रीवा। प्रदेश सहित जिले में धान उपार्जन का कार्य चल रहा है। सेवा सहकारी समिति में बैठे मगरमच्छों की दिन फिर आये हैं। धान बेचने आये किसानों के खून पसीने की कमाई को डकार रहे हैं। किसान चीख रहे है और जिला प्रशासन लाचार सा दिख रहा है। राजनीति के शरण में पड़े मगरमच्छों को टस से मस नहीं कर पा रहा। ऐसा ही एक मामला जिले के गोविंदगढ़ क्षेत्र का है, बांसा स्थित धान खरीदी केंद्र बी में बैठा मगरमच्छ किसानों का जमकर शोषण कर रहा है। जिसकी शिकायत किसानों ने कलेक्टर तक से की और उसे हटाये जाने की मांग की। लेकिन राजनैतिक संरक्षण में पल रहे केंद्र प्रभारी अनिल चतुर्वेदी को नहीं हटा पाये। जबकि उनके विरुद्ध लामबंद किसानों ने बताया कि वह बिना चढ़ोतरी के किसानों की धान की खरीदी नहीं करते। जिनकी चढ़ोतरी मिल गई उनके तौल शीघ्र हो जाती है और जिनसे चढ़ोतरी नहीं मिलती उनको अपना धान बेचने के लिए केंद्र में तीन-तीन, चार-चार दिन तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है।शिकायतकर्ताओं ने बताया कि केंद्र प्रभारी अनिल चतुर्वेदी के विरुद्ध गोविंदगढ़ थाना के अपराध रजिस्टर में क्रमांक 142 में 29 मई 18 को ठगी का अपराध दर्ज किया गया था। गेंहू उपार्जन के दौरान केंद्र प्रभारी अनिल चतुर्वेदी द्वारा नान एफएक्यू गेंहू का क्रय किया जाकर कृषकों के नाम से उपार्जन दिखाकर उपार्जित किया गया था। जिसमें राज्य स्तरीय जांच दल के निरीक्षण में अनियमितता पाई गई थी। जिस पर केंद्र प्रभारी अनिल चतुर्वेदी के विरुद्ध गोविंदगढ़ थाना में एफआईआर दर्ज करवाई गई
ठगी का मामला दर्ज होने के साथ ही अनिल चतुर्वेदी को उपार्जन कार्य से पृथक कर दिया गया था। जिससे एक ओर अनिल की ऊपरी आय में संकट पड़ गया वहीं उसके दलालों की दलाली बंद हो गई। अपनी बाजार को चमकाने के लिए अनिल चतुर्वेदी ने असमाजिक तत्वों एंव दलालो का सहारा लिया और केंद्र में जमकर उपद्रव करवाने के साथ ही धरना प्रदर्शन करवाया। जिस पर तत्कालीन खाद्य अधिकारी ने पुलिस की मदद से अनिल चतुर्वेदी को केंद्र पर आने से रोक लगा दी थी, तब जाकर मामला शांत हुआ।
गोविंदगढ़ बांसा केंद्र क्रमांक बी के प्रभारी अनिल चतुर्वेदी के कारनामों को यदि उजागर किया जाये तो एक लंबी कुंडली निकल कर सामने आयेगी। किसानों का शोषण करने में अनिल चतुर्वेदी कहीं भी चूक नहीं कर सकते। उनका एक वीडियों भी वायरल हुआ है, जिसमें वह धान उपार्जन के दौरान किसान से रिश्वत लेते हुये कैमरे में कैद किये गये है। सोच का विषय यह है कि ऐसे भ्रष्ट लोगों के हाथों आखिर प्रशासन ने खरीदी केंद्र की कमान क्यों सौंप रखी है? इस संबंध में केंद्र प्रभारी अनिल चतुर्वेदी से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नही हो सका।
इधर खाकी पर भी उठे सवाल…इन दिनों चुनावी माहौल के साथ ही धान खरीदी भी चल रही है। यह वह अवसर है जिस पर लोग आपसी दुश्मनी भुनाने का उपयुक्त समझते हैं। एक-दूसरे को फंसाने के लिए एसपी, कलेक्टर तक की घंटी खनखनाने में कोई हीलाहवाली नहीं करते। ऐसा ही एक मामला तराई अंचल के जवा थाना क्षेत्र का आलोक में आया है। जहां परिवारिक विवाद में खाकीधारियों के ही गले में फंदा डाल दिया। इतना ही नहीं पुलिस विभाग के आला अधिकारियों तक के मोबाइल की घंटी खनखना दी। बताया जाता है कि एसपी ने आरोपित तीनों पुलिस कर्मियों को बुलाकर फटकार लगाई। मिली जानकारी के अनुसार जवा थाना अंतर्गत ग्राम डोड़ो में छोटे सिंह एंव राघवेंद्र सिंह के बीच परिवारिक रंजिश चल रही है। दोनो ही लंबे काश्तकार हैं। शुक्रवार की शाम छदहना गांव से ट्रेक्टर-ट्राली में धान लोड़ कर चालक ग्राम डोडो की ओर आ रहा था। उसी दौरान विरोधी पक्ष का राघवेंद्र सिंह ने ट्रेक्टर-ट्राली बीच रास्ते में रोक ली और उसकी चाबी छीन लिया। दोनो ही पक्षों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो गई। जिसकी जानकारी लगते ही मौके पर जवा एंव पनवार थाना की पुलिस भी पहुंच गई। इस बीच राघवेंद्र सिंह मौके से भाग निकला और उल्टा पुलिस सहित विरोधी छोटे सिंह को फंसाने के लिए ऊपर तक घंटी खनखना दी। बताया कि पनवार थाना में तैनात प्रधान आरक्षक शिवाजीत मिश्रा, आरक्षक धनंजय पांडेय और जवा थाना में पदस्थ आरक्षक सौरव सिंह ने मिलकर यूपी से लाई जा रही अवैध धान से लोड ट्रेक्टर-ट्राली को छोड़ दिया है जिसके एवज में उनसे लंबा सौदा किया है। इस बात की जानकारी लगते ही रात्रि में पुलिस और राजस्व अमला दौड़ पड़ा। दौड़ भाग के बाद यह बात निकल कर सामने आई कि परिवारिक विवाद के चलते एक पक्ष दूसरे पक्ष का धान पकड़वाना चाहता था। जब अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हुआ तो पुलिस कर्मियों के गले में फंदा डाल दिया।