सभी ताजा खबरें पढ़ने के लिए कृपया जरूर जुड़े🙏
Join Now
रीवा। महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार को बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है। इस वर्ष किस संयोग में महा शिवरात्रि मनाई जायेगी और किस राशि पर इसका क्या असर पड़ेगा इज़के लिए हमने बात की प्रसिद्ध ज्योतिर्विद राजेश साहनी से, जिन्होंने बताया कि शास्त्र सम्मति है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की रात शिवजी, ब्रह्मा एवं विष्णु के समक्ष करोड़ों सूर्यों से भी तेज ज्योतिमय लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस प्रकार शिवरात्रि का शिव तत्व से घनिष्ठ संबंध है। चारों महारात्रियों में विशिष्ट यह रात्रि अहोरात्र की संज्ञा प्राप्त है जो शिव को अति प्रिय है।
इस वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 1 मार्च को संपूर्ण रूप से निशीथ व्यापिनी है। 1 मार्च, मंगलवार को चतुर्दशी तिथि प्रातः 03 16 ए एम बजे से प्रारंभ होकर 2 मार्च को रात्रि 1:00 (ए एम) बजे तक रहेगी। वर्तमान समय में भारत में निशीथ काल या अष्टम मुहूर्त की कुल अवधि 52 मिनट की है। इस प्रकार 1 मार्च अर्द्धरात्रि से लगभग 26 मिनट पहले और 26 मिनट बाद तक अर्थात अष्टम मुहूर्त में निशीथ काल पूर्णरूपेण व्याप्त रहेगा। अतः ज्योतिषीय गणना के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च को मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
*विशिष्ट संयोगों में इस वर्ष शिवरात्रि*
■■■■■■■■■■■■■■■
इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार के दिन मंगल के ही नक्षत्र धनिष्ठा में मनाया जाएगा जोकि अत्यंत दुर्लभ योग है।वार के साथ उसी नक्षत्र का समावेश होना शिवरात्रि के शुभ मुहूर्त को बलवान बना रहा है। इस वर्ष शिवरात्रि के दिन मकर राशि मैं पंच ग्रही योग का निर्माण हो रहा है, तथा राहु केतु को छोड़कर शेष ग्रह भी शनि की राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं। इसके अलावा समस्त 7 ग्रह राहु और केतु की परिधि के अंदर आते हुए पूर्णरूपेण कालसर्प योग का निर्माण कर रहे हैं। ग्रहों का ऐसा विशिष्ट योग पिछले 110 वर्षों में नहीं देखा गया है।
मकर राशि पर शनि मंगल शुक्र चंद्रमा और बुध गोचर करेंगे तथा कुंभ राशि में सूर्य तथा बृहस्पति का गोचर रहेगा अर्थात पूरे ग्रह शनि की राशियों में भ्रमण करेंगे तथा राहु एवं केतु के मध्य स्थित रहेंगे। साधना उपासना एवं शिव पूजन के दृष्टिकोण से कई वर्षों के पश्चात ऐसी ग्रह स्थितियों में महाशिवरात्रि पर्व का आना असाधारण घटना मानी जा रही है।
*महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त*
■■■■■■■■■■■■■■
शास्त्रीय मतानुसार निशिथ व्यापिनी(रात्रि का अष्टम मुहूर्त) फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का सर्वकल्याणकर व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 1 मार्च को पूर्णतः निशीथ व्यापिनी है, अतः यह व्रत इसी दिन ग्राह होगा। इस दिन मंगल का नक्षत्र धनिष्ठा तथा दूसरे पहर के पश्चात राहु का नक्षत्र शतभिषा संचरण करेगा जोकि शिव पूजन हेतु विशेष है।
—————————— ——————
★ *निशीथ काल पूजा का समय-*
1 मार्च रात्रि11.52 बजे से 2 मार्च 12:42बजे प्रातः तक
(अवधि= 0 घण्टा 49 मिनट)
—————————— ——————–
★ *रात्रि की प्रथम प्रहर पूजा* =सायं 06:07 बजे से 09:11 बजे तक।
