रीवा। नगरीय निकाय चुनाव में पार्टियां उलझ कर रह गई हैं। पार्टियों के महापौर का चेहरा तलाशने की बड़ी चुनौती है। दलों के सामने दावेदार अनेक हैं लेकिन जीत दिला सके ऐसा एक कंडीडेट तलाशना ही शेष है। महापौर की कुर्सी की चाह में दावेदारों ने जमीन आसमान एक कर दिया। रीवा से भोपाल और दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। नेताओं की चौखट पर एडिय़ां रगड़ रहे हैं लेकिन फाइनल उसकी का नाम होगा जो दल के काम का होगा। ज्ञात हो कि साढ़े सात साल बाद प्रदेश में पंचायत व निकाय चुनाव के लिए कार्यक्रम घोषित किया जा चुका है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तो गैरदलीय लेकिन निकाय चुनाव दलगत आधार पर होगा। पंचायत चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया लगभग पूरी होने को है। वहीं निकाय चुनाव के लिए 11 जून से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। हम रीवा जिला के संदर्भ में बात करें तो रीवा नगरनिगम के साथ ही 12 नगर परिषदों में चुनाव होना है। रीवा नगर निगम के महापौर पद का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत आम जनता से होगा, जबकि नगरपरिषदों के अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत निर्वाचित पार्षदों द्वारा किया जायेगा। रीवा नगर निगम क्षेत्र में 1.71 लाख मतदाता नगर सरकार का चुनाव करेंगे। रीवा नगर के विकास में महापौर की भूमिका अहं होती है। इसलिए जनता भी उसी व्यक्ति को नगर की कमान सौंपती है जो उसकी उम्मीदों में खरा उतर सके। राजनीतिक दल भी वही चेहरा जनता के सामने उतारने की कोशिश करते हैं। जिन पर जनता भरोसा कर सके।
देखा यह जा रहा है कि नगर निगम चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। जिले के प्रमुख दल भाजपा-कांंग्रेस में प्रत्याशी चयन की कसरत तेज हो गई है। हालांकि दोनों दलों में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। भाजपा व कांग्रेस दोनों में आधा-आधा दर्जन दावेदार हैं। हालांकि पार्टियां जिसे टिकट देंगी मैदान में वही होगा। किसे मैदान में उतारा जाय इसे लेकर भाजपा-कांग्रेस दोनों में मंथन चल रहा है। खास बात यह है कि सुनने में यह आ रहा है कि भाजपाई के महापौर होंगे पुजारी, वहीं कांग्रेस की तरफ जनता चुनेगी सेवक, अब आप सोच रहे होंगे कि पुजारी और सेवक कौन हैं तो हम आपको बता दें कि भाजपा में पुजारी व्यंकटेश पांडेय को कहा जा रहा है कि क्योंकि वह दिन में अपने व्यस्ततम समय से पूजा-पाठ के लिए घंटो का समय विशेष रूप से देते हैं और कांग्रेस में सेवक अजय मिश्रा बाबा के लिए कहा जा रहा क्योंकि सत्ता पर कांग्रेस पार्टी रही हो या नहीं लेकिन शहर की जनता के लिए लड़ाई लडऩे का काम अजय मिश्रा बाबा ने किया है।
भाजपा में हर सुई व्यंकटेश पर रूकी
भाजपा के यह है दावेदार, जो सुर्खियों में हैं
जब से रीवा नगर निगम बना है और जनता से महापौर चुनाव होना शुरू हुआ है तब से भाजपा अजेय रही है। कांग्रेस शासनकाल में भी भाजपा का ही मेयर बना। प्रथम महापौर (अप्रत्यक्ष चुनाव)कांग्रेस के अमीरुल्ला खान के बाद भाजपा के राजेंद्र ताम्रकार, आशा सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, शिवेंद्र सिंह व ममता गुप्ता चुनी गईं थी। एक बार फिर चुनावी संग्राम सामने है। भाजपा कांग्रेस दोनों में टिकट के लिए मारामारी मची हुई है। भाजपा से जिन दावेदारों की चर्चा है उनमें व्यंंकटेश पांडेय, प्रबोध व्यास, वीरेंद्र गुप्ता, विद्या प्रकाश श्रीवास्तव, रिपुदमन सिंह का नाम शामिल है। फिलहाल हर सुई व्यंकटेश पांडेय पर ही जा कर रूक रही है इसकी वजह कांग्रेस सरकार के दौरान उनके द्वारा भाजपा के लिए किया गया संघर्ष है, वह पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव को दिए गए नोटिस के बाद चर्चा में आएं और पूर्व मंत्री सहित भाजपा संगठन के लिए खड़े रहे, महापौर की लिस्ट जो नाम ऊपर दिए गए उनमें से कुछ ऐसे भी थे जो कांग्रेस शासन काल में चोरी-छिपे तत्कालीन आयुक्त के बंगले पहुंचकर पोल भी दिया गया करते थे ऐसा हमेशा ही चर्चाओं में कहा जाता है। इसलिए व्यंकटेश पांडेय की दाबेदारी के मजबूत माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने डटकर लड़ाई लड़ी। हालांकि टिकट को लेकर भाजपा मंथन कर रही है। क्योंंकि भाजपा नहीं चाहेगी कि प्रत्याशी चयन में चूक विजयी रथ में बाधा बने। 11 जून से 20 जून तक नामांकन दाखिला होगा। ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि अगले एक सप्ताह के भीतर महापौर प्रत्याशी की घोषणा कर दी जायेगी।
कांग्रेस में सिर्फ ‘बाबा’ !
