रीवा। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन एवं प्रदेश अध्यक्ष मंजुल त्रिपाठी के आव्हान पर विधि महाविद्यालय रीवा में एनएसयूआई छात्र नेता मानवेन्द्र सिंह गहरवार के नेतृत्व में देश व्यापी मुहिम शिक्षा बचाओ-देश बचाओ के तहत हस्ताक्षर अभियान चलाया गया, देश व्यापी हस्ताक्षर अभियोजन में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं भाग लिया और अपने-अपने हस्ताक्षर किए। मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र एवं प्रदेश सरकार की गलत नीतियों व अव्यवस्था के कारण छात्र-छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जिसको लेकर सम्पूर्ण देश मे हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। हस्ताक्षर अभियान में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं ने यह मांग की है कि शिक्षा व सरकारी उपक्रमों का निजी करण बंद हो, नई शिक्षा नीति जिसमें गरीब, मध्यम वर्ग के छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने से वंचित हो रहे हैं वह बंद की जाए, विभिन्न परीक्षा में हो रहे घोटाले बंद हो, बेरोजगार युवा एमपीपीएससी व विभिन्न परीक्षायें देने के बाद भी इधर-उधर भटकते रह जाते हैं उन्हें शीघ्र ज्वायनिंग दी जाए, प्रतियोगी परीक्षाओं में छूट दी जाए क्योंकि कई परीक्षाएं काफी देर से आयोजित की जाती हैं, व्यवस्था की जाए कि छात्र अपनी शिक्षा ग्रहण करने के बाद रोजगार प्राप्त कर सकें, स्कॉलरशिप में हो रही कटौती बंद हो ताकि छात्र अपनी शिक्षा विधिवत रूप से ग्रहण कर सकें।
मानवेन्द्र सिंह ने आगें कहा कि नई शिक्षा नीति के कारण छात्र-छात्राओं को शिक्षा से दूर होना पड़ रहा है, शिक्षा व सरकारी उपकरणों के निजीकरण बन्द हो, प्राइवेट विद्यालयों के प्रोत्साहन के कारण सरकारी विद्यालय एवं महाविद्यालय की स्थिति दयनीय हो गई है, भारी भरकम फीस के कारण छात्र छात्राएं निजी प्राइवेट विद्यालय-महाविद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाते हैं और शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है की भाजपा सरकार छात्रों की शिक्षा के प्रति कोई चिंतित नहीं है जिसको लेकर छात्रों द्वारा यह अभियान पूरे जिले के महाविद्यालय में चलाया जाएगा। देश व्यापी हस्ताक्षर अभियान में मुख्य रूप से रूकमणी सिंह, उदय प्रकाश तिवारी, देवेन्द्र सेन, सौरभ गौतम, अभिनय त्रिपाठी, नीरज साहू, शुभम सेन, रिया सिंह, अमृता मिश्रा, विकाश दुबे, वैशाली सिंह, वैशाली मिश्रा, अर्पित सिंह चन्देल आदि छात्र-छात्रायें शामिल रहें।
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