रीवा। पहले लोकसभा चुनाव 1951 से पिछले चुनाव तक विंध्य की सियासी मैदान में मुख्य रूप से 11 देवियां उतरीं, लेकिन शक्ति केवल 4 ही बन पायीं। 1967 में पहली बार झलकन देवी ने कांग्रेस के टिकट पर शहडोल संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता था। उसके बाद शहडोल से ही राजेश नंदिनी सिंह चुनाव जीतीं और 2014 के चुनाव में सीधी से रीती पाठक को सदन तक जाने का मौका मिला। विंध्य में अब तक हुए चुनावों में प्रमुख दल कांग्रेस, भाजपा ने महिलाओं को आपेक्षित अवसर नहीं दिया। पिछले तीन दशक पूर्व अस्तित्व में आई बसपा ने कई चुनावों में महिलाओं पर भरोसा किया लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। आज अपने देश की महिलाएं किसी मायने में कम नहीं हैं। धरती से लेकर आसमान तक उड़ान भर रही हैं, लेकिन महिला हितों का राग अलापने वाले राजनैतिक दल उन्हें आज भी कमजोर समझते हैं। पहली दफा तो राजनैतिक दल उन्हें मौका नहीं देते और यदि किसी दल ने या निर्दलीय रूप से मैदान में उतरीं तो पुरुषवादी समाज उन्हें स्वीकार नहीं कर पाता।
यही कारण है कि संसद में महिलाओं की भागीदारी कम रहती है। विंध्य की सभी चार संसदीय सीटों की बात करें तो गत लोकसभा चुनाव तक मुख्य रूप से 09 महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं, लेकिन अंतरिक्ष में सफर के साथ ही फाइटर प्लेन उड़ाने वाली यहां की महिलाएं राजनीति में सफल नहीं हो पाईं। देश सहित विंध्य की चार सीटों मेंं 18वीं लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है। इन चारों सीटों में पिछले चुनाव दल विशेष ने केवल 9 महिलाओं को चुनाव लडऩे का अवसर दिया है। इनमें शहडोल से झलकन कुमारी, राजेश नंदिनी सिंह, हेमवंत पोर्ते, रीवा में प्रवीण कुमारी सिंह, विमला देवी सोंधिया, सीधी से चंपा देवी, बसंती देवी, वीणा सिंह व रीती पाठक शामिल हैं। इनमें झलकन कुमारी, राजेश नंदिनी, रीती पाठक व हिमाद्री सिंह को संसद की ड्योढ़ी चढऩे का अवसर मिला है। हालंाकि निर्दलीय व क्षेत्रीय दलों में कई नेत्रियों ने भाग्य अजमाया, लेकिन परिणाम प्रतिकूल रहा।
25 साल बाद कांग्रेस ने उतारा महिला कंडीडेट
लोकसभा चुनाव 2024 में फिर दो महिला कंडीडेट मैदान में हैं। इनमें शहडोल संसदीय क्षेत्र से सांसद हिमाद्री सिंह भाजपा की टिकट पर मैदान में हैं। वह दूसरी बार चुनाव लड़ रहीं हैं। इस बार रीवा संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार किसी महिला कंडीडेट को उतारा गया है। इस चुनाव में कांग्रेस ने 25 साल बाद किसी महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। बता दें कि 1989 में कांग्रेस ने महाराजा मार्तंड सिंह के स्वर्गवासी होने के बाद महारानी प्रवीण कुमारी को मैदान में उतारा था। इस बार कांग्रेस ने विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को मैदान में उतारा है।
किस दल ने कब दिया मौका
महिला नेत्री चुनाव वर्ष दल परिणाम क्षेत्र झलकन कुमारी 1962 कांग्रेस हारीं शहडोल
झलकन कुमारी 1967 कांग्रेस जीती शहडोल
प्रवीण कुमारी 1989 कांग्रेस हारी रीवा
विमला देवी 1989 बसपा हारी रीवा
चंपा देवी 1991 जनता पार्टी हारी सीधी
हेमवंत पोर्ते 1991 भाजपा हारी शहडोल
प्रवीण कुमारी 1996 भाजपा हारी रीवा
बसंती देवी 1996 बसपा हारी सीधी
बसंती देवी 1998 बसपा हारी सीधी
बसंती देवी 1999 बसपा हारी सीधी
राजेश नंदिनी सिंह 2004 कांग्रेस हारी शहडोल
वीणा सिंह 2009 निर्दलीय हारी सीधी (कुंवर अर्जुन सिंह की पुत्री)
राजेश नंदिनी सिंह 2009 कांग्रेस जीती शहडोल
रीती पाठक 2014 भाजपा जीती सीधी
रीती पाठक 2019 भाजपा जीती सीधी
हिमाद्री सिंह 2019 भाजपा जीती शहडोल
हिमाद्र सिंह 2024 भाजपा — शहडोल
नीलम मिश्रा 2024 कांग्रेस — रीवा
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