रीवा। भले ही जन्म देने वाली मां ने बच्चे को पास नहीं रखा, लेकिन उसका लालन पालन करने में डॉक्टरों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जीएमएच के डॉक्टरों ने गंभीर रूप से अस्पताल पहुंचे नवजात की 80 दिन सेवा की। मंगलवार को स्वस्थ्य हालत में नवजात को डिस्चार्ज कर दिया गया। उसे पालना घर के संचालकों के हवाले कर दिया गया। ज्ञात हो कि आए दिन नवजात बच्चे मिल रहे हैं। इन्हें माताएं पालने से इंकार कर देती है। जंगल, झाडिय़ों में फेंक देती है। ऐसे ही एक समय से पहले और 800 ग्राम वजनी नवजात को किसी अज्ञात व्यक्ति ने गांधी मेमोरियअल अस्पताल के शिशु रोग विभाग में छोड़ गया था। नवजात को अस्पताल में डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया। यहां नवजात को मां की कमी महसूस नहीं होने दी गई। पूरे स्टाफ ने ख्याल रखा। केयर टेकर्स और डॉक्टरों ने मां की जिम्मेदारियां निभाई। 80 दिनों तक नवजात बच्चे का जीएमएच के शिशु रोग विभाग में इलाज चला। बच्चा समय से पहले यानि पैदा हुआ था। यही वजह है कि उसे बचाने के लिए डॉक्टरों ने हर संभव कोशिश की। कोई शिफारिस और पहचान नहीं थी, फिर भी बच्चे को डॉक्टरों की टीम ने कोई कमी नहीं होने दी। 80 दिनों बाद नवजात पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गया। इसके बाद नवजात को अस्पताल के शिशु रोग विभाग से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। अब वह अपने नए घर में रहेगा। डॉक्टरों ने उसे अनाथालय प्रबंधन के हवाले कर दिया है। नवजात शिशु को 2 दिसंबर 2021 को भर्ती किया गा था। बच्चे की देखभाल और इलाज में प्रमुख रूप से शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नरेश बजाज, सहायक प्राध्यापक डॉ जितेन्द्र सिंह, सीनियर रेसीडेंस डॉ जनननी, डॉ सरदार विक्रम ङ्क्षसह, डॉ अनुराग, डॉ निकिता और डॉ दीक्षा, नर्सिंग स्टाफ और केयरटेकर्स की महती भूमिका रही। नवजात शिशु से यहां के स्टाफ को एक जुड़ाव सा हो गया था। दूध पिलाने से लेकर उसके सेहत की जांच तक की जिम्मेदारी यहां के स्टाफ ने बखूबी निभाई।
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