रीवा। रीवा के लोगों पर फिर एक फ्लाईओव्हर लादने की तैयारी है। केन्द्र से स्वीकृति मिल गई है। बेतरतीब विकास का एक और प्रोजेक्ट लोगों का सिरदर्द बनेगा। हद तो यह है कि इसी सड़क पर 4 फ्लाईओव्हर हो जाएंगे। 100 करोड़ की सड़क भी अभी बन ही रही है। इसे भी तोड़ा जाएगा।
ज्ञात हो कि रीवा शहर में विकास के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। रीवा शहर के अंदर से गुजरने वाली एनएच बायपास से निकाल दी गई है। अब यह सिर्फ मॉडल रोड ही बन कर रह गई है। इसी सड़क पर फ्लाई ओव्हर पर फ्लाई ओव्हर बनाया जा रहा है। इसे रीवा के विकास से जोड़ा जा रहा है। कांक्रीट के इस जाल से लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही है। हद तो यह है कि तीन फ्लाईओव्हर जो पहले से बने हैं। उन परही रीवा का ट्रैफिक डायवर्ट नहीं हो पा रहा है। उस पर एक और सबसे लंबा फ्लाईओव्हर बनाने की तैयारी चल रही है। जबकि इस मार्ग पर बनी सड़क ही ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त है। रीवा शहर के अंदर एनएच 75 ई में यदि यही फ्लाई ओव्हर स्वीकृत कराया गया होता तो लोगों को काफी राहत मिलती। इतना ही नहीं विकास के नाम पर जिस तरह से सिर्फ फ्लाईओव्हर का जाल बिछाया जा रहा है, वह महानगर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है। कांक्रीट के फ्लाईओव्हर बनाने की जगह अच्छे स्कूल, फैक्ट्री, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, कॉलेज जैसी चीजों की तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
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यहां बनता फ्लाईओव्हर तो मिलती राहत
फिलहाल रीवा में पुराने एनएच पर ही फिर एक नया फ्लाईओव्हर का प्रस्ताव स्वीकृत कराया गया है। यह फ्लाईओव्हर करीब 2550 मीटर लंबा बनेगा। इसकी लागत 175 करोड़ जाएगी। कॉलेज चौराहा से शुरू होकर विष्णु विलास होटल तक बनाया जाएगा। इस फ्लाईओव्हर के बनने से ज्यादा फायदा लोगों को नहीं मिलेगा। यदि यही फ्लाईओव्हर जय स्तंभ से होते हुए खन्ना चौराहा, अस्पताल चौराहा तक बनाई जाती तो शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधर जाती। इसी फ्लाई ओव्हर से एक लेग सिरमौर चौराहा यानि अमहिया की तरफ भी निकाला जा सकता था। हालांकि ऐसा नहीं किया गया।
इन सब की है रीवा को जरूरत
रीवा को फ्लाईओव्हर की जगह एक और केन्द्रीय विद्यालय की जरूरत है। यहां एक बड़े अस्पताल, फैक्ट्री और टेक्नीकल इंस्ट्रीट्यूट की जरूरत है। बड़े बड़े कोचिंग सेटरों की जरूरत है। इसके अलावा रीवा शहर में रोजगार देने वाले उद्योग कम हैं। इन्हें रीवा तक लाने की जरूरत है। नए औद्योगिक क्षेत्रों के डेव्हलप करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। छात्राओं के लिए सिर्फ एक कॉलेज हैं। रीवा में एक और कॉलेज और विवि की जरूरत है।
अभी बन ही रही है 100 करोड़ की सड़क
हद तो यह है कि रीवा में एक ही चीज को कई मर्तबा बनाने का चलन चल पड़ा है। मॉडल रोड के लिए 150 करोड़ रुपए केन्द्र से स्वीकृत कराए गए। इसमें 100 करोड़ रुपए सड़क में खर्च किए गए और 50 करोड़ रुपए समान फ्लाईओव्हर में खर्च किया गया। अब इसी 100 करोड़ कीसड़क को तोड़कर नया फ्लाई ओव्हर बनाया जाएगा। इस बेतरतीब डेव्हलपमेंट की सजा रीवा की जनता को भुगतनी होगी।
अब भी लगता है जाम
रीवा में तीन फ्लाईओव्हर चोरहटा से रतहरा मार्ग में ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए बनाया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। सिरमौर चौराहा में अब भी जाम लगता है। समान तिराहा के ऊपर से वाहन कम निकलते हैं। बसें नीचे ही खड़ी होती है। सभी छोटे वाहन यहीं से गुजरते हैं। रेलवे स्टेशन मोड़ के पास बने आरओबी का भी यही हाल है।
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