रीवा। नगर निगम प्रशासन अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा ही चर्चा में रहता है, हालांकि निगमायुक्त मृणाल मीना के कार्यभार संभालने के बाद मनमानियों के आरोप निगम अधिकारियों पर कम ही लगे है लेकिन इन दिनों वॉटर स्ट्रॉम प्रोजेक्ट के ठेकेदार के मनमानी काम का आरोप लग रहा है। इतना ही नहीं इसमें निगम के अधीक्षण यंत्री पर भी आरोप लगाया जा रहा है। इस संबंध में लगातार जनप्रतिनिधि आक्रोश व्यक्त कर रहे है। शुक्रवार यानि 10 दिसंबर को ओबीसी महासभा युवा मोर्चा के प्रदेश संयोजक दिनेश सिंह ओबीसी ने निगम अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए संभागायुक्त अनिल सुचारी को ज्ञापन सौंपा है।
इस पत्र में दिनेश सिंह ओबीसी ने कहा है कि नगर निगम की वॉटर स्ट्रॉम योजना अंर्तगत निर्माणाधीन 20 करोड़ की लागत कार्य की सीमा एक वर्ष थी लेकिन संविदाकार केके सोहगौरा राजनैतिक एवं सत्ता के नशे में चूर हो कर न तो समय का ध्यान रखा न ही गुणवक्ता का, यहां तक कि निगम के अधिकारी-कर्मचारियों का भी भरपूर सहयोग ठेकेदार को मिला, अधीक्षण यंत्री के सह पर निर्माणाधीन नाला में बालू की जगह डस्ट का उपयोग किया जा रहा है, सीमेंट नाम मात्र की लगाई जा रही है एवं सरिया का तो पता ही नहीं है। सिंचाई करना तो ठेकेदार भूल ही गए है, जिसका परिणाम है कि नाला एक तरफ बनता जा रहा है दूसरी तरफ गिरता भी जा रहा है। जिसका उदाहरण देखा जा सकता है, इतना ही नहीं शांति विहार कलोनी में लोगो से पटिए का उपयोग कराकर कभर कराया गया है।
अधीक्षण यंत्री ने घोटाले में भूमिका निभाई: आरोप
बता दे कि ओबीसी महासभा के युवा मोर्चा के प्रदेश संयोजक दिनेश सिंह ओबीसी ने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि ठेकेदार को फर्जी बिल भुगतान किया गया, आगे भी भुगतान को लेकर पीडीएमसी के आरई को दबाव बनाया जा रहा था जिसका परिणाम रहा कि वह नोकरी छोड़कर ही भागना पड़ा और अधीक्षण यंत्री पर भी आरोप लगाया कि अधीक्षण यंत्री द्वारा ठेकेदार के द्वारा तैयार की गई फर्जी टेस्ट रिपोर्ट पर दबाव बना कर दस्तखत कराया जिससे साफ जाहिर है कि नगर निगम के अधीक्षण यंत्री इस घोटाले में पूरी भूमिका निभाई है। क्योंकि कार्य का उपयोग मटेरियल का विधिवत लैब टेस्टिंग होनी चाहिए जोकि कुछ भी नहीं किया गया। इस कारण से इनकी भी भूमिका संदिग्ध है। इसके बावजूद उक्त कार्य को 10 करोड़ का भुगतान हो चुका जो जांच का विषय है। मांग की है कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग की उच्च स्तरीय जांच करा ठेकेदार एवं संबंधित कर्मचारी से दुरुपयोग की गई राशि की वसूली कर उचित कार्यवाही की जाए।
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