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रीवा। ग़ोविंदगढ़ थाना में रिश्वत लेते पकड़े गए थाना प्रभारी ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा थाने में कई गई कार्यवाही को गलत बताया, उनके इस आरोप ने लोकायुक्त पुलिस को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। तत्कालीन थाना प्रभारी ने कहा है कि उन्हें रंजिसन फसाने का काम सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। उनके द्वारा दिये गए मीडिया को बयान के सामने आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच हुआ है। वरिष्ठ अधिकारियों पर भी मनमानी कार्यवाही का आरोप है।
क्या है मामला…
बता दें कि 13 फरवरी को लोकायुक्त की टीम ने ग़ोविंदगढ़ थाना में कार्यवाही करते हुए थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह सहित प्रधान आरक्षक बबुआ सिंह को थाने में रिश्वत लेते पकड़ा था व आरक्षक राजकुमार को भी आरोपी बनाया गया था। जिसके बाद एसपी नवनीत भसीन ने थाना प्रभारी सहित प्रधान आरक्षक व आरक्षक को निलंबित कर दिया था। निलंबित थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह ने उन पर हुई इन दोनों कार्यवाहियों को गलत बताया है। उन्होंने मीडिया को दिए हुए बयान में कहा कि उन पर की गई यह कार्यवाही गलत है। जब कार्यवाही की गई तो वह थाने में ही थे लेकिन उनके द्वारा कोई रिश्वत नही ली गई और न ही कोई मांग की गई, इस संबंध में लोकयुक्त टीम के पास कोई टेप भी नही ही जिसमे उन्होंने रिश्वत की मांग की हो। उन्होंने कहा कि उन्होंने दो हाइवा को पकड़ा था जिस पर 1.12 लाख का जुर्माना हुआ, जिसके मालिक द्वारा रंजिशन उन्हें फसाया गया। इतना ही नही उन्होंने कहा कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा जबरन उनको आरोपी बना दिया गया और पकड़ लिया गया जबकि उनके हाथ से रुपये भी नही लिए गए। यह एक सोची समझी चाल है जिसमे उनको फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में एक व्यक्ति हाइवा से जुड़ा मिला था लेकिन उनके बीच पैसे के लेन देन को लेकर कोई बात नही हुई न ही आरक्षक राजकुमार को उन्होंने बुलाया न ही बोल था।
निलंबन को बताया गलत
निलबिंत निरीक्षक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि ऐसे बहुत से थाना है जहाँ लोकायुक्त की कार्यवाही हुई है। लेकिन वह आज भी उन्ही थाने में है और काम कर रहे हैं लेकिन उनको कार्यवाही की बात सामने आने के चंद घंटों में निलंबित कर दिया गया। जबकि जहा तक उनको जानकारी है कि लोकायुक्त की कार्यवाही के बाद जब न्यायालय में चालान पेश होता है तब किसी प्रकार की कोई कार्यवाही होती है लेकिन उनको रंजिसन निलंबित कर दिया गया। बता दें कि वीरेंद्र सिंह द्वारा दिये गए बयान के बाद तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोंग उनके बयान को सहित बताकर कार्यवाही पर सवाल खड़ा कर रहे हैं तो कुछ यह भी कह रहे हैं कि कार्यवाही के बाद हर इंसान खुद को निर्दोष बताता है। हालांकि जांच व न्यायालय के फैसले के बाद ही स्पस्ट होगा कि निलंबित निरीक्षक का आरोप कितना सही है और कितना गलत।
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