रीवा। स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 की तैयारी हेतु निगम आयुक्त मृणाल मीना द्वारा अपने शहर रीवा के लिए
कुछ नए प्रयास किये जा रहे हैं जो जनहित में उपयोगी कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में उनके द्वारा रीवा शहर को स्वच्छ्ता में नंबर वन बनाने के लिए नई पहल शुरू की गई है। उनके आदेश पर शौचालयों में क्यूआर कोड लगाया गया है, जिसमें सभी नागरिक शौचालय उपयोग करने के बाद अपना फीडबैक दे सकते हैं, पब्लिक गूगल लेंस से क्यूआर कोड स्कैन करके आसानी से फीडबैक दे सके, जिसका कंट्रोल सिस्टम नगर निगम में होगा और क्यूआर कोड के खराब होने की भी संभावना नहीं है। निगम का दावा है कि नागरिकों को शौचालय उपयोग और उपयोग के बाद उसके फीडबैक देने में नागरिकों को बहुत आसानी होगी और सुविधा भी होगी। हालांकि इस फीडबैक के तरीके को नगर निगम तो आसान मान रह है लेकिन इसको लेकर और भी चर्चाएं हो रही हैं। चर्चाओ के अनुसार इस फीडबैक के लिए सुलभ शौचालय जाने वाले के पास सबसे पहले तो एंड्राइड मोबाइल फोन होना जरूरी है, जिन हितग्राहियो के पास मोबाइल फोन नही होगा वह कैसे कोड को स्कैन करेंगे और कैसे फीडबैक दे सकेंगे।
कहा जा रहा है कि सुलभ शौचालय में जाने वाले अधिकतर लोंगो के पास एंड्रॉइड फोन नही होता है और होता भी है तो वह इस प्रक्रिया को नही जानते और फॉर्म भरना मुश्किल होगा। जिससे वह कैसे फीडबैक दे सकेंगे। क्योंकि ऐसे शौचालय का उपयोग करने वालों में कई अशिक्षित लोंग भी होते है जो बार कोड स्कैन करने के बाद आवश्यक जानकारी उसमे भर नही पाएंगे, जिन्हें स्कैन कर जानकारी भरना आता भी है वह समय का अभाव होने के कारण भी फीडबैक नही दे सकेंगे क्योंकि इस फीडबैक को देने में कम से कम 5 मिंट का समय लगेगा। पूर्व में लगी मशीनो का बटन दबाने हितग्राही समय नही दे रहे थे ऐसे में क्यू आर कोड स्कैन कर फीडबैक लेना निगम के लिए बड़ी चुनौती है। बता दें कि इसके पहले नगर निगम ने जनता से फीडबैक लेने करीब 45 शौचालयों में 12 लाख से अधिक खर्च कर फीडबैक मशीन लगवाई थी जिसमे लाल-पीली और हरी बटन हुआ करती थी इसे दबा कर लोंग आसानी से चंद सेकंड में फीडबैक देते थे, सूत्रों की माने तो भुगतान न होने के चलते इन मशीनो की मॉनिटरिंग नही हुई और यह एक सर्वेक्षण के बाद बैंड हो गई, बीच मे तो निगम प्रशासन मशीनो के खराब होने की बात कर कागज में ही फीडबैक रिपोर्ट भेज रहा था लेकिन इस वर्ष सर्वेक्षण में फीडबैक ऑनलाइन रिपोर्ट मांगी गई है जिसके चलते निगम प्रशासन को फिर से मस्सकत करनी पड़ रही है।