रीवा। कोरोना की तीसरी लहर के बीच जहां बढ़ते केसो से हड़कंप मचा हुआ है, वहीं कोरोना के लंबे उपचार के बाद भी चिकित्सक मरीजों की जान नहीं बचा पा रहे हैं। ऐसी ही एक बुरी खबर जिले वासियों के लिए सामने आई है। जिसमें एक किसान की कोरोना ने इस स्थिति में जान ले ली जब उसके द्वारा उपचार के लिए बड़े-बड़े अस्पतालों के दरवाजे खटखटाए गए व करोड़ो की राशि खर्च कर डाली गई। यह करोड़ो की राशि किसान ने अपनी जमीनें बेंचकर खर्च की लेकिन इसके बाद भी उसकी जान नहीं बच सकी। जानकारी के मुताबिक चेन्नई के अपोलो अस्पताल में आठ महीने इलाज के बाद रीवा के किसान धर्मजय सिंह (50) की मंगलवार रात कोरोना से मौत हो गई। उनके इलाज पर करीब 8 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। धर्मजय मई 2021 में कोरोना संक्रमित हुए थे। हालत में सुधार नहीं होने पर उन्हें 18 मई को एयर लिफ्ट करके चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां लंदन के डॉक्टर मॉनिटरिंग कर रहे थे। करीब 254 (8 महीने से अधिक) दिन उनका इलाज चला। उन्हें एक्मो मशीन पर रखा गया था। इलाज पर हर दिन लगभग 3 लाख रुपए खर्च हो रहे थे, जिसके लिए परिवार ने 50 एकड़ जमीन तक बेच डाली। देश में कोरोना का सबसे लंबा इलाज मेरठ के विश्वास सैनी का चला था, जिन्होंने 130 दिन बाद कोरोना को मात दी थी। मऊगंज क्षेत्र के रकरी गांव के रहने वाले धर्मजय सिंह (50) का 30 अप्रैल 2021 को सैंपल लिया गया। इनके भाई प्रदीप सिंह ने बताया कि एक सप्ताह पहले अचानक धर्मजय का ब्लड प्रेशर कम को गया था। डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में भर्ती कर दिया। यहां उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया, तो वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। शुरुआत में उन्हें रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत में सुधार न होने पर 18 मई को एयर एम्बुलेंस से चेन्नई ले जाया गया। तब से वहीं भर्ती थे।
अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती रहे धर्मजय सिंह के फेफड़े 100 प्रतिशत संक्रमित हो गए थे। हालांकि, चार दिन बाद कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गए थे। फेफड़ों में संक्रमण के कारण एक्मो मशीन के माध्यम से उन्हें नई जिंदगी देने की कोशिश की जा रही थी। परिजनों की मानें तो धर्मजय सिंह का इलाज देश-विदेश के डॉक्टरों की मौजूदगी में हुआ। उनको देखने लंदन के मशहूर डॉक्टर अपोलो अस्पताल आया करते थे। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 26 जनवरी 2021 को पीटीएस मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में धर्मजय को सम्मानित किया था। धर्मजय सिंह ने स्ट्रॉबेरी और गुलाब की खेती को विंध्य में विशिष्ट पहचान दिलाई थी। वे कोरोना काल में लोगों की सेवा करते समय संक्रमित हुए थे। परिजनों का दावा है कि 8 करोड़ रुपए इलाज में खर्च हुए हैं। परिवार वालों ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई थी। इसके बाद सिर्फ 4 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली।
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