रीवा। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार चरमराती जा रही है। भले ही इसे और मजबूत करने के दावे के किए जा रहे हैं लेकिन हालात यह हैं कि स्थिति और खराब होती जा रही है। पिछले वर्ष सीएमएचओ के प्रभार के लिए करीब डेढ़ माह तक जंग चलती रही और अब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के प्रभार को लेकर खींचतान मची हुई है। शासन स्तर से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रतिभा मिश्रा को सिविल सर्जन का प्रभार दिया गया था लेेकिन वरिष्ठता का हवाला देते हुए डॉ.एमएल गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और हाईकोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए शासन के आदेश पर स्टे दे दिया। जिसके बाद बुधवार को डॉ.एमएल गुप्ता प्रभार लेने पहुंचे तो उनको डॉ.प्रतिभा मिश्रा ने प्रभार नहीं दिया। डॉ.गुप्ता ने बताया कि प्रभारी सिविल सर्जन ने शासन से आदेश आने के बाद ही प्रभार देने की बात कही और कहा कि वह शासन के आदेश के बाद सिविल सर्जन के प्रभार पर हैं इसलिए जब तक शासन का आदेश नहीं आएगा वह प्रभार नहीं देंगी। जबकि हाईकोर्ट से शासन के आदेश पर ही स्टे दिया है। जबकि डॉ.प्रतिभा मिश्रा ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारी और शासन के निर्देशानुसार ही कार्य किया जाएगा, फिलहाल डॉ.गुप्ता प्रभार लेने नहीं आए, उनके द्वारा सीएमएचओ को पत्र लिखा गया है, जो भी आदेश होंगे उनका पालन किया जाएगा।
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लडख़ड़ा गई थी व्यवस्थाएं
बता दें कि ठीक इसी प्रकार पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हो चुके डॉ.बीएल मिश्रा को सीएमएचओ का प्रभार शासन स्तर से दिया गया था लेकिन डॉ.एनएन मिश्रा को हाईकोर्ट से स्टे मिला था। इस बात को लेकर करीब डेढ़-दो माह तक खींचतान चलती रही। हाईकोर्ट के आदेश पर डॉ.एनएन मिश्रा ने एकतरफा प्रभार ले लिया था और डॉ.बीएल मिश्रा भी सीएमएचओ की कुर्सी पर डटे रहे। हालांकि अंत में शासन स्तर से हाईकोर्ट का हवाला देते हुए डॉ.एनएन मिश्रा को प्रभार देने के आदेश हुए थे। ठीक इसी तरह अब सिविल सर्जन के प्रभार को लेकर खींचतान मची हुई है।
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शासन से मांगा गया मार्गदर्शन
वहीं मामले को लेकर सीएमएचओ डॉ.संजीव शुक्ला ने शासन को पत्र लिखा है, चूंकि मामला हाईकोर्ट से जुड़ा हुआ है और शासन स्तर से डॉ.प्रतिभा मिश्रा को प्रभार दिया गया है। शासन स्तर से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया है, शासन का अंतिम निर्णय ही मान्य होगा। बता दें कि सिविल सर्जन के प्रभार को लेकर चल रही खींचतान स्वास्थ्य विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है। कहा जा रहा है कि देखना यह है कि इस मामले में वरिष्ठ अधिकारी जल्दी संज्ञान लेते हैं या फिर पूर्व की तरह इस बार भी मामला उलझा रहेगा।
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