रीवा। जिम्मेदार अधिकारियों ने लोगो की जिंदगी को खतरे में डाल रखा है, वह लोगो की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा हम नहीं सामने आ रही बड़ी लापरवाहियां कह रही है। लगातार निरीक्षण में प्राइवेट नर्सिंग होमो में कमियां मिल रही है। जिन पर जबलपुर हादसे के बाद अब ध्यान दिया जा रहा है। अभी तक अस्पतालों में मरीज भगवान भरोसे ही थे। जानकारी के मुताबिक अब तक 42 नर्सिंग होमो की जांच की जा चुकी है जिसमें आधा दर्जन नर्सिंग होम ही मानक पर मिले हैं इसके अलावा अन्य नर्सिंग होम मरीजों की जान के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रहे थे। शुक्रवार को भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जिले के 15 नर्सिंग होमो की जांच की जिसमें मात्र 2 में भी फॉयर एनओसी मिली इसके अलावा बाकि नर्सिंग होम बिना फॉयर एनओसी के ही चल रहे थे। सभी को नोटिस स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गई है।
इनमें की गई जांच
बता दें कि शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सागर नर्सिंग होम में निरीक्षण किया जिसमें फॉयर एनओसी सहित उपकरण नहीं मिले, इसी प्रकार संजीवनी हास्पिटल, अनुपम नर्सिंग होम, चिल्डे्रन मेडिकल सेंटर, सिटी मेडिकल सेंटर, चहक चिल्डे्रन हास्पिटल, अष्टभुजा हास्पिटल नईगढ़ी, सत्यम हास्पिटल नईगढ़ी, अंकुर हास्पिटल त्योंथर, हर्ष हास्पिटल चाकघाट, प्रतीक हास्पिटल चाकघाट, सुमित हास्पिटल चाकघाट च अमर ज्योति हास्पिटल में एनओसी नहीं मिली और न ही यहां फॉयर उपकरण थे। बता दें कि शुक्रवार को नीता नर्सिंग होम व गुरुकृपा नर्सिंग होम में ही फॉयर एनओसी व उपकरण मिले हैं।
नोटिस की औपचारिकता
हालांकि जांच को लेकर कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन नोटिस की औपचारिकता तक ही सीमित रहेगा, क्योंकि पूर्व में भी हादसो के बाद जांच हुई लेकिन नोटिस देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लोगो की जान से खुला खिलवाड़ किया जा रहा है। बड़ा उदाहरण हाल ही में अग्रवाल नर्सिंग होम का लाइसेंस निरस्त किया गया इसके बाद भी वह चलता रहा, राजनैतिक संरक्षण में कुछ दिन बाद उसका लाइसेंस भी बहाल कर दिया गया और अब निरीक्षण में फिर कमियां मिली। बड़ा सवाल यह है कि लगातार जब गल्तियां मिल रही तो प्रशासन क्यों मौके संचालक को दे रहा है। हालांकि कहा जाता है कि संचालक की राजनैतिक पकड़ अधिकारियों के पसीने छुटा रही है।
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शहर में ननि की लापरवाही
जानकारी के मुताबिक शहरी क्षेत्र में मिल रहे बिना फॉयर एनओसी के नर्सिंग होमो में ननि अधिकारियों की बड़ी लापरवाही है, न ही अधिकारी निर्माण स्वीकृति की जांच करते हैं और न ही फॉयर एओसी, कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र तक अधिकारियों द्वारा बिना जांच के दिया जाता है। वहीं स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन भी लापरवाह है क्योंकि नवीन नर्सिंग होम नियम का पालन किसी प्राइवेट अस्पताल में नहीं किया जा रहा है लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्यवाही इन पर नहीं होती है। शासन से आए आदेश भी रद्दी टोकरी में डले हुए हैं।
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वर्जन
15 नर्सिंग होमो की जांच की गई, जिसमें मात्र दो में फॉयर एनओसी मिली है, इसके अलावा सभी मानक के विपरीत संचालित हो रहे थे, सभी को नोटिस जारी किया गया है।
डॉ.एनएन मिश्रा, सीएमएचओ रीवा।
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