रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की समस्त भूमि को सुरक्षित करने राजस्व अमले द्वारा किए सीमांकन की रिपोर्ट एक अकेले पटवारी ने बना दी है। जबकि महीने भर चले इस सीमांकन कार्य में राजस्व विभाग का दस सदस्यीय अमला शामिल रहा। हुजूर तहसीलदार के निर्देश पर 2 आरआई व 7 पटवारी के दल यह पूरे अप्रैल महीने में भरी दोपहर सीमांकन कार्य पूरा किया। इसमें विश्वविद्यालय की तरफ से भी 2 यंत्री, एक पूर्व यंत्री सहित अधिवक्ताओं की सात सदस्यीय टीम लगी रही। सीमांकन कार्य पूरा होने के बाद राजस्व अमले को रिपोर्ट बनानी थी लेकिन अचानक चुनाव होने के कारण राजस्व विभाग के सभी अधिकारी-कर्मचारी उसमें व्यस्त हो गए। इधर, उक्त दल में शामिल एक घूसखोर पटवारी ने अकेले पूरा मैनेजमेंट कर लिया, जिसमें अतिक्रमणकारियों से वसूली कर उन्हें राहत प्रदान कर दी गई है। मामले में विश्वविद्यालय की तरफ से शामिल रहे सदस्यों का आरोप है कि इस सीमांकन रिपोर्ट में संबंधित सभी 2 आरआई व 7 पटवारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मई में सीमांकन कार्य पूरा होने के बाद राजस्व विभाग द्वारा मामले में ढिलाई बरतने के कारण भी यह स्थिति बनी है, लिहाजा उक्त दोनों दल की महीनेभर की मेहनत पर अब पानी फिरता नजर आ रहा है।
दायरा बढ़ाने लगे अतिक्रमणकारी
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की भूमि के करीब 32 एकड़ क्षेत्रफल में बेतहाशा अतिक्रमण फैला हुआ है। इस अतिक्रमण को हटाकर अपनी भूमि सुरक्षित करने विश्वविद्यालय ने कई बार असफल प्रयास किए। विगत माह मप्र उच्च न्यायालय के आदेश व अन्य प्रशासनिक सहमति के चलते राजस्व अमले ने गत 28 मार्च से विश्वविद्यालय की भूमि का नये सिरे से सीमांकन कार्य प्रारम्भ किया था। राजस्व अमले की उक्त लापरवाही के चलते उक्त अतिक्रमणकारी अपना दायरा अब और बढ़ाने लगे हैं।
विदित रहे कि इस सीमांकन कार्य में अब तक राजस्व अमले को 40 से ज्यादा अतिक्रमणकारी मिल चुके हैं। सबसे ज्यादा अतिक्रमण कैलाशपुरी तरफ मिला। वहीं, गायत्री नगर तरफ भी दर्जन भर से अधिक घरों का अधिकाधिक हिस्सा विश्वविद्यालय की भूमि पर निर्मित मिला, जिसे हटाने के निर्देश राजस्व अमले ने संबंधितों को दिए हैं। इसके विपरीत संबंधितों द्वारा अब अवैध निर्माण को और बढ़ाया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के प्रभारी यंत्री यादवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि रिपोर्ट तैयार करते समय हमारी भी सहमति ली जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट में विश्वविद्यालय दल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। अभी हम लोगों को रिपोर्ट मिली भी नहीं है। रिपोर्ट प्राप्त करने आवेदन कर चुके हैं। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता लगातार राजस्व अधिकारियों से सम्पर्क कर रहे हैं।
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