रीवा। नगर निगम में महापौर की कुर्सी पर तो कांग्रेस का कब्जा हो गया लेकिन बहुमत नहीं होने से परिषद हाथ से निकल गई। बता दें कि निर्दलीय पार्षदों में अधिकतर ने भाजपा को समर्थन देते हुए सदस्यता ले ली। अब परिषद् में भाजपा का बहुमत है, हालांकि इस बहुमत के लिए काफी मसक्कत भाजपा को करनी पड़ी है ऐसा कहा जा रहा है, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है, कांग्रेसियों ने भी खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए है।
चर्चा के अनुसार चुनाव परिणाम के आते ही जहां कांगे्रस एक तरफ जश्न में डूबी हुई थी वहीं दूसरी ओर भाजपाई निर्दलीय को अपनी ओर खींचने में लग गए थे, निर्दलीयों के पास फोन पहुंचने लगा था कि भैया बुला रहे हैं मिलना चाहते हैं। लेकिन चर्चाओं के अनुसार इस बात का कोई असर निर्दलीय पार्षदों पर नहीं पड़ा कुछ ही एक-दो पार्षद भैया जी के पास पहुंचे, कहा जाता है कि इससे भैया जी और घबरा गए और उन्होंने दूसरे दिन सुबह से ही निर्दलीय पार्षदों के घर में पहुंचना शुरु कर दिया।
पहले तो उनको सत्ता, प्रदेश में सरकार की बात कही गई लेकिन जब इसका असर नहीं पड़ा, चर्चा है कि इसके बाद इनकी खरीद-फरोख्त शुरु कर दी गई, कांग्रेस ने इसको लेकर आरोप भी लगाया, वहीं चर्चा है कि इधर कांग्रेस जब एमआईसी का लालच देकर निर्दलीयों को खींचने की तैयारी में थी तब निर्दलीयों ने ही उन्हें भाजपा में जाने के लिए 20 लाख के आफर की बात बताई, चर्चा में यह भी दावा किया जा रहा है कि कांग्रेसियों के पास कुछ निर्दलीय पार्षदों के आडियो-वीडियो भी हैं जो खुलेआम खरीद-फरोख्त की कहानी बयां कर रहे हंै, जिसे वह सही समय पर सामने लाने की बात कह रहे हैं। हालांकि निर्दलीय पार्षदों की खरीद-फरोख्त के कोई प्रमाण सामने नहीं आए, पार्षदों ने तो यही कहा कि वह अपने मन से भाजपा में गए है। ऐसी ही चर्चाएं कांग्रेस को लेकर भी की जा रही है लेकिन कहा यह जा रहा है कि कांग्रेस प्लान ही करती रह गई और भाजपा ने सही समय पर बाजी मार ली।
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