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रीवा। अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय ने तकरीबन चार साल बाद पीएचडी प्रवेश परीक्षा की तैयारी फिर शुरू की है। इस प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त हो गई है। आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों को आवेदन सहित दस्तावेजों की छायाप्रति 15 जुलाई तक विश्वविद्यालय के शोध संचालनालय में जमा करनी है। हालांकि अभी आवेदन करने का और अवसर अभ्यर्थियों को मिल सकता है। इस अवधि में यदि अधिकाधिक आवेदन विश्वविद्यालय को मिल गए तो अभ्यर्थियों को इस बार भी गाइड की समस्या से जूझना पड़ेगा। विश्वविद्यालय ने 29 विषयों में रिक्त 950 सीटों के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा की योजना बनाई है। इन रिक्त सीटों में पीएचडी कराने के लिए 336 गाइड उपलब्ध हैं। अब अधिक पंजीयन होने पर स्थिति बिगडऩी तय है। गौरतलब है, विश्वविद्यालय ने सत्र 2013-14 की पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2014 में कराई थी। इसी तरह सत्र 2018-19 की परीक्षा भी मार्च 2019 में हुई थी। उसके बाद यह तीसरी पीएचडी प्रवेश परीक्षा विश्वविद्यालय कराने जा रहा है।
पहले के कोर्सवर्क किए कुछ अभ्यर्थियों को अभी नहीं मिल पाये गाइड
बताते हैं कि वर्ष 2014 और 2019 में प्रवेश परीक्षा उपरांत कोर्सवर्क कर चुके कुछ अभ्यर्थियों को अभी तक गाइड नहीं मिल पाये हैं। विधि, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, संगीत, संस्कृत, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस, व्यवसायिक अर्थशास्त्र, शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और भू-विज्ञान विषय में गाइड को लेकर ज्यादा समस्या बनी हुई है। इन्हीं विषयों के अभ्यर्थियों को अगली पीएचडी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ज्यादा मशक्कत करनी होगी। इन सभी विषयों में विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त गाइड नहीं है, जो एक-दो गाइड हैं भी, उनके पास सीट उपलब्ध नहीं है।
इस वजह से घटी सीट
वर्ष 2014 में विश्वविद्यालय ने 1176 सीट में पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई थी। फिर 2019 में सीट घटाकर 741 सीट में विश्वविद्यालय ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई थी। बताते हैं कि विश्वविद्यालय में यूजीसी का रेगुलेशन 2016 लागू हो गया है। लिहाजा एक प्रोफेसर 8 अभ्यर्थियों को पीएचडी करा सकता हैं। वहीं एसोसिएट प्रोफेसर 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर 4 अभ्यर्थियों को ही पीएचडी करायेंगे। इसके पहले तीन वर्ग के प्रोफेसर्स 8-8 अभ्यर्थियों को पीएचडी कराते रहे हैं। नया रेगुलेशन लागू होने से सीट संख्या घट गई है। इधर, नई नियुक्तियां न होने और प्रोफेसर्स के रिटायर्ड होते रहना भी सीट संख्या में गिरावट का अहम कारण है।
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पहले के कोर्सवर्क किए कुछ अभ्यर्थियों को अभी नहीं मिल पाये गाइड
बताते हैं कि वर्ष 2014 और 2019 में प्रवेश परीक्षा उपरांत कोर्सवर्क कर चुके कुछ अभ्यर्थियों को अभी तक गाइड नहीं मिल पाये हैं। विधि, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, संगीत, संस्कृत, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस, व्यवसायिक अर्थशास्त्र, शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और भू-विज्ञान विषय में गाइड को लेकर ज्यादा समस्या बनी हुई है। इन्हीं विषयों के अभ्यर्थियों को अगली पीएचडी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ज्यादा मशक्कत करनी होगी। इन सभी विषयों में विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त गाइड नहीं है, जो एक-दो गाइड हैं भी, उनके पास सीट उपलब्ध नहीं है।
इस वजह से घटी सीट
वर्ष 2014 में विश्वविद्यालय ने 1176 सीट में पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई थी। फिर 2019 में सीट घटाकर 741 सीट में विश्वविद्यालय ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई थी। बताते हैं कि विश्वविद्यालय में यूजीसी का रेगुलेशन 2016 लागू हो गया है। लिहाजा एक प्रोफेसर 8 अभ्यर्थियों को पीएचडी करा सकता हैं। वहीं एसोसिएट प्रोफेसर 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर 4 अभ्यर्थियों को ही पीएचडी करायेंगे। इसके पहले तीन वर्ग के प्रोफेसर्स 8-8 अभ्यर्थियों को पीएचडी कराते रहे हैं। नया रेगुलेशन लागू होने से सीट संख्या घट गई है। इधर, नई नियुक्तियां न होने और प्रोफेसर्स के रिटायर्ड होते रहना भी सीट संख्या में गिरावट का अहम कारण है।
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