रीवा में बच्चो में फैल रही तेजी से यह बीमारी, आप तत्काल कराए चेकअप…
रीवा। जिले में मायोपिया बीमारी का कहर बढ़ता जा रहा है। महज दो वर्षो में इस बीमारी के आकड़े 5.5 प्रतिशत बढ़ गए। दो वर्ष पूर्व इस बीमारी से ग्रसित मात्र 3 प्रतिशत मरीज ही आते थे लेकिन अब इनकी संख्या में 8.5 प्रतिशत हो गई है। विशेषज्ञ इसे चिंता का विषय बता रहे हैं। आंकड़े यूं ही बढ़ते रहे तो भविष्य में समस्या हो सकती है। जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल की ओपीडी मात्र में रोजाना 30-35 मरीज मायोपिया के पहुंच रहे हैं। इस बीमारी से बच्चे ज्यादा पीडि़त है। पहले तो इस बीमारी से 5-10 वर्ष के बच्चे ही पीडि़त मिल रहे थे लेकिन अब 5-15 वर्ष के बच्चों को यह बीमारी अपनी गिरफ्त में ले रही है। माना जा रहा है कि यदि हालात यही रहे तो आगामी वर्षो में मायोपिया बुरी तरह अपनी गिरफ्त में लोगो को लेगा।
क्या है मायोपिया
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.नेहा तिवारी ने बताया कि मायोपिया(निकट दृष्टि दोष) बीमारी एक प्रकार की आंख की बीमारी है, जिसमें दूर की चीजे धुंधली दिखती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रेटिना पर पडऩे वाली प्रकाश की किरणे रेटिना पर न फोकस होकर उसके पहले ही फोकस हो जाती हैं। बताया गया कि इस बीमारी के दूरगामी दुष्प्रभाव पड़ सकता है, हाई मायोपिया के मरीजों की आंख की मांसपेशियां कमजोर होना, आंख का परदा सरकने या गिरने का खतरा हो सकता है। इस बीमारी के होने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेकर इसका ईलाज कराया जाना चाहिए। भारत सरकार द्वारा भी इसके लिए एनपीसीबी कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों की चश्मे की जांच एवं निशुल्क चश्मे भी प्रदान कर रही है।
बीमारी के मुख्य कारण…
– जेनेटिक एवं स्ट्रक्चरल
– मोबाईल, कंम्प्यूटर, टैबलेट का अधिक उपयोग
– आउटडोर गेम्स में बच्चों का कम इंस्ट्रेस्ट
– पर्याप्त सूर्य का प्रकाश न मिलना
– जंक फूड ज्यादा लेेना
– पौष्टिक आहार की कमी
परिजन यह रखे सावधानी…
– ज्यादा मोबाईल, कंम्प्यूटर व टीवी का उपयोग रोके, 20 मिनट में ब्रेक
– मनोरंजन के लिए आउटडोर गेम के प्रति प्रेरित करें
– विटमिन ए के लिए पालक, गाजर, बादाम इत्यादि का सेवन बच्चों को कराएं
– कम रोशनी व ज्यादा नजदीक से पढऩे से रोकना
बीमारीे का इलाज
– सही समय पर बीमारी का पता लगना
– जानकारी के बाद चश्मे का उपयोग
– कांटेक्ट लेंस का प्रयोग
– लेसिक सर्जरी व आईओएल
०००००००००
मयोपिया का ग्राफ बीते दो वर्षो में ज्यादा बढ़ा है, पहले तीन प्रतिशत मरीज ही आते थे लेकिन अब 8.5 प्रतिशत मरीज पहुंच रहे हैं। लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर इसके इलाज से भविष्य में समस्या नहीं होती।
डॉ.नेहा तिवारी, नेत्र रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल रीवा।
०००००००