रीवा। मेडिकल कॉलेज रीवा के साथ एक और बड़ी उपलब्धि जुडऩे की तैयारी है। यहां नि:संतान दम्पतियों की कोख हरीभरी की जाएगी। आईवीएफ सेंटर खोला जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य शिक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव मांगा है। रिपोर्ट जा चुकी है। अब सिर्फ तैयारियां शुरू करने की बारी है। ज्ञात हो कि नि:संतान दम्पितियों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई दम्पत्ति इलाज में लगने वाले खर्च के कारण बच्चों की चाहत पूरी नहीं कर पाते। सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ, टेस्ट ट्यूब बेबी आदि की सुविधाएं नहीं है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना इन गरीब दम्पति के लिए संभव भी नहीं है। ऐसे में इन गरीब परिवार की कोख भरने और घर को बच्चों की किलकालियों से हराभरा करने की तैयारी सरकार करने जा रही है। अब मेडिकल कॉलेज में भी आईवीएफ सेंटर की शुरुआत की जाएगी। इसकी घोषणा भी स्वास्थ्य मंत्री ने कर दी है। मेडिकल कॉलेजों को पत्र पहले ही लिखा जा चुका है। आईवीएफ सेंटर के स्थापना को लेकर कार्ययोजना मांगी जा चुकी है। रीवा भी इस दौड़ में शामिल हो चुका है। रीवा मेडिकल कॉलेज को भी आईवीएफ सेंटर के लिए चुना गया है। यहां भी आईवीएफ की सुविधा नि:संतान दम्पतियों को मिलेगा। प्रस्ताव शासन के पास भेजा जा चुका है। जल्द ही इस पर अमल शुरू हो जाएगा।
यह जानकारी मांगी गई…
आईवीएफ सेंटर से जुड़ी सारी जानकारी मेडिकल कॉलेज से मांगी गई है। जीएमएच में संचालित गायनी विभाग की एचओडी ने जानकारी भी प्रबंधन को उपलब्ध करा दी। कॉलेज प्रबंधन ने जानकारी को भोपाल भेज दिया है। भेजी गई जानकारी में मरीजों की संख्या, स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रचर में आने वाले खर्च की जानकारी दी गई है। इसके अलावा कितने डॉक्टर और स्टाफ की जरूरत होगी। यह भी बताया गया है।
स्टाफ और डॉक्टर मिलेगी टे्रनिंग
आईवीएफ सेंटर शुरू करने के पहले तैयारियां करनी होगी। इसके लिए डॉक्टर व स्टाफ को अलग से ट्रेनिंग की जरूरत होगी। यह अलग तरह का ट्रीटमेंट है। ऐसे में इसमें बिना ट्रेनिंग के कुछ भी संभव नहीं है। डॉक्टरों को भी ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजना होगा। मशीनरी भी जरूरी होगी।
बढ़ती जा रही संख्या
रीवा मेडिकल कॉलेज कई जिलों को कवर करता है। यहां सात जिलों से मरीज पहुंचते हैं। रीवा मेडिकल कॉलेज काफी पुराना और बढ़ा है। यही वजह है कि नि:संतान दम्पति यहां अधिक संख्या में इलाज कराने और डॉक्टरों के पास संपर्क करने पहुंचते हैं। सुविधा न होने पर इन्हें प्राइवेट अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है। यहां ऐसे प्रभावित दम्पतियों की संख्या अधिक है और तेजी से बढ़ रही है। कई दम्पति सिर्फ इलाज न मिलने के कारण मातृत्व और पितृत्व सुख से वंचित हो गए। कईयों की उम्मीद भी टूट रही है। सरकार ने जल्द ही फैसला लिया तो उनकी उम्मीदों को पंख लग जाएंगे।
क्या है आईवीएफ
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट को आईवीएफ ट्रीटमेंट कहा जाता है। पहले इसे टेस्ट-ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था। इस प्रक्रिया का प्रयोग पहली बार 1978 में इंग्लैंड में किया गया था। आईवीएफ ट्रीटमेंट में प्रयोगशाला में कुछ नियंत्रित परिस्थितियों में महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है। जब संयोजन से भ्रुण बन जाता है तब उसे वापस महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। हालाँकि आईवीएफ एक जटिल और महंगी प्रक्रिया है, किन्तु यह प्रक्रिया उन दम्पतियों के लिए बहुत सहायक होती है जो बहुत समय से गर्भधारण की तैयारी कर रहे हैं या किसी कारणवश अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट असफल हो गए हैं।
यहां शुरु करने की तैयारी
स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री ने प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों में आईवीएफ सेंटर शुरू करने की घोषणा की है। इसमें ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, रीवा और सागर मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। यह सारे मेडिकल कॉलेज काफी पुराने हैं। इन सभी मेडिकल कॉलेज से प्रस्ताव और सर्वे रिपोर्ट मांगी गई है।
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