रीवा। नगर निगम में भाजपा शासन काल में मनमानी करने की प्रथा कांग्रेस का महापौर बनने के बाद भी जारी है, मौका देख भाजपाई अपनी मनमानी व अपना दबदबा दिखाने नियम विरूद्ध काम करने ही लगते हैं, ऐसा हम नहीं आम जन कह रहे हैं। यह चर्चाएं निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय की बैठक को लेकर हैं, इस बैठक को जानकर निगम विरूद्ध बता रहे हैं और कहा जा रहा है कि उनके द्वारा अधिकारी-कर्मचारियों की बैठक लेकर समय खराब किया गया है। मामले की जानकारी जैसे ही निगम महापौर अजय मिश्रा बाबा को हुई तो उनके द्वारा भी अधिकारी-कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है। अजय मिश्रा बाबा ने निगम कमिश्रर को पत्र लिखकर निगम अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल न होने के स्पष्ट निर्देश भी दिये हैं। महापौर ने निगम के अधिनियम का हवाला भी दिया है, जिसमें निगम अध्यक्ष को प्रदत्त शक्तियों का उल्लेख है। बता दें कि सोमवार को निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पाण्डेय ने निगम अधिकारियों की समीक्षा बैठक बुलाई थी। निगम अध्यक्ष द्वारा अधिकारियों की बुलाई गई बैठक को महापौर ने नियम विरूद्ध बताया था। कहा कि महापौर की अनुमति लिए बगैर निगम अध्यक्ष अधिकारियों की बैठक नहीं ले सकते। इसके लिए महापौर की अनुमति लेना आवश्यक है। महापौर अजय मिश्रा बाबा ने निगम कमिश्रर को लिखे गए पत्र में न केवल नगर निगम अधिनियम में उल्लेखित निगम अध्यक्ष की शक्तियों का उल्लेख किया है, यहां तक कि अधिकारियों को भी निर्देशित किया है कि वह निगम अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होकर अपना समय व्यर्थ न करें।
मंगलवार को महापौर द्वारा लिखे गए पत्र की दिन भर शहर में चर्चा बनी रही। माना जा रहा है कि शहर में विकास कार्यों को छोड़ महापौर और निगम अध्यक्ष में अपने-अपने पॉवर को लेकर भिड़ गए हैं। महापौर का कहना है कि सोमवार को निगम अधिकारियों की बैठक निगम अध्यक्ष ने ली थी जिसमें जोन क्रमांक-1 के अधिकारी, कर्मचारी एवं अन्य उपस्थित रहे, यह उचित नहीं है। वहीं निगम अधिकारियों को निर्देशित करना, बैठक में अधिकारियों, कर्मचारियों को उपस्थित रहने का निर्देश देना तथा विधि-विरूद्ध एवं अधिकारविहीन निर्देश देना उचित नहीं है। महापौर ने निगम अध्यक्ष के अधिकार भी बताये। कहा कि निगम अध्यक्ष के अधिकार एवं कर्तव्य का उल्लेख म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 एवं मध्यप्रदेश नगरपालिका (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया) नियम, 2005 (म.प्र. नगरपालिका (मेयर-इन-काउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियों एवं कर्तव्य) नियम, 1998 में वर्णित है), जिसमेंं म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 18-क. (1) में उल्लेख है कि इस अधिनियम के अध्यधीन रहते हुए, अध्यक्ष की निम्नलिखित शक्तियां तथा कृत्य होंगे –
1- निगम के सम्मिलन की अध्यक्षता करना तथा सम्मिलन की तारीख से सात दिन के भीतर आयुक्त को कार्यवाही की प्रतिलिपि भेजना
2- महापौर की सहमति से निगम के सम्मिलन की तारीख नियत करना तथा उसकी सूचना, उस कामकाज की सूची (एजेण्डा) के साथ जो कि महापौर द्वारा अनुमोदित की गई है, महापौर को भिजवाने की व्यवस्था करना
3- अपने कार्यालय के अधिकारियों तथा सेवकों जिसमें निगम का सचिव भी सम्मिलित है, पर प्रशासकीय नियंत्रण रखना।
4- अध्यक्ष को नगरपालिक निगम के सम्मिलन में लिए गए विनिश्चयों पर आयुक्त से निष्पादन रिपोर्ट मंगवाने की शक्ति होगी तथा वह ऐसे मामलों को जहां निष्पादन तीन माह से परे लम्बित रहा हो, निगम के आगामी सम्मिलन के कामकाज की सूची (एजेण्डा) में सम्मिलित करने के लिए कदम उठा सकेगा।
धारा 29. सम्मिलनों को संयोजित करना – (1)निगम का सम्मिलन या तो साधारण होगा या विशेष।
धारा 18 तथा 23-क में निर्दिष्ट सम्मिलन के सिवाय प्रत्येक सम्मिलन की तारीख अध्यक्ष द्वारा महापौर की सहमति से या उसके कार्य कर सकने में असमर्थ होने की दशा में, महापौर द्वारा नियत की जाएगी:,
धारा 4 विशेष सम्मिलन बुलाने की अध्यक्ष तथा महापौर की शक्ति – अध्यक्ष या उसके कार्य कर सकने में असमर्थ होने की दशा में, महापौर, जब कभी वह उचित समझे, विशेष सम्मिलन बुला सकेगा और निर्वाचित पार्षदों की संख्या के कम-से-कम एक तिहाई द्वारा हस्ताक्षरित लिखित अध्यपेक्षा प्राप्त होने से दो सप्ताह के भीतर ऐसा करने के लिए बाध्य होगा:
धारा 4 सलाहकार समितियां- (1)धारा 18 के अधीन निगम के प्रथम सम्मिलन के पश्चात् अध्यक्ष (स्पीकर) निगम के प्रत्येक विभाग के लिए धारा 37 के अधीन मेयर-इन-काउंसिल के सदस्य के रूप में सम्मिलित पार्षदों से भिन्न निर्वाचित पार्षदों में से एक सलाहकार समिति संबंधित विभाग के कार्यकलाप में सलाह देने के लिए गठित करेगा।
उपरोक्त प्रावधानों से स्पष्ट है कि अध्यक्ष (स्पीकर) का उनके कार्यालय के अधिकारियों तथा सेवकों जिसमें निगम का सचिव भी सम्मिलित है, पर प्रशासकीय नियंत्रण रहेगा। इसके अतिरिक्त नगर निगम के किसी अधिकारी/कर्मचारी पर उनका प्रशासकीय नियंत्रण नहीं है। महापौर अजय मिश्रा ने कहा कि नगर पालिक निगम रीवा में म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956, म.प्र. नगरपालिका (मेयर-इन-काउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियो एवं कर्तव्य) नियम, 1998 एवं म.प्र. नगरपालिका (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया) नियम 2005 के प्रावधानों के अनुसार समस्त पदाधिकारी, अधिकारी एवं कर्मचारी अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन करें एवं अनावश्यक रूप से असमंजस की स्थिति उत्पन्न न होने दें। साथ ही निगम अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक में अधिकारियों को शामिल न होने के सख्त निर्देश दिये हैं।
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