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रीवा। जेल में कई वर्षों से सजा काट रहे कैदियो को गणतंत्र दिवस के दिन सरकार ने स्वतंत्रता दे दी, अब यह कैदी जेल की चार दीवारों से बाहर समाज के साथ एक आम जीवन व्यतीत कर सकेंगे। जेल से मिली स्वतंत्रता को लेकर कैदियो में काफी खुशी रही। लंबी सजा काटने के बाद जब वह परिवारजनों के पास पहुंचे तो उनकी आंखें भर आईं। जेल परिसर में ही उनके आंसू बाहर निकल पड़े, निकले भी क्यों न कहिर इतने वर्षों बाद आजादी जो मिली थी। बता दें कि पूर्व से मिली सूचना के अनुसार जेल के बाहर परिजनों की भीड़ जमा हो गई थी, जिसके बाद जेल प्रबंधन द्वारा कैदियों को शासन की गाइड लाइन व कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए छोड़ा गया। जेल से कुल 19 कैदियो को रिहा किया गया है जिसमे 18 पुरुष व 1 महिला कैदी शामिल रही।
लाठी के सहारे आये बाहर….
बता दें कि गणतंत्र दिवस पर जिन कैदियो को रिहा किया गया है उनमें कैदी 22 वर्ष से लेकर 29 वर्ष तक कि सजा काटने वाले थे। कीच कैदी तो इतने बुजुर्ग जो गए है कि जब गए तो वह अपने पैरों पर चल कर थे लेकिन लौटते में उनको लाठी का सहारा लेना पड़ा। 23 वर्ष 9 माह 1 दिन की सजा काट निकले 84 वर्ष के सीधी निवासी हुब्बलाल सबसे अधिक उम्र के कैदी थी जिनको स्वतंत्रता मिली। इसके अलावा 73 वर्षीय डभौरा निवासी केदारनाथ द्विवेदी जो 29 साल 6 माह 11 दिन की सजा काट के बाहर आये। इसी प्रकार एह होने वाली महिला कैदी सीधी निवासी राजमंती साकेत भी 65 वर्ष की थी, जो 23 वर्ष 9 माह 16 दिन की सजा काट बाहर निकली हैं। इसी प्रकार चुरहट सीधी के रहने वाले लल्लू कोल सबसे कम उम्र के कैदी रहे जो 22 साल 11 दिन की सजा काट 39 वर्ष की उम्र में बाहर निकले। अन्य कैदी भी अधेड़ आयु के ही थे।
अच्छे व्यवहार से मिली रिहाई
बता दें कि शासन के आदेश पर इन कैदियो को अच्छे व्यवहार के चलते रिहा किया गया। सजा के दौरान इनका व्यवहार जेल में ठीक रहा एयर इनमे सुधार रहा जिसके बाद इनको रिहा करने का निर्णय लिया गया। बता दें कि प्रदेश भर में इस गणतंत्र दिवस पर 10 सेंट्रल व 51 जिला जेलों से 215 कैदियो को रिहा किया गया है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे इन कैदियो को 14 वर्ष पूरा होने पर माफी दी गई है।