वीरेंद्र सिंह सेंगर(बबली),रीवा। जिले में शराब दुकानों का ठेका पर्दे के पीछे एक सफेदपोश नेता चला रहा है, जो पूर्व विधायक होने के साथ ही निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष है। मुखौटे पर अपनी विश्वसीनय आदमी को बैठा कर समूहों की जि मेवारी शातिर तस्करों को दे रखी जो उसी के आस्तीन के सांप बने बैठे हैं। जो लंबे समय से रीवा में सीधी, शहडोल और सिंगरौली से अवैध शराब की खेप मंगा कर अपना एक अलग ही कारोबार जमाये हुये थे। इस बात का खुलासा तब हुआ जब आबकारी टीम ने सिंगरौली से आई अवैध शराब के साथ एक आरोपी को धर दबोचा। हालांकि आबकारी विभाग इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रही है। लेकिन सूत्रों ने जो जानकारी दी उससे एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ, जिसमें ठेकेदार के आस्तीन के सांप के साथ ही एक टीआई के ससुर का भी नाम सामने आ रहा है। जिला सहायक आबकारी आयुक्त विक्रमदीप सांगर ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर सोमवार की सुबह नये बस स्टैंड के पहले ही सिंगरौली से आ रही मिश्रा ट्रेवल्स बस क्रमांक एमपी 19 पी 1278 को रोक कर तलाशी ली गई। सूचना के अनुसार आबकारी अमले ने तस्कर सुशांत सिंह पिता आनंद सिंह निवासी ग्राम बडख़रा थाना चुरहट को हिरासत में लेकर तलाशी ली गई। तलासी के दौरान आरोपी से तीन अलग-अलग बैगो में से 12 बोतल बोकार्डी रम, 12 बोतल रॉयल चैलेंज, 14 बोतल ऑफिसर चॉइस, 1 बोतल बैगपाइपर एंव 150 पाव गोवा ब्रांड की विदेशी शराब मिली है। आरोपी के विरुद्ध मप्र आबकारी अधिनियम 1915 संशोधित 2000 की धारा 34 (2) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर न्यायालय में पेश कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है। उक्त कार्रवाही में आबकारी उप निरीक्षक अ सर्किल प्रभारी अभिमन्यु पाठक, ब सर्किल प्रभारी अभिषेक त्रिपाठी, चाकघाट सर्किल प्रभारी आशीष शुक्ला सहित आबकारी अमला मौजूद रहा।
आबकारी टीम की दबिस के दौरान मौके से एक आई 20 कार भाग निकली। सोच का विषय यह है कि आबकारी टीम ने जैसे ही सिंगरौली से आई बस की घेराबंदी की तो वहां बस के इंतजार में खड़ी आई 20 कार क्यूं भाग निकली। यदि हम सूत्रों की बात माने तो उस कार में रायपुर कर्चुलियान शराब दुकान समूह में ठेकेदार के पार्टनर बने विधायक के पर्सनल सीक्रेट्री के ग्राम बुढिय़ा निवासी हमराह का भतीजा सवार था। बताया जाता है कि बुढिय़ा निवासी हमराह अपने भतीजे से रायपुर कर्चुलियान क्षेत्र के साथ ही रीवा शहर में शराब की होम तस्करी करवा रहा है। जिसका संपर्क सिंगरौली के गोरगी शराब कारोबारी से है और वहां से अवैध शराब की खेप मंगा कर यहां तस्करी करवा रहा। सूत्र तो बताते है कि इस गोरखधंधे में भतीजे के साथ ही चाचा का भी हाथ है। जो रायपुर कर्चुलियान शराब दुकान की आड़ में अपना अवैध कारोबार चला रहा। इतना ही नहीं शहर में कई ऐसे तस्कर हैं जो जिले के बाहर से अवैध शराब की खेप लाकर शहर की गलियों में होम डिलेवरी करते हैं। जिन पर आबकारी विभाग की नजर नहीं पड़ रही है या फिर आबकारी अमला जानते हुये भी मुंह मोड़ रखा है। आबकारी विभाग ने अवैध शराब की खेप तो पकड़ ली। रीवा के ठेकेदार को डसने वाले एक सपोले को भी पकड़ कर पिटारे में बंद कर दिया। अब सवाल यह उठता है कि क्या उस बामीं को खोद कर असली सांप को पकड़ कर पिटारे में कैद करेगा? जिसके बांमी से निकले सपोले रीवा में तस्करी कर ठेकेदार को राजस्व की हानि करने के लिए बराबर डस रहे है। ऐसा नहीं है कि पकड़ा गये तस्कर ने आबकारी टीम के आगे कई राज न खोले होंगे लेकिन इस संबंध आबकारी अमला गोलमोल जबाब दे रहा है। यदि हम सूत्रों की बातों पर भरोसा करें तो तस्करी कर लाई गई शराब की खेप सिंगरौली जिले के गोरगी शराब दुकान की है। जिसके लाईसेंसी ठेकेदार रीवा निवासी एक टीआई के ससुर है। लोग बताते है कि शराब दुकान में टीआई का पैसा लगा हुआ है जो ससुर को मुखौटा बना कर लाईसेंसी बना रखे है। उनके साथ ही रीवा का एक ऐसा भी चेहरा है जिसका कारोबार भी शराब से जुड़ा हुआ है। अमूमन मप्र आबकारी अधिनियम 1915 संशोधित 2000 की धारा 34 (2) के तहत पुलिस उस शराब ठेकेदार को ाी आरोपी बनाती है जिस दुकान से अवैध शराब की सप्लाई होती है। लेकिन यहां आबकारी अमला तस्कर तक ही कार्रवाई करके सिमट गई, जो सोच का विषय है।
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