रीवा। मानवाधिकार आयोज भोपाल ने प्रशांत सिंह की पत्नी की मौत की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई है। जांच रिपोर्ट में पत्नी की मौत अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही से होना बताया है। अभिमत में टीम ने स्पष्ट कर दिया है कि समय पर रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित न कराने और एम्बुलेंस नहीं होने से मरीज की जान चली गई। पीएम रिपोर्ट में अधिक गहरा चीरा लगाने और खून अधिक बह जाना बताया गया है। इस जांच हालांकि डॉक्टरों की टीम पर्दा डालने में लगी रही लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने पोल खोल दी। पत्नी को खो चुके प्रशांत ने अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि शसन प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो तो वह हाईकोर्ट की शरण में जाएंगे।
ज्ञात हो कि माड़ौ निवासी प्रशांत कुमार सिंह पिता सुधांशु सिंह ने शिकायत की थी कि उनकी पत्नी विद्या सिंह का अग्रवाल नर्सिंग होम में लापरवाही पूर्वक इलाज करते हुए जान ले ली गई। उन्होंने कलेक्टर से लेकर सीएम मप्र, सीएमओ दिल्ली, मानवाधिकार आयोग भोपाल, स्वास्थ्य मंत्री तक से शिकयत की थी। शिकायत के बाद ही रीवा प्रशासन एक्टिव हुआ था। भोपाल और दिल्ली की शिकायत पर 7 सदस्यीय जांच टीम गठित कर अग्रवाल नर्सिंग होम की जांच कराई गई थी। उच्च स्तर से जांच का फरमान पहुंचते ही तत्कालीन कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने 7 सदस्य संयुक्त जांच दल का गठन कराया था। इसी मामले की जांच जांच दल ने अग्रवाल नर्सिंग होम खुटेही पहुचं कर की थी। यहां पहुंचने के बाद टीम ने विद्या सिंह के इलाज से जुड़े सारे दस्तावेज जप्त कर लिए थे। दोनों पक्षों के बयान भी लिए गए थे। इस जांच को बाद में टीम ने दबा दिया था। इसमें कोई कार्रवाई अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉक्टरों के खिलाफ नहीं की गई। इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट भी पीडि़त को उपलब्ध नहीं कराई गई। जांच दब जाने के बाद पीडि़त प्रशांत सिंह ने मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर मामले में कार्रवाई की मांग की। मानवाधिकार आयोग ने सीएमएचओ रीवा से जांच रिपोर्ट तलब की। जांच रिपोर्ट में पूरे मामले की पोल खुल गई। प्रशांत सिंह निवासी ग्राम माडा तहसील सिरमौर की मौत अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉक्टर इशान गोयल और डॉ निशा अग्रवाल की लापरवाही से होना सामने आया है। जांच के दौरान उपलब्ध दस्तावेजों, कथन एवं स्थल निरीक्षण से सच सामने आ गया थ। प्रशांत की पत्नी की मौत अस्पताल की लापरवाही से होना पाया गया। हद तो यह है कि जांच में लापरवाही सामने आने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।
यह था पूरा मामला
शिकायतकर्ता प्रशांत सिंह निवासी माडौं ने शिकायत में कहा था कि उनकी पत्नी गर्भवती थी। पहली बार जुलाई 2020 में अग्रवाल नर्सिंग होम की डॉक्टर निशा अग्रवाल को दिखाया था। 24 अक्टूबर 2020 में डिलीवरी होनी थी। डॉक्टर के कहे अनुसार अक्टूबर में ही शाम को पत्नी विद्या सिंह को अस्पताल लाकर भर्ती किया गया। रात 12.00 बजे लेबर पेन हुआ तो डॉक्टर ने ओटी में ले लिया। रात 1.42 पर डिलीवरी हुई ।इसके बाद अचानक रात 3.30 बजे परिजनों को बताया गया कि विद्या सिंह की हालत खराब है । उन्हें संजय गांधी अस्पताल लेकर जाएं। इस दौरान डाक्टर इशान गोयल भी मौजूद रहे। पत्नी के साथ अस्पताल में क्या हुआ इसकी जानकारी परिजन को पहले नहीं दी गई । मामले को छिपा कर रखा गया ।आनन-फानन में रात 3.30 बजे बाइक से ही पत्नी को संजय गांधी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पत्नी को मृत घोषित कर दिया गया।
डॉ इशान और निशा के यह थे कथन
