रीवा। भारत से मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन जाने वाले छात्रों का भविष्य संकट में है, यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में भारतीय छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रीवा की रहने वाली मेडिकल छात्रा साक्षी सिंह परिहार बुधवार को रीवा वापस लौटी, मंगलवार को वह वाया प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट आई थीं और वहां से प्रयागराज पहुंची जिसके बाद उनके परिजन उन्हें लेकर रीवा पहुंचे। साक्षी ने यूक्रेन में फंसे छात्रों का आखों देखा हाल बताया कि जिसे सुन भारतीय छात्रों की हो रही दुर्दशा का अंदाजा लगाया जा रहा है। छात्र भूख से तडफ़ रहे हैं। वापसी के लिए उन्हें वहां कफी मेहनत करनी पड़ रही है।
एयरपोर्ट पर नम हुई आंखे
यूक्रेन से वापस लौटी रीवा के व्यवसायी बृजेन्द्र सिंह की बेेटी साक्षी सिंह परिहार का जोरदार स्वागत एयरपोर्ट पर किया गया। उनके पिता सहित उनके परिजन उन्हें लेने एयरपोर्ट पहुंचे थे, अपनी लाडली को देख साक्षी की मां रो पड़ी, बता दें कि साक्षी के यूक्रेन में फंसे होने के कारण उनके परिवार जनों का बुरा हाल था, बीते दिनो से साक्षी से ठीक से बात भी नहीं हो पा रही थी, वहीं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की खबर मीडिया में देख वह और परेशान था। बुधवार को जब वह अपनी बिटिया से मिले तो अलग की खुशी दिख रही थी। साक्षी के परिजनों का कहना है कि भारतीय छात्र यूक्रेन में बहुत परेशान हैं उन्हें जल्द वापस लाया जाना चाहिए।
आंखो के सामने होती थी बमबारी
वापस लौटी साक्षी ने बताया कि वह जहां रह रहे थे वहीं पास में एयरपोर्ट था सबबे पहले वहीं अटैक किया गया उनके आखों से इस अटैक को देखा। जिसके बाद भगदड़ मच गई। एक छोटे से कमरे की जगह में सैकड़ो लोगो को कैद कर दिया जाता है जहां वह बमबारी से सुरक्षित रहते हैं। बमबारी कभी भी शुरु हो जाती है, जब यह शुरु होती है उन्हें उसी जगह पर कैद कर दिया जाता है, यूक्रेन की आर्मी अच्छा बरताव भी नहीं करती है। खाने के लिए भी पर्याप्त नहीं मिल रहा, किसी तरह छात्र भूखे-प्यासे समय गुजार रहे हैं, मार्केट भी बंद पड़े है, जो इमरजेंसी में खुले भी है वहां भी समान खत्म हो रहा है। आगे के दिनों में और ज्यादा मुसीबत आने वाली है, आलम यह है कि कुछ दिन बाद वहां से निकलना मुश्किल हो जाएगा। बताया कि करीब 10-15 दिन के संघर्ष के बाद वह रोमानिया पहुंचे जहां उसे उन्हें दिल्ली भेजा गया और वह घर पहुंची। रोमानिया वार्डर तक जाने के लिए 8-10 किमी. पैदल चलना पड़ा, कोई वाहन की व्यवस्था वहां नहीं है। उन्होंने बताया कि वार्डर पर भीड़ जमा है यूक्रेन से रोमानिया पहुंचना ही बहुत मुश्किल है, भविष्य में परेशानी और बढ़ेगी। कभी भी हमला शुरु हो जाता है जिससे कौन-कहा सुरक्षित रह सकता है इसकी कोई गारेंटी नहीं है।
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