रीवा। कोयले में सरकार ने हाथ काले कर लिए हैं। जंगल और जीव को दांव पर लगा दिया है। एलीफेंट कॉरीडोर तबाह कर दिया गया है। अदाणी पॉवर को एलीफेंट कॉरीडेार में फंस रही 259 हेक्टेयर जमीन सरकार ने स्वीकृत कर दी है। स्वीकृति मिलने ही अदाणी ग्रुप ने पेड़ों को बली चढ़ाना शुरू कर दिया है। दो और परियोजनाएं शुरू हो गई है और एक रनिंग में है। सरकार एक तरफ तो वन्यजीवों को बचाने के लिए अभियान चला रही है। उनके संरक्षण के लिए करोड़ों खर्च कर रही है। वहीं दूसरी तरफ उनका घरौदा ही नष्ट करने में लगी है। कोयला के चक्कर में हाथियों का रास्ता और कॉरीडोर ही तबाह कर दिया गया है। यही वजह है कि सिंगरौली और सीधी में हाथियों ने उपद्रव मचाना शुरू कर दिया है। कारीडोर को सरकार ने नष्ट कर दिया है। 1600 हेक्टेयर से भी अधिक कोरीडोर का हिस्सा कोल ब्लाक के नाम कर दिया गया है। वन विभाग ने एनओसी भी जारी कर दी है। पर्यावरण मंत्रालय ने भी इसमें आपत्ति दर्ज नहीं की। सरकार से इन वन क्षेत्रों को कोल ब्लाक के नाम कर दिया गया है। तीन प्रोजेक्ट हाथियों के कॉरीडोर पर काम करने लगे हैं। उनका आशियाना और आने जाने के रास्तों को उजाड़ दिया गया है। एक और प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। जल्द ही रही सही कसर वह भी पूरी कर देगा। सरकार ने अदाणी पॉवर को कोल ब्लाक आवंटित करने के लिए हाथियों के कॉरीडोर की बली चढ़ा दी। इसकी भरपाई अब संभव नहीं है।
पहले करना था कॉरीडोर का निर्माण
हद तो यह है कि नए कोल ब्लाक आवंटित करने के पहले यह सर्त रखी गई थी कि कोल ब्लाक लेने वाली कंपनी से नए कोरीडोर निर्माण के लिए राशि जमा कराई जाएगी। पहले हाथियों के नए कॉरीडोर का निर्माण कराया जाएगा। जब तक कॉरीडोर नहीं बन जाता तब तक कोल ब्लाक का काम नहीं होगा। हालांकि नया कॉरीडोर बनने से पहले ही कोल ब्लाक के उत्खनन और पेड़ों की कटाई का काम शुरू हो गया है। यही वजह है कि हाथियों का झुंड अब रास्ता भटक रहा है। गांवों में घुस रहा है और लोगों की जान ले रहा है। किसानों की फसले तबाह हो रही है।
कहां कितनी जमीन कोल ब्लाक आवंटन में गई
कोल ब्लाक रकबा कोरीडोर के लिए जमा राशि
अदाणी पॉवर 259 हेक्टैयर 35 करोड़
निगाही कोल ब्लाक 246 हेक्टेयर प्रस्तावित
निगाही परियोजना 424 हेक्टेयर —
सेमरिया कोल ब्लाक 874 हेक्टेयर 35 करोड़
छत्तीसगढ़ से सिंगरौली और सीधी तक जुड़ा है कोरीडोर
हाथियों का कॉरीडोर छत्तीसगढ़ और एमपी से जुड़ा हुआ है। सिंगरौली से सटे छत्तीसगढ़ के रास्ते हाथियों का झुंड यहां आता जाता है। अंबिकापुर, सूरजपुर से इनका रूट जुड़ा हुआ है। सिंगरौली में बैढऩ, सरई आदि पूरा क्षेत्र ही इनके कॉरीडोर का हिस्सा है। अब पूरी सिंगरौली पर ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सिंगरौली से सीधी में संजय टाइगर रिजर्व तक हाथियों का झुंड पहुंच रहा है।
इसीलिए भटक रहे हैं रास्ता
कॉल ब्लाक के चक्कर में सरकार चहेती कंपनियों को उपकृत करने के लिए हाथियों के कॉरीडोर का सौदा कर बैठी है। हाथियों का रहवास और रास्ता नष्ट कर दिया गया है। जंगल काटे जा रहे हैं। यही वजह है कि हाथियों का झुंड आक्रमक होता जा रहा है। आए दिन सिंगरौली में हाथियों के झुंड घर और फसलों को नष्ट कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही जनहानि जैसी बातें भी सामने आ चुकी हैं। हालात यही रहे तो स्थितियां और भवायह होंगी।
और कई पुरानी ब्लाक भी कॉरीडोर पर शुरू
सिंगरौली, बैढऩ में कई कोल ब्लाक चल रहे हैं। कई नामी कंपनियां यहां कोल ब्लाक लिए हुए हैं। इन सभी की नींव हाथियों के कॉरीडोर पर ही रखी गई है। सिंगरौली में पॉवर प्लांट की भरमार है। देश के कई नामी उद्यमियों ने यहां कब्जा जमाया हुआ है। सभी के हाथ इस कृत्य में काले हैं। सरकार तो दूर उद्यमी भी हाथियों और वन्यजीवों की जिंदगी से समझौता करने को तैयार नहीं है। इनका आशियाना रहे या न रहे इसकी चिंता किसी को नहीं है।
राशि जमा कर कोरम पूर्ति कर ली
फिलहाल अदाणी और सेमरिया कोल ब्लाक ने हाथियों के कॉरीडोर के लिए वन्यप्राणी संरक्षण योजना मद में राशि जमा की है। दोनों की कंपनियों ने 35-35 करोड़ रुपए जमा किए हैं। अब तक इन राशि का उपयोग एलीफेंट कॉरीडोर के निर्माण में नहीं हो पाया है। वहीं एक नई परियोजना की फाइल दौड़ रही है।
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