भोपाल। प्रदेश भर में चल रहे डायल-100 के वाहन मेंटिनेंस के अभाव में कबाड़ होते जा रहे है, वाहनों की कंडम स्थिति का अंदाजा उनको देख कर तो लगाया ही जा सकता है बीच बीच में इन हकीकतों को बयां करती कुछ तस्वीरें भी वायरल हो ही जाती हैं। के बार तो घटना स्थल में पहुंचने के बाद वाहन के स्टार्ट न होने से पुलिस कर्मी परेशान हुए है। लगभग हर जिले में यही हाल है। इन्ही समश्याओ के बीच सरकार ने इन वाहनों का दायरा बढ़ाने का फरमान जारी किया है इतना ही नही इन वाहनों में अत्याधुनिक सुविधा देने की भी बात की जा रही है। जबकि इन वाहनों को मेंटिनेंस की दरकार है। तो हम इस खबर में आपको बताने जा रहे है कि सरकार का किया दावा है…डायल-100 में एफआरवी (फ्रस्ट रिस्पांस व्हीकल) वाहनों की संख्या बढ़ाई जा रही हैैं। मौजूदा 1000 वाहनों को बढ़ाकर अब 1200 किया जा रहा है। निविदा अवधि में वाहनों की संख्या 2000 तक बढ़ाने की सीमा भी निर्धारित की गई है। नए वाहन अत्याधुनिक कैमरों और सुविधाओं से लैश रहेंगी। मध्यप्रदेश सरकार ने नए वाहनों को मंजूरी दे दी है और जल्दी इसको लेकर निविदा जारी की जाएगी। डायल 100 सेवा का वर्तमान डाटा सेंटर, स्टेट डाटा सेंटर में शिफ्ट करने का प्रावधान है। मैप आईटी के डिजास्टर रिकवरी सेंटर उपयोग में आने से कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं आएगा। सभी एफआरवी वाहनों में डैस बोर्ड कैमरा, ड्यूटी में तैनात स्टाफ के लिए बाडी वार्न कैमरा लगाया जाएगा। इसे लाइव कंट्रोल रूम से देखा जा सकेगा। दूसरे फेज में वाइस काल के अलावा एसएमएस और सोशल मीडिया पैनिक बॉटम (नान वाइस प्लेट फार्म) से जानकारी प्राप्त होने पर इवेंट तैयार कर एफआरवी वाहन डिस्पैच किए जाने की सुविधा रहेगी।नागरिकों के लिए सभी आपात सेवाओं पुलिस, फायर, एंबुलेंस के लिए एक एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन की सुविधा रहेगी। पुलिस अधिकारियों की सतत निगरानी के लिए अलग मोबाइल ऐप का प्रावधान है। डायल 100 सेवा का अन्य नागरिक सेवाओं जैसे फायर, सीसीटीवी (सेफ सिटी सर्विलेंस सिस्टम) सीसीटीएनएस और वल्लभ भवन के वातावरण के हिसाब से एकीकृत व्यवस्था का प्रावधान है। फोन किए जाने पर बगैर मोबाइल नंबर परिलक्षित हुए, एफआरवी से संपर्क की सुविधा, कॉलर और एफआरवी के मध्य हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग की सुविधा रहेगी। स्टाफ के पास कॉलर का नंबर नहीं जाएगा, बल्कि एक वर्चुअल नंबर जाएगा, जिस पर इवेंट के ओपन रहते स्टाफ कॉलर से संपर्क कर सकेगा। कॉलर को पुलिस स्टाफ से बात करनी होगी, तब भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। निजता और गोपनीयता के मकसद से यह व्यवस्था की गई है। वाहनों में स्ट्रेचर का प्रावधान है, ताकि दुर्घटना की स्थिति में तत्काल अस्पताल पहुंचाया जा सके। राज्यस्तरीय पुलिस कन्ट्रोल रूम कॉलटेकर सीट संख्या 80 प्रति शिफ्ट से बढ़ाकर 100 प्रति शिफ्ट एवं डिस्पैचर संख्या 24 प्रति शिफ्ट से बढ़ाकर 40 प्रति शिफ्ट करने का प्रावधान किया गया है। निविदा अवधि में इनकी संख्या और अधिक बढ़ाने की सीमा निर्धारित की गई है। जीआईएस (ग्लोबल पोस्टिंग सिस्टम) मैप का उन्नयन, कॉलर की लोकेशन की शुद्धता में सुधार के लिए प्राइवेट मैप प्रोवाइडर की सेवाएं
ली जाएंगी।
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