रीवा। जिले में जहां एक ओर उपलब्धियां है तो दूसरी ओर अमानवता के ऐसे ऐसे मामले सामने आ रहे है जो सोच से परे हैं, इतना बेरहम इंसान कैसे हो सकता है यह सोच का विषय है। पशु क्रूरता के मामलो में लगातार जिले में इजाफा हो रहा है। हाल ही में जहां एक गोवंश के पांव काट दिए गए थे वहीं अब पशुओं को बिना दाना-पानी के बाड़े में बेडऩे का मामला प्रकाश में आया है। इस बाड़े में बिना दाना-पानी के भूख और प्यास से बेजुबान मर रहे है। यह कृत्य ग्रामीण क्षेत्र में होने से और लोगो में मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि गौवंश की पूजा करने वाले लोग आखिर उनके साथ इतन बेरहमी कैसे दिखा सकते है। एक लंबे अरसे से लोटनी से चियार के बीच जाने वाले रास्ते में प्रधानमंत्री सड़क से लगभग 50 मीटर दूर कच्ची सड़क के किनारे एक बाड़ा बनाया गया है, जहां लगभग 100 की संख्या में गोवंशों को कैद किया गया है जहां न तो उन्हें किसी प्रकार के छाया की व्यवस्था है और न ही भूसा पानी की व्यवस्था है।
समाजसेवियों ने की कार्यवाही की मांग
समाजसेवी शिवानंद द्विवेदी सहित अन्य ने बताया कि 2 बजे मौके पर पहुंच कर देखा गया तो सभी गोवंश बाड़े के भीतर कैद मिले जिसकी फोटो और वीडियो बनाए गए हैं। बता दे कि आलम यह है कि इस प्रकार की क्रूरता के चलते गौवंश भूखे-प्यासे भर रहे है, इस बाड़े में पड़ी गौवंशो की हड्डिया इस बात का प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे ही हाल रहा तो मध्यप्रदेश में रीवा संभाग पशु क्रूरता का गढ़ बन जाएगा जहां रोजाना कभी बाड़ों में कैद कर दिया जाना तो कभी घाटियों जलप्रपातों में धकेल दिया जाना तो कभी नहरों में उतार दिया जाना तो कभी बेजुबान गोवंशों का मुंह पैर कटीले तार से बांध दिया जाना इस प्रकार की वारदातें रोज होती रहेंगी। इसमें सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार जहां गोवंशों के नाम पर सरकारी गौशालाएं और प्रत्येक गाय के लिए 20 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि दे रही है आखिर वह राशि कहां जा रही है और उन गौशालाओं का क्या हो रहा है? समाजसेवियों और गोवंशों के लिए काम करने वाले एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट ने इस बात का विरोध दर्ज किया है और सरकार से तत्काल ऐसे पशु क्रूरता के मामलों पर कार्यवाही की मांग की है।
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