बृजेश मिश्रा, रीवा। सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के हृदय रोग विभाग ने एक बार फिर नया कीर्तिमान रच दिया। विभागाध्यक्ष डॉ. व्हीडी त्रिपाठी ने पहली दफा मरीज की जेनेटिक स्टडी कराकर ऐसी बीमारी का इलाज किया जो करोड़ों में एक व्यक्ति में पाई जाती है। महिला मरीज इलाज के बाद फिलहाल स्वस्थ्य है। रीवा में पहली दफा जेनेटिक स्टडी कर किसी हृदय रोग से ग्रसित मरीज का इलाज किया गया है। जानकारी के मुताबिक बीते माह 34 वर्षीय महिला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के हृदय रोग विभाग में पहुंची थी, जहां ओपीडी में विभागाध्यक्ष डॉ. व्हीडी त्रिपाठी द्वारा उसे देखा गया। महिला की जांच कराई गई तो पता चला कि महिला को हार्ट फेलियर की शिकायत है, इसके अलावा पूरी तरह से हार्ट ब्लॉक की शिकायत थी। बताया गया कि ऑर्टरी में नहीं, कंडक्शन सिस्टम में ब्लॉक के चलते दिल की धड़कन कम होने का पता चला। बताया गया कि जब महिला को भर्ती किया गया तो उसके हार्ट की पम्पिंग 20 प्रतिशत ही थी, जो अवश्यकता से काफी कम थी। कम उम्र में हार्ट फेलियर की समस्या को लेकर विभागाध्यक्ष डॉ. व्हीडी त्रिपाठी को जेनेटिक कारणों की संभावना लगी और उनके द्वारा जेनेटिक स्टडी का निर्णय लिया गया व ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजे गए। जेनेटिक स्टडी में पाया गया कि महिला को लैंप टू म्यूटेशन की समस्या है, जिसके बाद उसका इलाज कर उसे स्वस्थ्य किया गया।
One in crores suffers from this disease, Dr.VD Tripathi did a genetic study and treated it for the first time in Rewa:
14 दिन में आती है रिपोर्ट
बता दें कि जेनेटिक स्टडी की सुविधा अपने जिले या फिर मप्र में नहीं है, इसके लिए सेंपल बाहर भेजना पढ़ता है। इसके लिए ब्लड सेंपल बैंगलोर या फिर दिल्ली भेजे जाते हैं, इसकी रिपोर्ट आने में समय लग जाता है। वर्तमान में करीब 14 दिन में रिपोर्ट रीवा पहुंचती है। जिससे मरीजों के इलाज में थोड़ी देरी होती है। माना जा रहा है कि सुपर स्पेशलिटी में जिस प्रकार से सुविधाएं बढ़ रही हैं, जल्द ही यह जांच उपलब्ध कराने वाला रीवा सुपर स्पेशलिटी प्रदेश का पहला संस्थान होगा।
दो माह में दवा से बढ़ी पम्पिंग
बताया गया कि मरीज के हार्ट की पम्पिंग कम होने के कारण पहले तो उसे दवा देकर उसकी पम्पिंग बढ़ाने का प्रयास किया गया। करीब दो माह तक चली दवा के बाद महिला मरीज के हार्ट की पम्पिंग का प्रतिशत 20 से 40 प्रतिशत हुआ। जिसके बाद विभागाध्यक्ष डॉ. व्हीडी त्रिपाठी द्वारा पेसमेकर लगाकर मरीज के दिल की धड़कन को नियमित किया गया। बता दें कि रीवा में ऐसा पहली बार हुआ है कि जेनेटिक स्टडी कर डाईलेटेड कार्डियोंम्योंपेथि का इलाज किया गया।
सटीक कारण की हो जाती है जानकारी
चिकित्सकों की मानें तो रीवा मे युवा अवस्था में हार्ट फेलियर के ज्यादातर मरीज जेनेटिक ही बीमारी से ग्रसित होते हैं। हार्ट की पम्पिंग क्षमता कम होती है और हार्ट साइज बढ़ जाता है। इसे डाईलेटेड कार्डियोंम्योंपेथि कहते हैं। इसका कारण वायरल इंफेक्शन, एल्कोहल या फिर जेनेटिक होता है।
हृदय रोग विभाग बना वरदान
बता दें कि जिले सहित आस-पास के जिलों व समीपी राज्यों के लिए भी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का हृदय रोग विभाग वरदान साबित हो रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ. व्हीडी त्रिपाठी के कुशल मार्गदर्शन में यहां मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ रही हैं और चिकित्सकों द्वारा ऐसे जटिल उपचार किए जा रहे हैं जिनके लिए अभी तक महानगरों की ओर रुख करना पड़ता था। इलाज कम खर्च में उपलब्ध कराया जा रहा है, यही वजह है कि प्रदेश में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की अलग पहचान बन गई है।
मरीज के दिल की धड़कन काफी कम थी, जेनेटिक कारणों के कारण हार्ट फेलियर की समस्या पता लगी, जिसके बाद जेनेटिक स्टडी की गई और मरीज का इलाज किया गया। स्टडी में लैंप टू म्यूटेशन मिला। पहले दवा फिर पेसमेकर लगाकर मरीज की धड़कन को सामान्य किया गया।
डॉ. व्हीडी त्रिपाठी
विभागाध्यक्ष हृदय रोग विभाग सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा