जबलपुर/सीधी। जिले के चुरहट थाना में पदस्थ टीआई सतीश मिश्रा को लेकर हाईकोर्ट की द्वारा की गई तल्ख टिप्पणी को लेकर लोगो के भी काफी चर्चाएं हो रही है। टीआई की कार्यप्रणाली पर भी इस टिप्पणी के बाद सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने एसपी सीधी को अनुशासनात्मक के लिए आदेशित किया है। जानकारी के मुताबिक सीधी जिला के चुरहट थाना निवासी सुखेन्द्र चतुर्वेदी पर 2008 में भादवि की धारा 420 व अन्य के तहत धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया था। इसी मामले में अग्रिम जमानत के लिए याचिका हाईकोर्ट में दायर कर अधिवक्ता जय शुक्ला ने आवेदन प्रस्तुत किया था। बार-बार हाईकोर्ट द्वारा इस संबंध में एसएचओ को केस डायरी प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया गया लेकिन उनके द्वारा नहीं किया गया। जब हाईकोर्ट ने हलफनामे में स्पष्टीकरण मांगा तो उनके द्वारा यह जवाब प्रस्तुत किया गया कि कार्यक्रमों की व्यस्तत के कारण वह केस डायरी प्रस्तुत करना ही भूल गए। हाईकोर्ट ने इस जवाब पर काफी नाराजगी व्यक्त की है और पुलिस अधीक्षक सीधी द्वारा जांच की जाए, इतना ही नहीं तीस दिनों के भीतर न्यायालय महापंजीयक को थाना प्रभारी चुरहट सतीश शुक्ला पर की गई कार्यवाही से अवगत कराने की बात भी कही है।
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी…
मप्र हाईकोर्ट ने इस मामले पर टीआई एसएचओ द्वारा दिए गए व्यस्तता के बहाने का दिए गए जवाब को लेकर तल्ख टिप्पणी की है, जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने एसएचओ के जवाब पर आपत्ति जताते हुए साफ कहा है कि टीआई सतीश मिश्रा द्वारा दिए गए जवाब को देख प्रथम दृष्टया वह पुलिस सेवा में बने रहने योग्य नहीं हैं, क्योंकि उनकी याददाश्त कमजोर है। इनके खिलाफ जांच की जाए क्योंकि आदेश के बाद भी उन्होंने केस डायरी पेश नहीं की जो कोर्ट के कार्य में बाधा डालने जैसा ही है।
जमानत अर्जी निरस्त
बता दें कि इस मामले में लगी जमानत अर्जी को भी हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। वहीं इस मामले के सामने आने के बाद लोगो के बीच भी तरह-तरह की चर्चाएं है, थाना प्रभारी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जा रहे है। बता दें कि रीवा में पदस्थापना के दौरान भी वह विवादों में फंसे थे, मनगवां थाना में उनकी पदस्थापना थी जबकि उनका निवास प्रमाण पत्र भी यहीं का था, मामला उजागर होने के बाद उनको हटाया गया था।
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