रीवा।होली का त्यौहार मिलन का त्यौहार होता है, इस त्यौहार में लोग सारे गिले शिकवे दूर कर एक दूसरे के गले मिलते है। लेकिन ये प्रचलन समाप्त हुए वर्षों बीत गये, अब तो होली का त्यौहार लोग दारू पीने और दुश्मनी भुनाने का त्यौहार मानने लगे है। रंगो की होली अब खून की होली का रूप ले ली है। कोई दारू पीकर वाहन चलाने में वीर गति को प्राप्त होता है तो कोई दुश्मनों का शिकार होने पर। पुलिस इस होली के त्यौहार को शाति प्रिय बनाने के लिए एक हफ्ते से कसरत करने लगती है। एसपी थानावार अपराधों की जानकारी लेकर अपराधियों से निपटने के लिए कारगर कदम उठाने के संकेत देते है ताकि रंगों का त्यौहार किसी के घर को बेरंग न कर दे। पुलिस बल कम होने के बावजूद भी चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात करते हैं ताकि कोई तेज वाहन चलाते हुए न निकले और न ही कोई अप्रिय घटना घटे। आमजनो का रंग संवारने के लिए पुलिस के आला अधिकारी हर संभव प्रयास करते हैं, ताकि हुड़दंग होली को बेरंग न कर दे। लेकिन इस वर्ष दारूखोर हुड़दंगो ने सारी सीमायें ही पार कर दी। जिधर ही देखो उधर ही पुलिस पर जानलेवा हमला होने की खबर आलोक में आई। होलिका दहन के दिन बैकुंठपुर पुलिस पर दारूखोरों ने जानलेवा हमला किया तो वहीं दूसरे दिन धुरेड़ी को रायपुर कर्चुलियान पुलिस पर दारूखोरों ने जानलेवा हमला कर पुलिस विभाग में दहशत फैला दी। ये अलग बात रही कि घटना की जानकारी लगते आसपास के थानों की पुलिस मौके पर पहुंच कर घर-घर घुसकर जमकर खाकी का रंग दिखाया और कई लोगों को घसीट कर थाना ले आई। जिसमें महिलायें भी शामिल हैं। यदि हम रायपुर कर्चुलियान में हुई वारदात की बात करें तो वहां दारूखोरों ने बंद पड़ी शराब दुकान का दरवाजा तोड़ कर शराब सहित नगदी रूपये लूट लिये और जब पुलिस पहुंची तो उस पर जानलेवा हमला कर भाग निकले। इसी प्रकार बैकुंठपुर कस्बे के दलित बस्ती के सामने दलितों का झुंड अराजकता फैला रहा था और जब पुलिस पहुंची तो टीआइ पर चाकू से हमला कर दिया। गनीमत रही कि चाकू टीआई को न लग कर बचाव में सामने आई आरक्षक को लगी। दारूखोरो की टोली पुलिस कीअभिरक्षा में रहे अपने साथी को छुड़ाकर भागने में कामयाब रहे।
सभी ताजा खबरें पढ़ने के लिए कृपया जरूर जुड़े🙏
Join Now