सीधी. जिला मुख्यालय से लगे जमोड़ी खुर्द गांव में सावन मास शुरू होते ही एक अद्भुत नजारा देखने को मिला है, यहां नाग-नागिन आपस में प्रेम मिलाप करते दिखे, सावन मास के पहले दिन इस प्रकार के नजारे को देखते ही आस-पस के गांव से लोग एक जुट हो गए और जन सैलाब उमड़ पड़ा। देखते ही देखते भीड़ बढ़ती गई और इसका वीडियो भी शोसल मीडिया में वॉयरल कर दिया गया। आस्था रखते हुए सब ने इस वीडियो की सराहना की और नाग देवता के दर्शन किए। यह वीडियो शोसल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया गया कि गांव में करीब 4 घंटे तक नाग-नागिन का जोड़ा प्रेमालाप करते हुआ नजर आया। प्रेम में मुग्ध यह जोड़ा बिना किसी परवाह के प्रेम में लीन नजर आया। बता दे ंकि दूसरी ओर इस प्रकार के जोड़े को देख लोग दहसत में भी रहे, करीब 3 घंटे तक प्रेम मिलाप चलता रहा।
nn
nn
nn
nn
सीधी.श्रावण मास का शुभारंभ आज मंगलवार से हो चुका है। श्रावण मास में शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा-अर्चना के लिए उमडऩा शुरू हो गई है। प्रशिद्ध शिव मंदिर बढ़ौरा एवं नीलकंठ मौहार मंदिर में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ी। दोपहर तक सभी मंदिरों में जलाभिषेक करनें वाले भक्तों की काफी संख्या रही। मालूम रहे कि अधिमास के चलते इस बार श्रावण दो महीने का है। इसके चलते दो महीने तक प्रशिद्ध शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। श्रावण सोमवार को श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ प्रशिद्ध मंदिरों में उमड़ेगी। इस वजह से पुलिस को भी खास इंतजाम करना पड़ेगा। हमारे शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है। भगवान शिव को श्रावण का महीना अत्यंत प्रिय है। यह बात स्वयं भोलेनाथ ने कही है। श्रावण मास वर्षा एवं हरियाली का समय होता है और यह अति मनमोहक समय होता है। श्रावण मास का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है, लेकिन श्रावण मास में सोमवार का विशेष फल है। श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ का पूजन-अर्चन करने तथा जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, जप इत्यादि का विशेष फल है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान भोलेनाथ की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस श्रावण मास में रामचरित मानस एवं राम नाम संकिर्तन का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण के महीने में माता पार्वती ने तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था, इसलिए भी भगवान भोले नाथ को यह मास अत्यधिक प्रिय है। दूसरी मान्यता के अनुसार समुद्र मन्थन के समय समुद्र से निकले हलाहल विष को भगवान भोलेनाथ अपने गले में धारण किया, जिससे उनके गले में हो रही जलन को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इससे उनको उस हलाहल विष के प्रभाव से शांति मिली और वह प्रसन्न हुए। तब से भगवान शिव को जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। श्रावण मास में सोमवार व्रत या अन्य व्रत शुरू किया जा सकता है। इस मास में जो व्यक्ति सोमवार को विल्वपत्र एवं दूध-दही, घी, शहद, गन्ने का रस इत्यादि से भोलेनाथ का अभिषेक करता है, भोलेनाथ उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। श्रावण मास में पार्थिवलिंग पूजन का विशेष महत्व होता है। जिन भक्तों को पुत्र की कामना होती है, वो पार्थिवलिंग पूजन करें, शिवार्चन करें और गाय के दूध से अभिषेक करें, इससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो भक्त रोग, शोक से पीड़ित हों, वह भगवान भोलेनाथ को गंगाजल एवं कुश मिश्रित जल से अभिषेक करें। सुहागिन स्त्रियां अपने पति एवं पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रख सकती हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे पति को प्राप्त करने के लिए सोमवार व्रत करती हैं, जो भक्त जिस कामना को लेकर भोलेनाथ के दरबार में जाता है और श्रद्धा से पूजन-पाठ करता है, उसकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।