एक गांव में चोर-चोर की आवाज गूंजी तो सिविल ड्रेस में रहे एएसआई भाग कर एक घर के पीछे बाड़ी में घुस गये। गांव की भीड़ ने उन्हे खोज निकाला और बंधक बना कर पिटाई शुरू कर दी। बताया जाता है कि जो कोई आता वही एएसआई साहब के बदन पर वर्दी न होने की वजह से हाथ साफ करता।
सूचना गांव के लोगों ने कंट्रोल रूम को दी। कंट्रोल रूम की सूचना पर एफआरबी पहुंचती कि उसके पहले ही गांव वाले सिविल ड्रेस में रहे एएसआई को लेकर शहरी थाना शिकायत दर्ज करवाने पहुंच गये। थाना पहुंचते ही गांव वालो के होश उस समय उड़ गये जब वहां बैठे मुंशी ने एएसआई को देखते ही जय हिंद सर बोला। मुंशी का यह बोलना था कि गांव वालो को समझते देर न लगी कि जिसे वो चोर समझ रहे थे वो पुलिस वाले है और इसका खामियाजा जेल जा कर ही भुगतना होगा।
वहीं दूसरी तरफ एएसआई साहब भी बदनामी के डर से शिकायत दर्ज करवाने से दूर भागते नजर आये। लिहाजा दोनों के बीच समझौता हो गया और दोनो पक्ष वापस अपने भाग्य को धन्यवाद करते हुए घर को लौट गये। लेकिन खाकी के बीच सुगबुगाहट शुरू हो गई जो थाना से निकल कर सड़कों पर रेंगने लगी।
मध्य प्रदेश जनसंदेश अखबार ने लिखा कि लोग बताते है कि चौकी प्रभारी पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का आर्शिवाद रहता है एक वरिष्ठ अधिकारी उनके रिश्तेदार लगते है, जिसकी वजह से वे अक्सर चौकी प्रभारी के ही प्रभार में रहते है। कई चौकी के प्रभारी रह चुके हैं। जबकि पुलिस लाइन में या फिर थानों में देखा जाये तो कई उप निरीक्षक पदस्थ है जिनके पास चौकी चलाने की कुशलता है।
जबकि एएसआई को एक बार एक महिला की आत्महत्या के मामले में लापरवाही बरते जाने पर लाइन अटैच भी किया गया था। जब दलित महिला की लाश नौ दिन बाद पेड़ से लड़कते हुए सड़ी गली अवस्था में मिली थी। तब एएसआई की लापरवाही की वजह से दलित समाज के लोग सड़क पर उतर कर लॉ एंड ऑडर की स्थित बना दिये थे। तब पुलिस को दलित महिला की हत्या में उसी के किसान पर अपराध पंजीबद्ध कर जेल भेजना पड़ा था।