रीवा। मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर प्रबंधन की मनमानी अब खुलकर सामने आ गई है। कर्मचारी जिस शपथ पत्र को लेकर डर रहे थे। वह हकीकत में बदला जा रहा है। चिडिय़ाघर में काम करने वाले एक श्रमिक से शपथ पत्र लेने के बाद भी बाहर कर दिया गया। प्रबंधन ने कर्मचारी से कहा कि मीडिया में बयान दिए हो तो पश्चाताप करो। फिर देखते हैं। इस कार्रवाई से अब दूसरे श्रमिक डरे हुए हैं। ज्ञात हो कि मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर के कर्मचारियों के साथ शपथ पत्र की अनिवार्यता रखी गई है। शपथ पत्र देने के बाद ही श्रमिकों को चिडिय़ाघर में इंट्री दी जा रही है। बिना शपथ पत्र वालों का प्रवेश ही प्रतिबंधित कर दिया है। शपथ पत्र के विरोध में सभी श्रमिक एक जुट हो गई है। किसी ने भी शपथ पत्र नहीं दिया। वन विभाग और चिडिय़ाघर प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ लामबंद होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक सप्ताह तक विरोध करने के बाद भी हालांकि श्रमिकों को किसी तरह का आश्वासन नहीं मिला। हद तो यह है कि चिडिय़ाघर में ड्राइवर का काम करने वाले नीरज मिश्रा ने शपथ पत्र प्रबंधन को उपलब्ध कराया। इसके बाद भी उसे नौकरी पर नहीं रखा गया। नीरज ने शपथ पत्र का विरोध जताया था। बाद में शपथ पत्र देकर वापसी की कोशिश की लेकिन प्रबंधन ने उसे बाहर कर दिया। कर्मचारियों ने बताया कि नीरज मिश्रा को यह कहते हुए बाहर कर दिया गया कि अभी उसके लिए कोई काम नहीं है। ऐसे में कर्मचारी जिस बात को लेकर डरे हुए थे, वही हथकंडा अपना कर प्रबंधन तानाशाही पर उतारू हो गया है।
कांग्रेस की शरण में जाएंगे
श्रमिकों ने सत्ता पक्ष के विधायकों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने मदद नहीं की। अब श्रमिकों ने फैसला किया है कि वह विपक्ष में बैठे नेताओं से मदद मांगेंगे। कांग्रेस के पूर्व सीएम कमलनाथ, विधायक जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल से मुलाकात करेंगे। उनसे मदद की गुहार लगाएंगे। नौकरी से बाहर किए गए श्रमिकों ने पूर्व मंत्री और रीवा विधायक से भी गुहार लगाई थी लेकिन उन्होंने भी साथ नहीं दिया। वन विभाग के अधिकारियों के पक्ष में ही बात कहते रहे।
कोर्ट जाने की तैयारी में हैं
अब नौकरी से बाहर निकाले गए श्रमिक भी कोर्ट की शरण में जाएंगे। श्रमिकों ने प्रबंधन के खिलाफ आरपार की लड़ाई लडऩे का मन बना लिया है। यही वजह है कि शपथ पत्र देने से इंकार कर दिया गया है। शपथ पत्र में कुछ बिंदु ऐसे हैं जो श्रमिकों के हित में नहीं है। इसी का विरोध किया जा रहा है।