★ *रात्रि की द्वितीय प्रहर पूजा* =रात्रि 09:11 बजे से 12:17 बजे तक।
★ *रात्रि की तृतीय प्रहर पूजा* = रात्रि 12:17 बजे से 03:22 बजे तक।
★ *रात्रि की चतुर्थ पहर पूजा* =प्रातः 03:22 बजे से 06:28 बजे तक।
★ *चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ*- 1 मार्च 03:16 ए एम से।
★ *चतुर्दशी तिथि की समाप्ति*- 2 मार्च को 01 00 ए एम तक।
★ *महाशिवरात्रि व्रत की पारणा*- 2 मार्च प्रातः 06 30 बजे के पश्चात।
*ऐसे करें शिव पूजन*
■■■■■■■■■■■
पौराणिक मान्यतायें है कि शिवरात्रि का महाकल्याणकर व्रत रखने से अश्वमेघ यज्ञ तुल्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रातः काल स्नान के पश्चात महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प ले लेना चाहिए। तदुपरांत पंचायतन सहित भगवान शिव का साविधि पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राध्याय के मंत्रों के साथ भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाना चाहिए। संपूर्ण दिन निराहार व्रत रहते हुए रात्रि के चारों प्रहर में भगवान शिव की स्तुतियां, मंत्र जाप एवं सहस्रनाम स्त्रोतों का पाठ करना चाहिए।
शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है।
उल्लेखनीय है कि महाशिवरात्रि वर्ष में पड़ने वाली चार महारात्रियों में अति विशिष्ट अहोरात्र की संज्ञा प्राप्त है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है महाशिवरात्रि को रात्रि कालीन शिव पूजा साधक के समस्त मनोरथों को सिद्ध करती है तथा शिव कृपा प्राप्त होती है।
शास्त्रों में रात्रि के चार प्रहर में शिव पूजन का विधान बताया गया है।
प्रथम पहर में स्नानादि से निवृत होकर किसी शिव मंदिर में भगवान शिव का दुग्ध धाराओं से अभिषेक करें तथा शेष तीन प्रहरों में शिव स्तुति शिव पंचाक्षरी महामंत्र शिव सहस्त्रनाम आदि का पाठ या जप करते हुए रात्रि जागरण करना चाहिए।
चारों प्रहर की पूजा के पश्चात अगले दिन प्रातः काल सूर्योदय के पश्चात महाशिवरात्रि व्रत की पारणा करनी चाहिए।
होगा।
*राशि अनुसार शिव पूजन*
■■■ ■■■■■■■■■■
इस महाशिवरात्रि पर यदि आप अपनी राशि के अनुसार भूत भावन भोलेनाथ की पूजा पद्धतियों का अनुसरण करेंगे तो निसंदेह ही आपको लाभ प्राप्त होंगे-
★मेष राशि- इस शिवरात्रि को को मेष राशि वाले भगवान शिव जी का अभिषेक गाय के कच्चा दूध में शहद मिलाकर करना चाहिये। लाल रंग का चन्दन एवं फूल चढ़ाना चाहिए। हलवा प्रसाद रूप में शिवजी को अर्पित करें। ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
★वृषभ राशि-
आपको दूध या दही से शिव का अभिषेक करना चाहिए।सफेद फूल तथा बेलपत्र चढाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।शिव सहस्रनाम का पाठ करें इस शिवरात्रि पर। सफेद रंग के मिष्ठान प्रसाद के रूप में शिवजी को अर्पित करें।
★मिथुन राशि- आपको गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को भांग, धतूरा, तथा बेलपत्र चढ़ायें। ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। ऋतु फल प्रसाद के रूप में भोलेनाथ को अर्पित करें।
★कर्क राशि-
आपको कच्चे दूध में शक्कर मिलाकर शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। आंक के श्वेत फूल, धतूरा तथा बेलपत्र शिवजी को अर्पित करना चाहिए। रुद्राष्टक का पाठ करना शुभ होगा। दूध से बनी हुई थी प्रसाद के रूप में भोलेनाथ को अर्पित करें।
