रीवा। जिले भर में ठंड का कहर है, हड़कपाऊ ठंड से लोंगो का हल बेहाल है। हद तो यह है कि इस भीषण ठंड ने इंसान व बेजुबान जानवरो के अलावा अब भगवान को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है। भगवान को सुरक्षित करने के लिए उनको गर्म कपड़ों से ढंका गया है। इतना ही नही सुबह शाम पूजा आरती के साथ भोग लगा कर भगवान के पट को इस भीषण ठंड के चलते बन्द कर दिया जाता है। ताकि इस भीषण ठंड से भगवान सुरक्षित रह सके। यह कोई किस्सा या कहानी नही बल्कि हकीकत है। यह कार्य प्राचीन मान्यताओं के तहत हर वर्ष ही अधिक ठंड पड़ने पर रीवा के देवस्थलों में किया जाता है। रीवा के कई ऐसे प्राचीन मंदिरों में भगवान के लिए यह व्यवस्था है।इसमें सबसे प्रमुख लक्ष्मनबाग मंदिर है। इस मंदिर में यह व्यव्स्था सदियो से चली आ रही है। यहां के पुजारी महाराज ने बताया कि बीच मे जब अधिक ठंड पड़ना शुरू हुई तो वह एक दिन पूजा करने जा ही रहे थे कि अचानक जब वह वहां पहुंचे तो भगवान का सिंघासन में कंपन था, उस दिन ठंड बहुत ज्यादा थी वह स्वयं ठंड से कपकपा रहे थे, उन्होंने कहा कि तुरंत उनके मन मे आया कि भगवान ठंड से कपकपा रहे हैं, इसलिए तत्काल ठंड कपड़े की व्यवस्था कर उन्हें कम्बल, साल सहित अन्य से सुरक्षित किया गया।
इसके अलावा भी रानी तालाब सहित अन्य मंदिरों में यह व्यवस्था की गई है। मन्दिरो में पहुंच रहे श्रद्धालु भी इस सेवा के लिए आगे आ रहड़ तथा वह भी भगवान को इस भीषण ठंड से बचाने हर सम्भव मदद की बात भी कर रहे हैं।
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