एक साल बाद विधान सभा का चुनाव होना है। उसके पूर्व निकाय चुनाव हो रहा है। कांग्रेस यह मान रही है इस बार मतदाताओं में सरकार किस दल की है इसका असर नहीं होगा। यानी जनता कांग्रेस का महापौर दे सकती है। भाजपा की तरह कांंग्रेस में भी दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है। कांग्रेस दावेदारों में मुख्य रूप से पूर्व नगर निगम नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा बाबा सहित इंजी राजेंद्र शर्मा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू, कविता पांडेय, लखनलाल खंडेलवाल, विनोद शर्मा, मानवेंद्र सिंह नीरज का नाम चर्चा में है। हालांकि कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी की सुई पूर्व नगर निगम नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा पर रूक रही है, इसकी वजह भी है क्योंकि यदि जनता नगर निगम में अनुभवी महापौर कांग्रेस से चाहती है तो यह एक नाम सबसे आगे माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस से कई दफा पार्षद रह चुके अजय मिश्रा बाबा ने नगर निगम में हुए कई भ्रष्टाचारों को उजागर किया और जनता की लड़ाई लड़ी, उस वक्त अजय मिश्रा काफी चर्चाओं में आए जब उनके द्वारा डेढ़ करोड़ से अधिक की स्वीपिंग मशीन की खरीदी में निगम अधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर किया, इतना ही नहीं सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर लगातार विरोध किया और अंत में वहीं हुआ जो बाबा विरोध में कह रहे थे, इसके अलावा एलईडी प्रोजेक्ट घोटाला, वॉटर स्ट्रॉम प्रोजेक्ट, संबल योजना में घोटाला सहित निर्माण कार्यो में हुई टेंडर फिक्सिंग को लेकर परिषद् और जनता के बीच खुलकर बोले और पोल खोली, अजय मिश्रा बाबा पर दांव लगाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि रीवा में जिस समदडिय़ा बिल्डर का विरोध नेता कर रहे थे वह कांग्रेस सरकार आने के बाद चुप हो गए लेकिन पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के कार्यो को मनमानी बताते हुए व समदडिय़ा बिल्डर पर हुई बेहरबानी को लेकर बाबा ने खुलकर बोला और विरोध किया, उनके कई विरोध सफल हुए और जनता को राहत मिली, इसलिए बाबा की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। जब बात अजय मिश्रा बाब को कांग्रेस से टिकट मिलने की होती है तो वहां पर उनके संघर्ष की बात होती है लेकिन अन्य कांग्रेसी नेताओं को इसका-उसका खास बताया जात है, हालांकि ऐसा नहीं है कि लिस्ट में शामिल दावेदारों ने संघर्ष नहीं किया लेकिन बाबा को पहला स्थान चर्चाओं में दिया जा रहा है। जनता का भी कहना है कि उनको ऐसा महापौर चाहिए जो निगम के कामकाज का जानकार ऐसा नहीं कि वह पांच वर्ष अधिकारियों द्वारा किए गए गोलमाल में ही फंसा रह जाए।
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