★सिंह राशि- आपको मधु अथवा गुड़ युक्त जल से भगवान शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को कनेर का पुष्प तथा लाल रंग का चन्दन अर्पित करना चाहिए। सूखे मेवों का प्रसाद शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। सिंह राशि वालों को महाशिवरात्रि के अवसर पर महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करना चाहिए।
★कन्या राशि-
शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस से करना चाहिए। शिव जी को भांग, दुर्वा, पान तथा बेलपत्र चढ़ाएं। ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करना श्रेयस्कर होगा। महाशिवरात्रि पर विभिन्न प्रकार के फलों को प्रसाद रूप में अर्पित करना चाहिए।
★ तुला राशि-
आपको भगवान शिव का गाय के घी और इत्र या सुगंधित तेल या मिश्री मिले दूध से अभिषेक करना चाहिए। सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें। दही, शहद अथवा श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव के सहस्त्रनाम का जाप करें।
★वृश्चिक राशि-
आपको पंचामृत अथवा शहद युक्त जल से भगवान शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। लाल फूल, लाल चन्दन भी शिव को जरुर चढ़ाएं। बिल्वपत्र चढाने से कार्यो में सफलता मिलती है। पंचमेवा प्रसाद रूप में शिवजी को अर्पित करें ।
★धनु राशि-
इस राशि के जातकों को दूध में हल्दी अथवा पिला चन्दन मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। महादेव को पीले पुष्प या गेंदे के फूल अर्पित करें। खीर का भोग लगाना शुभ रहेगा। ॐ नमः शिवाय का जाप करे ।
★मकर राशि-
आपको गंगा जल में काले तिल मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।भगवान शिव जी को बिल्व पत्र, धूतरा, शमी के फूल, भांग एंव अष्टगंध चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर चंदन का इत्र अर्पित करना चाहिए। इस शिवरात्रि पर रुद्राष्टक का पाठ करें। तेल से बने हुए पदार्थ प्रसाद रूप में शिवजी को अर्पित करें।
★कुम्भ राशि- चंदन युक्त जल में काले तिल तथा कच्चा दूध मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। शिवाष्टाक का पाठ करें।शमी के फूल पूजा में अर्पित करे। महाशिवरात्रि पर हलवा का प्रसाद शिव जी को अर्पित करते हुए श्रद्धालुओं के मध्य वितरित करना चाहिए।
★मीन राशि-
आपको केशर मिश्रित जल से जलाभिषेक करना चाहिए। शिव जी की पूजा पंचामृत, दही, दूध और पीले पुष्प से करनी चाहिए। महादेव को केसर युक्त खीर का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। ॐ नमः शिवाय का यथासंभव जाप करे। शिव चालीसा का पाठ करना भी शुभ रहेगा।
*शिवरात्रि पर अशुभ योगों का करें शमन*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग का विधिवत पूजन करें, तथा चांदी अथवा तांबे के सर्प का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करते हुए अभिषेक करना चाहिए। इसके पश्चात शिवलिंग पर काले तिल, बेलपत्र तथा चंदन का इत्र अर्पित करते हुए कपूर से आरती करनी चाहिए। यदि संपूर्ण अभिषेक संभव ना हो तो संक्षिप्त अभिषेक भी किया जा सकता है। कच्चे दूध में शहद एवं काला तिल मिलाकर शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए स्वयं संक्षिप्त अभिषेक भी कर सकते हैं। ध्यान रखें यदि शिवलिंग पर चांदी और तांबे के सर्प अर्पित कर रहे हैं तो उनका भी अभिषेक किया जाना आवश्यक है तथा अभिषेक के पश्चात सर्प के जोड़े को मंदिर में ही छोड़ देना चाहिए।