टीम ने शिकायतकर्ता और अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉक्टरों से बचान दर्ज किए थे। पीडि़त पक्ष अपने शिकायत वाले बयान पर ही अड़े थे। वहीं डॉ इशान गोयल ने 9 जून 2021 को अपने कथन में बताया कि उसने विद्या सिंह को डिलेवरी के पूर्व भर्ती किया था। उस समय नार्मल थी। बाद में बीपी की समस्या होने पर उसने बीपी की दवा की। सुधार नहीं होने पर रेफर किया। डॉ निशा अग्रवाल पति डॉ अरुण अग्रवाल ने भी अपने कथन में कहा कि विद्या सिंह को 24 अक्टूबर को भर्ती किया गया था। उस समय मरीज में कोई जोखिम नहीं था। बाद में ब्लड प्रेशर गिरने के कारण संजय गाध्ंाी अस्पताल ले जाने को कहा गया। शिकायतकर्ता ने स्वयं की गाड़ी होना कहकर खुद ही मरीज को लेकर गए थे। इलाज संबंधी पेपर भी ले जाने की बात कही गई।
पीएम रिपोर्ट ने खोली थी पोल
अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉक्टर मामले को उलझाने में लगे रहे। वहीं प्रारंभिक जांच के दौरान पीएम रिपोर्ट ने पूरी लापरवाही की पोल खोल दी थी। पीएम रिपोर्ट में मरीज विद्या ङ्क्षसह की मौत की वजह गहरा चीरा और खून बह जाना बताया गया था। इसका जिक्र भी मृतका के पति ने शिकायत में की थी। जांच के दौराान उपलब्ध दस्तावेजों, कथन एवं स्थल निरीक्षण में यह पाया गया कि नर्सिंग होम द्वारा विद्या सिंह को उचित समय पर रक्त की उपलब्धता न कराने, तत्समय समुचित इलाज भी ना करने, सही समय पर परिजनों को सूचना न देने, आपातिक प्रबंधन जैसे रक्त, आक्सीजन, एम्बुलेंस की व्यवस्था न होने के परिणामस्वरूप विद्या ङ्क्षसह की मृत्यु हुई। नर्सिंग होम में कार्यरत एम्बुलेंस रखरखाव के आभाव में चालू नहीं हुए।
रिकार्ड में हेरफेर, सीसीटीवी फूटेज गायब कर दिए
घटना दिनांक को नर्सिंग होम में सीसीटीवी कैमरा स्थापित था। घटना के समय का फुटेज का जांच के दौरान उपलब्ध नहीं कराया गया। इसके अलावा विद्या ङ्क्षसह की जांच के दस्तावेजों की जब जांच की गई तो डॉ निशा अग्रवाल और डॉ इशान गोयल की मेडिकल डॉक्टर्स सीट में बीपी की जांच में अंतर मिला। 24 अक्टूर 2020 को 10.30 बजे दोनों की मेडिकल सीट पर विद्या सिंह की बीपी दर्ज थी। एक ही समय में दोनों की बीपी की अलग अलग थी। इसी तरह इशन गोयल की डॉक्टर्स शीट में मरीज का 25 अक्टूबर 2020 को को 2.30 बजे बीपी 84/70 लेख था, जबकि इसी समय 2.30 बजे मॉनीटरिंग चार्ज में बीपी 90/60 लेख था।
यह सात लोग जांच टीम में थे शामिल
जांच टीम में तत्कालीन एडीएम इला तिवारी ,सीएमएचओ डॉ गुप्ता सीएसपी, नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला डीएचओ डॉ एन एन मिश्रा, गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रतिभा मिश्रा जिला अस्पताल, डॉ अनुराधा मिश्रा जीएमएच शामिल थीं। यही सात सदस्यीय संयुक्त दल ने मामले की जांच की थी।
भ्रुण परीक्षण में भी फंस चुके हैं
अग्रवाल नर्सिंग होम के संचालक अरुण अग्रवाल व डॉक्टर निशा अग्रवाल पर पहले भी गंभीर आरोप लगे थे । पुलिस की एक स्टिंग में डॉ अरुण अग्रवाल भ्रुण परीक्षण करते हुए पकड़े गए थे। तत्कालीन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने मशीन जप्त करने के साथ ही डॉक्टर अरुण अग्रवाल पर रासुका के तहत कार्रवाई भी की थी । हालांकि कांग्रेस शासन काल में राजनीतिक दखल रखते हुए रासुका की कार्रवाई कैंसिल करवा ली गई थी। अग्रवाल नर्सिंग होम संचालक डॉ निशा अग्रवाल पर भी अवैध अबॉर्शन के आरोप लगे थे ।इसकी भी जांच हुई थी। अग्रवाल नर्सिंग होम बंद करने के लिए तैयारी थी । हालांकि बाद में सब मामला रफा-दफा हो गया था।
कार्रवाई को लेखकर पति ने लिखा पत्र
अग्रवाल नर्सिंग होम के डॉ इशान गोयल और डॉ निशा अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए पति प्रशांत ङ्क्षसह ने मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्टर, एसपी, मानवाधिकार अयोग तक को पत्र लिखा है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मंाग की है।