रीवा। विंध्य क्षेत्र की राजधानी रही रीवा जिले में तमाम ऐसे प्राकृतिक दृश्य है जो रीवा की अलग पहचान देश भर में बनाए हुए है। रीवा राजघराने का इतिहास भी रीवा को अलग पहचान देता है और इन इतिहासों को संजोकर रखने वाला बघेला म्यूजियम में राज घराने की विरासत आज भी सुरक्षित है। यहां आकर वर्ष भर पर्यटक इसका भ्रमण करते है। बता दे कि किसी भी शहर की सुंदरता तब और बढ़ जाती है जब उस शहर की विरासत संजोकर रखी जाए। रीवा का बघेला म्यूजियम उनमें से एक है, जो अपने आसपास की विरासत को आज भी संभालकर रखे हुए है। जहां पर सैकड़ों वर्ष पुरानी चीजें आज भी संरक्षित और सुरक्षित हैं। झूमर को सवा सौ वर्ष पूर्व बेल्जियम से मंगाया गया था। जो देखने में बहुत ही खूबसूरत है और लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वहीं रीवा 17वीं सदी में रीवा में लाया गया राज सिंहासन जिसकी गद्दी पर कोई महाराजा बैठा ही नहीं वह भी इस म्यूजियम में सुरक्षित है। इसके अलावा कई ऐसी अन्य चीजे भी यहां सुरक्षित है जो रीवा राज्य को एक अलग राज्य की पहचान दिलाती थी। 13वीं साताब्दी में बनाया गया राज सिंहासन को बांधवगढ़ से 17वीं शताब्दी में रीवा लाया गया था, इस सिंहासन के संबंध में बताया जाता है कि इसे बनवाया तो जारूर गया लेकिन 34 महाराजाओं में से कोई भी इस सिंहासन की गद्दी में कोई बैठा नहीं है। इसकी भी कथा बताई जाती है कि भगवान राम ने राज्य का बटवारा किया था, जिसमें यह क्षेत्र भगवान लक्ष्मण के हिस्से में आया था। दो और सिंहासन है जो लाख के बनाए हुए है। रीवा रियासत लाख के खिलौने के लिए जाना जाता था, यहां के कारीगरों ने ही यह सिंहासन बनाया था, हालांकि सोचनीय है कि अब इस प्रकार के कारीगर नहीं है। हाथी दात सिंहासन भी यहां है जो विश्व में एक ही है।
देश में ऐसे झूमर मात्र चार——
महाराजा विश्वनाथ सिंह ने अपने शासन काल में इस प्रकार के चार झूमर मंगवाए थे। जिनमें से एक झूमर रीवा रियासत में, दो झूमर ग्वालियर राज घराने में और एक झूमर हैदराबाद में है। यहां की रियासत में जो झूमर है वो सफेद रंग का है बांकी तीनों अन्य झूमर अलग-अलग रंग जैसे के गुलाबी और लाल रंग में हैं। इस झूमर में 101 बल्ब लगे हुए हैं। आज भी झूमर अपनी चमक बरकार रखे हुए है जिसे देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि यह सैकड़ों वर्ष पुराना होगा। यह झूमर महाराजा विश्वनाथ सिंह के समय राज दरबार में लगाने के लिए मंगाया गया था।
इन हथियारों से हो गई अलग —–
बघेला म्यूजियम में कई ऐसे हथियार है जो बाहर से दिखते कुछ और है अंदर से कुछ और। जैसे कुल्हाड़ी में बंदूख, कटार में बंदूख,छडि़ में बंदूख व पेन पिस्टल अलग पहचान दिलाती है। फिल्म अशोका में अभिनेता शहरूख खान द्वारा उपयोग की गई तलवार के अलावा फिल्म में उपयोग की गई करीब 10 तलवारे यहां रखी हुई है। सफेद बाघ भी यहां संरक्षित है। राजदरबार में महाराजा गुलाब सिंह के लिए उपयोग किए जाने वाले संगमरमर के बर्तन भी यहां संरक्षित है, इसकी खासियत यह थी कि इसमें किसी भी प्रकार का जहर मिलाने पर वह सफेद से हरे को जाते थे। जिसमें जहर मिलाने पर वह सफेद से हरे हो जाते थे। रीवा में बनाए गए शिक्के, जिसे मुगल शासक अकबर ने मुगल शिक्कों के बराबरी का दर्जा दिया था, ऐसा अकबर ने तानसेन को दिए जाने के बाद किया था। टी सेट है जिसे खोलने पर करीब सात सेकंड म्यूजिक बजता है, वहीं राजघराने की कारागार में कैद कैदियों का दिया हुआ ताला भी म्यूजियम में सुरक्षित है जिसे खोलने का प्रयास करने पर हाथ बध जाता है। मूर्तियों का संरक्षण भी यहां किया गया है।
रीवा आए तो यहां जरूर घूमें…
पर्यटकों के लिये रीवा मेँ विभिन्न आकर्षण केन्द्र है जैसे बघेला म्यूजियम, बाणसागर बाँध, व्यंकट भवन, उपरहटी का किला, रानी तालाब, कोठी कंपाउण्ड (महामृत्युंजय धाम), चिरहुला दरबार मंदिर, रामसागर मंदिर, विशाल, भैरो बाबा, भगवान बसावन मामा आदि बहुत है। रीवा में अत्यंत सुन्दर प्राकृतिक सुंदरता से ओतप्रोत जलप्रपात है, जो अपनी सुंदरता से किसी के भी मन को मोह लेते है, जैसे चचाई जलप्रपात, क्योटी जलप्रपात, बहूती जलप्रपात, पूर्वा जलप्रपात, बलौची जलप्रपात आदि। रीवा में नदियों की बात करे तो रीवा का प्राण कहलाने वाली टमस नदी जो किसानों के लिये मां के समान है, बीहर व बिछिया नदी भी रीव मे है।
०००००००००००००००००००००