रीवा। मार्तण्ड सिंह जुदेव चिडिय़ाघर के मृत श्रमिकों का वेतन चार महीने से जारी नहीं किया गया था। आर्थिक तंगी के अभाव में श्रमिक ने दम तोड़ दिया। घर के हालात ऐसे थे कि अंतिम संस्कार और कार्यक्रम तक के लिए रुपए नहीं थे। परिजन और दोस्तों ने मदद की तब कार्यक्रम हुआ। हद तो यह है कि प्रबध्ंान ने सिर्फ ढाढ़स बंधाया लेकिन आर्थिक मदद नहीं की। ज्ञात हो कि मार्तण्ड ङ्क्षसह जुदेव चिडिय़ाघर के श्रमिक हड़ताल पर चल रहे हैं। सभी कर्मचारी डीएफओ सतना और चिडिय़ाघर प्रबंधन की तानाशाही का विरोध कर रहे हैं। पांचवे दिन भी कर्मचारियों ने शपथ पत्र जमा नहीं किया। बिना शपथ पत्र के प्रबंधन कर्मचारियों को काम में नहीं रख रहा है। इतना ही नहीं 4 महीने का रुका हुआ वेतन भी जारी नहीं किया जा रहा है। बिना वेतन के ही कर्मचारी जूझ रहे हैं। एक कर्मचारी शंकर प्रसाद पाण्डेय निवासी हर्दी थाना मुकुंदपुर ने भी आर्थिक तंगी के कारण दम तोड़ दिया। परिजनों ने चिडिय़ाघर प्रबंधन पर शंकर प्रसाद पाण्डेय की मौत का ठीकरा फोड़ा है। शंकर पाण्डेय बीमार चल रहे थे। संजय गाध्ंाी अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों ने बाहर इलाज कराने की सलाह दी थी लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह बाहर नहीं ले जा पाए। उस पर नौकरी का खतरा और हड़ताल ने उनकी जान ले ली। प्रबंधन और पूर्व मंत्री से किसी तरह का आश्वासन नहीं मिलने की खबर के कारण हार्ट अटैक आ गया और कर्मचारी ने दम तोड़ दिया। कर्मचारी की मौत के बाद परिवार के सामने एक और बड़ी मुशीबत खड़ी हो गई। आर्थिक तंगी से परिवार पहले से ही जूझ रहा था। उस पर शंकर पाण्डेय की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं का इंतजाम भी चुनौती से कम नहीं था। हालांकि किसी तरह परिजनों की मदद से सारे इंतजाम किए गए। तब जाकर श्रमिक का अंतिम संस्कार हो सका। श्रमिक की मौत से गुस्साए परिजन हंगामा और चकाजाम करने की तैयारी में थे लेकिन समझाइश के बाद शांति पूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया। परिवार के सामने अब रोजी रोटी की दिक्कत आन खड़ी हो गई है। हद तो यह है कि शंकर पाण्डेय की मौत के बाद उनके घर डायरेक्टर मिलने भी गए थे लेकिन किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं की गई। सिर्फ रुका हुआ वेतन जारी कराने का आश्वासन ही दिया गया।
शपथ पत्र देने को तैयार नहीं हैं कर्मचारी
चिडिय़ाघर में काम करने वाले श्रमिकों से प्रंबधन शपथ पत्र जमा करने की मांग कर रहा है। हालांकि कर्मचारियों ने शपथ पत्र देने से हाथ साफ इंकार कर दिया है। शपथ पत्र कई ऐसे बिंदू शामिल किए गए हैं, जो आने वाले समय में श्रमिकों के लिए मुशीबत बन जाएंगे। श्रमिकों का शोषण होगा लेकिन वह विरोध नहीं कर पाएंगे। बिना कारण ही उन्हें नौकरी से बाहर करने का भी अधिकार प्रबंधन के पास होगा। यही वजह है कि कर्मचारियों ने शपथ पत्र के खिलाफ की मोर्चा खोल दिया है। इस विरोध ने एक साथी की जान तक ले ली है।