रीवा। गर्मी का सीजन शुरू हो गया है। भूजल स्तर प्रतिदिन गिर रहा है। अधिकांश हैंडपंप पानी की जगह हवा उगलने लगे हैं। कुआं-तालाब पहले से ही सूखे हैं। पेयजल के लिए हैंडपंप ही एक मात्र सहारा है। लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण अधिकांश हैंडपंप बिगड़े पड़े हैं। जिन्हें हैंडपंप सुधारने की जिम्मेदारी दी गई है वह काम ही नहीं करते। बताया गया है कि बिगड़े हैंडपंपों के सुधार के लिए सभी ब्लाकों में समन्वयक और मेकेनिक तैनात किए गए हैं लेकिन वह क्षेत्र में रहते ही नहीं हैं। वह रीवा में कमरा लेकर यहीं से दूरभाष पर सुधार करते हैं। जाहिर है कि हैंडपंप सुधारने के लिए हैंडपंप तक जाना होगा लेकिन ऐसा नहीं कर रहे हैं। प्रभावित स्थल तक न ब्लाक क्वार्डिनेटर जाते न ही मैकेनिक। संविदा कर्मचारियों को सुधार का जिम्मा सौंप कर केवल आदेश देते हैं।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व जलजीवन मिशन योजना के तहत जागरुकता के लिए लोगों को तैनात किया गया था। अब उन्हें विभाग का कर्मचारी बनाकर ब्लाक समन्वयक बना दिया गया हैं। इन्हें कोई तकनीकी अनुभव नहीं है, जिसका खामियाजा रीवा की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
राइजर पाइप का चल रहा खेल
जिन हैंडपंपों के राइजर पाइप फूटे हैं, उनके नाम से जमकर खेल चल रहा है। दवाब पर ठेेकेदार के कर्मचारी जाते जरूर हैं लेकिन वह हैंडपंप सुधारने की केवल खानापूर्ति करते हैं। अधिकारियों को भेजने वाली रिपोर्ट में तो राइजर पाइप बदलने की जानकारी देते हैं लेकिन मौके पर जो राइजर पाइप फूटी होती उसमें साइकिल की ट्यूब बांध कर चालू कर देते हैं। एक जानकारी के मुताबिक हर ब्लाक में प्रतिदिन 50 से अधिक राइजर पाइप का खेल हो रहा है। अभी हाल में रायपुर कुर्चलियान जनपद के बरया टोला गांव का मामला सामने आया है जहां विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर भी राइजर पाइप नहीं बदली गई। जो राइजर फूटी थी, वहां ट्यूब बांध दिया और अधिकारी को राइजर पाइप बदलने की जानकारी दे दी गई। इस खेल में पंप मेकेनिक, ब्लाक समन्वयक और ठेकेदार तीनों शामिल बताए गए हैं।
भौतिक सत्यापन की आवश्यकता
हैंडपंप सुधार के नाम पर चल रहे राइजर पाइप फर्जीवाड़े में लगाम लगाने के लिए भौतिक सत्यापन की आवश्यकता है। जांच की जाय तो अब तक जितने राइजर पाइप बदलने की रिपोर्ट विभाग को सौंपी गई है, उसमें 50 फीसदी झूठी जानकारी सामने आ जायेगी।
ऐसी जानकारी नहीं है। इसकी जांच की जायेगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
संजय पांडेय, ईई पीएचई रीवा
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