रीवा। रीवा जिले में रहने वाले सेवा निवृत व्याख्याता रंगनाथ शर्मा (71) कई वर्षों से अपने हक की पेंशन पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। वर्ष 1980 से लेकर 2014 तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले व्याख्याता जब सेवानिवृत हुए तो भ्रष्टाचार का शिकार हो गए। रंगनाथ शर्मा ने बताया है कि वे शास. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लखौरा-जिला अनूपपुर से वर्ष 2014 में सेवानिवृत्त हुए थे।
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इस दौरान उनकी सेवापुस्तिका जांच के लिए संयुक्त संचालक, कोष-लेखा रीवा को भेजी गई थी। जहां सेवा पुस्तिका और वेतन निर्धारण की जांच करने के बदले कार्यालय में पदस्थ श्रीवास्तव बाबू ने उनसे रिश्वत की मांग की थी। तब श्री शर्मा तय रिश्वत की राशि संबंधित लोकसेवक को नहीं दे पाए। ऐसे में आरोपी बाबू श्रीवास्तव ने जबरन रंगनाथ शर्मा के विभाग द्वारा किए गए सही वेतन निर्धारण को अमान्य करते हुए जानबूझकर त्रुटियुक्त वेतन निर्धारण कर दिया।
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आरोप है कि संयुक्त संचालक कोष लेखा रीवा में पदस्थ रहे श्रीवास्तव बाबू ने रंगनाथ के समकक्ष रहे अयोध्या प्रसाद सोनी का वेतन निर्धारण ठीक ढंग से किया परंतु रंगनाथ के वेतन निर्धारण में गड़बड़ी कर दी। श्रीवास्तव बाबू की इस मनमानी के चलते रंगनाथ शर्मा को विगत वर्षों से मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंच रही है। उन्होंने पूर्व में विभागीय अधिकारियों को अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी भी दी लेकिन अब तक उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ है। रंगनाथ शर्मा का कहना है कि उन्हें द्वारा लगाए गए सभी आरोप सत्य हैं और उनसे पास इसके प्रमाण हैं। शिकायतकर्ता की मांग है कि उनकी वेतन निर्धारण में हुई त्रुटि को सही किया जाए। इस संबंध में पूर्व व्याख्याता ने मध्य प्रदेश सरकार और विभागीय अधिकारीयों से न्याय की उम्मीद जताई है।
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