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रीवा। टीआरएस कॉलेज प्राचार्य की मनमानी से स्ववित्तीय व जनभागीदारी अतिथि विद्वानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है, मीडिया सूत्रों की माने तो पहले तो प्राचार्य डॉ केके शर्मा द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से अतिथि विद्वानों की छुट्टी कर दी गई और अब मनमानी वेतन भुगतान में देरी की जा रही है, जिससे अतिथि विद्वान परेशान हैं। बताया गया कि सामान्यत: अधिकतम माह की 10 तारीख तक वेतन का भुगतान कर दिया जाता था लेकिन इस माह नहीं किया गया। मई माह के वेतन का भुगतान अब तक टीआरएस प्राचार्य द्वारा नहीं किया गया है। अतिथि विद्वानों का आरोप है कि कॉलेज में हुई मनमानी के खिलाफ उनके द्वारा आवाज उठाई गई इसलिए प्राचार्य वेतन नहीं दे रहे हैं, कहा पूर्व में भी धमकाया गया था कि जो परीक्षा ड्यूटी नहीं करेगा उनको बुलाया नहीं जाएगा और न ही वेतन का भुगतान होगा और वहीं किया भी जा रहा है। अतिथि विद्वानों ने कहा कि वेतन भुगतान नहीं होने से वह आर्थिक तंगी से परेशान हैं।
15 दिन में वापस नहीं बुलाया
स्ववित्तीय व जनभागीदारी अतिथि विद्वानों का कहना है कि पहले तो उनको नियम विरूद्ध तरीके से अवकाश दे दिया गया और फिर जब इस संबंध में शिकायत करने गए तो प्राचार्य ने कहा कि 15 जून तक सभी अतिथि विद्वानों को ग्रीष्मावकाश से वापस बुला लिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कॉलेज प्रबंधन पर मनमानी का आरोप अतिथि विद्वानों द्वारा लगाया गया है।
बजट की बता रहे समस्या
स्ववित्तीय व जनभागीदारी अतिथि विद्वानों का कहना है कि टीआरएस कॉलेज प्रबंधन द्वारा ग्रीष्मावकाश देने व वेतन भुगतान को लेकर स्ववित्तीय व जनभागीदारी मद में बजट न होने का रोना रोया जा रहा है जबकि स्वत्तितीय-जनभागीदारी में करीब 13 हजार छात्र है, जिनकी परीक्षा शुल्क सहित वर्ष में 26 करोड़ 75 लाख के करीब फीस जमा होती है। वही वेतन भुगतान की बात की जाए तो स्ववित्तीय व जनभागीदारी मद से 150 अतिथि विद्वानों को वेतन भुगतान किया जाता है जिसमें प्रतिमाह 18 हजार के हिसाब से दिया जाता है। इसके अलावा अन्य स्टाफ को भुगतान सहित वर्ष में 3 करोड़ 75 लाख रुपए खर्च होता है। इसके अलावा अन्य राशि का महाविद्यालय के पास ही जमा होती है। जिसका उपयोग विकास के नाम पर किया जाता है।