रीवा। इस खबर में हम बताने जा रहे है आपको ऐसे मामले के बारे में जो दावो की पोल खोल रहे है। रीवा का विकास व रीवा को स्वच्छ बनाने का दावा करने वालो के ही आस-पास ऐसी रिपोर्ट पेश की गई कि शहर को उसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस रिपोर्ट से यह तो साफ है कि जिनके द्वारा स्वच्छता को लेकर दावा किया जा रहा है वह ही इसको लेकर फेल है। हाल हीमें नगर निगम को स्टार रेटिंग सर्वे में बड़ा झटका लगा है, केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट गसामने आने के बाद निगम की कई लापरवाहियों का खुलासा हुआ है। शहर के पॉस इलाके पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के ही वार्ड में ही नगर निगम सफाई व्यवस्था में नगर निगम की कचरा कलेक्शन व्यवस्था फेल हो गई। पूर्व मंत्री व स्थानीय विधायक के वार्ड में सर्वे करने आई टीम को डोर-टू-डोर कलेक्शन को लेकर खराब रिपाुर्ट मिली। इतना ही नहीं डोर-टू-डोर कलेक्शन में गीला-सूखा कचरा देने के मामले में तो इस वार्ड को जीरो अंक दिए गए है। मतलब साफ है कि यहां व्यवस्थाओं का दावा तो किया जाता है लेकिन व्यवस्थाएं है नहीं। विधायक के वार्ड में ही निगम की इस लापरवाह व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे है।
जो रिक्शा लेकर घूमते रहे वह भी जीरो
बता दे कि स्वच्छता को लेकर तमाम तरह के दावे करने वाले जनप्रतिनिधियों की पोल इस रिपोर्ट ने पूरी तरह से खोली है। वार्ड क्रमांक 37 पार्षद प्रकाश सोनी ने अपने वार्ड को सबसे स्वच्छ वार्ड तो बता दिया लेकिन उसके मानक पूरा करने में ध्यान नहीं दिया। रिक्शा लेकर कचरा कलेक्शन की फोटो तो वॉयरल उनकी होती रही लेकिन इनके ही वार्ड में गीला-सूखा अलग कचरा टीम को नहीं मिला और न ही लिटरबिन। इसके लिए इनके वार्ड को जीरो अंक दिए गए और इसका खामियाजा निगम ो स्टार रेटिंग रिपोर्ट में भुगतना पड़ा। बता दे कि इन दिनो पूर्व प्रभारी महापौर के पद से नवाजे जा रहे एमआईसी सदस्य रहे व्यंकटेश पांडेय के वार्ड में तो टीम को डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन ही नहीं मिला, इसके लिए इनके वार्ड को जीरो अंक मिले है। इतना ही नहीं गीला-कचरा अलग उठाव में भी शून्य अंक इनको मिले है। इसके अलावा वार्ड 18 में जीरो अंक डोर-टू-डोर व गीला-कचरा अलग उठाव के लिए मिले है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा के वार्ड, पूर्व पार्षद रमाकांत पांडेय,एमआईसी सदस्य रही संजू कोल के वार्ड में सफाई कम मिली व पूर्व वित्त प्रभारी के वार्ड में टीम को लिटरबिन ही नहीं मिले। इन तमाम कमियों के चलते स्टार रेटिंग में निगम को जीरो अंक मिले है।
किस तरह से मिले अंक
स्टार रेटिंग सर्वे के लिए आवश्यक कार्यो में भी निगम को पासिंग नंबर मिले है, वार्ड स्तर पर वल्क वेस्ट जनरेटर में 50 अंक ही मिले। डोर-टू-डोर में जीरो अंक, सूखा-गीला अलग उठाव में जीरो, लिटर बिन्स में जीरो, स्टारेज बिन में 100 अंक, वेस्ट प्रोसेसिंग वेट वेस्ट 50 अंक, यूजर चार्ज जीरो अंक, प्लास्टिक वैन में जीरो अंक, सी एन डी वेस्ट कलेक्शन जीरो अंक, साइंटिफिक लैंडफिल अबैलिटी 50 अंक, डे्रन वॉटर वॉडी में 30 अंक, स्क्रीनिंग ऑफ डे्रन 50 अंक। बता दे कि नगर निगम द्वारा दावे तो किए गए लेकिन जनता ने निगम की पोल खोल दी। केन्द्र सरकार द्वारा स्टार रेटिंग में महत्वपूर्ण अंक फीडबैक में निर्धारित किए गए है लेकिन इनमें निगम की हकीकत बताकर जनता ने पोल खोल दी। डो-टू-डोर मं े 80 अंक में शून्य, गीला-सूखा अलग कचरा में 80 में शून्य अंक, पेनॉल्टी व स्पॉट फाईन में 100 में 75 अंक, यूजर्स चार्ज में 100 में 75 अंक, प्लास्टिक वैन में 100 में 0 अंक, ऑन साइट वेट वेस्ट प्रोसेसिंग में 80 में जीरो अंक मिले है। यह अंक जनता की फीडबैक पर आधारित थे।
बता दे कि इस वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के नोडल अधिकारी अधीक्षण यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला, सहायक नोडल अधिकारी एसके चतुर्वेदी सहित डाक्यूमेंटेशन का कार्य मस्टर कर्मचारी विकास पांडेय से कराया जा रहा था। परिणाम आने के बाद पूर्व पार्षदों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, उनका कहना है कि लंबे समय से इन्ही अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है लेकिन रैकिंग घटती जा रही है व स्टार रेटिंग में लगातार जीरो स्टार मिल रहे है। इनकी जिम्मेदारी में बदलाव करना चाहिए क्योंकि अधिकारी रिश्तेदारी निभाते है, हालांकि गिनमायुक्त मृणाल मीना ने पूर्व पार्षदों की बात को संज्ञान लेते हुए मस्टर कर्मचारी विकास पांडेय को हटाकर अब बाहरी कंपनी को तैयारियों के लिए हॉयर किया है।
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