रीवा। सिरमौर स्थित एसडीएम एंव तहसील कार्यालय में सरकार की आंख पर धूल झोंक कर काम कर रहे भ्रष्ट लिपिक कलेक्टर की गले का फांस बन गये। मा. न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर रीवा को 10 दिन के अंदर न्यायालय में स्वतः उपस्थित होने का आदेश जारी किया है, इतना ही नहीं मा. न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा है कि क्यों ने इस प्रकरण को लोकायुक्त को कार्रवाही किये जाने प्रस्तावित किया जाये। मा. उच्च न्यायालय में अपील करने वाले अधिवक्त राजेश सिंह ने बताया कि मा. न्यायायल ने उनके द्वारा किये गये अपील क्रमांक डब्लू पी 80-90/2024 में 5 अप्रैल 2024 को सुनवाई के उपरांत निर्णय लिया है। अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि सिरमौर तहसील कार्यालय से लेकर एसडीएम कार्यालय तक में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है और चले भी क्यो न। एसडीएम कार्यालय में भ्रष्ट लिपित सत्येंद्र सिंह एवं तहसील कार्यालय में भी भ्रष्ट लिपिक राजेश पांडेय जो बैठे हुए है।
बताया कि दोनो ही लिपिकों के भ्रष्टाचारी होने की वजह से तत्कालीन कलेक्टर एम गीता ने एसडीएम सिरमौर की जांच उपरांत दोषी पाये जाने पर अपने आदेश क्रमांक 195/09 एवं 196/09 में नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया था। लेकिन उसके बाद भी दोनो शासन की आंखो में धूल झोंक कर एक तहसील कार्यालय में तो दूसरा एसडीएम कार्यालय की कुर्सी में बैठे है। इतना ही नही दोनो ही बर्खास्तशुदा लिपिक 2009 से सरकार से वेतन भी उठा रहे है।
अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि दोनो ही भ्रष्ट लिपिक तत्कालीन कलेक्टर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके थे, लेकिन हाईकोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर के आदेश को यथावत रखने का आदेश दिया था। उसके बावजूद भी दोनो का राजस्व कार्यालय में कार्यरत रहना तत्कालीन कलेक्टर के दिनांक 22 अगस्त 2009 के बर्खास्तगी के आदेश को ठेंगा दिखाना है। अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि उक्त संबंध में सिरमौर से लेकर रीवा बैठे कलेक्टर तक के दरवाजे खटखटाये, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला और एसडीएम एवं तहसील कार्यालय की कुर्सी में बैठ कर राजस्व प्रकरणों में लूट एवं शासन की आंखो में धूल झोंक कर वेतन लेकर इठलाते है। मजबून न्याय के लिए मा. उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटना पड़ा।