रीवा। आफ्रीकन स्वाइन फीवर से रीवा के सुअर वार्डों में दम तोड़ रहे हैं। लाशें जगह जगह मिल रही है। लोगों में दहशत फैल रही है। वहीं दूसरी तरफ सुअर पालक इन्हें बचाने में लगे हैं। पशु चिकित्सकों की टीम बुधवार को वार्ड 14 में सुअर पालकों के यहां पहुंची तो वहां बाड़े खाली थे। सब ने सुअरों को भगा दिया था। सिर्फ तीन ही हाथ लगे। जिन्हें मौत का इंजेक्शन दिया गया। ज्ञात हो कि रीवा में सुअरों की लगातार मौत हो रही है। सुअर जगह जगह चलते फिरते मर रहे हैं। सैकड़ों सुअरों की हर दिन जान जा रही है। मऊगंज से इसकी शुरुआत हुई थी। इसके बाद रीवा के कई वार्डों में सुअरों के मौत ने हड़कंप मचा दिया था। पशु चिकित्सा विभाग ने इन मृत सुअरों का सेम्पल जांच के लिए भोपाल भेजा था। जांच रिपोर्ट ने सब को चौंका दिया था। रिपोर्ट में अफ्रीकन स्वाइन फीवर होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद प्रशासन एलर्ट मोड पर आ गया था। जिन जगहों के सेम्पल पॉजिटिव आए थे। उन क्षेत्रों को रेड जोन में डाल दिया गया था। इसके बाद इस क्षेत्र से 1 किमी के दायरे में आने वाले सभी सुअरों को मारने का निर्णय लिया गया था। हालांकि इसमें तेजी नहंी आ पा रही है। सुअर पालक प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग का साथ नहीं दे रहे हैं। मंगलवार को वार्ड 15 में 12 सुअरों की मौत का इंजेक्शन दिया गया। इसके बाद उम्मीद थी कि बुधवार को चारों वार्डों के संक्रमित सुअरों को जान से मार दिया जाएगा। हालांकि ऐसा संभव नहीं हो पाया। सुअर पालकों ने टीम के आने के पहले ही उन्हें भगा दिया। पशु चिकित्सकों के हाथ सुअर नहीं आए। सिर्फ तीन को पकड़ कर इंजेक्शन लगाया गया। बुधवार को मिशन फेल हो गया। हालांकि गुरुवार के लिए सभी पालकों को निर्देश दिया गया है कि सुअरों को बाड़े में ही रखें।
वार्ड 14 में चलाया जाना था अभियान
पशु चिकित्सा विभाग को चार वार्डों के सभी सुअरों को मौत का इंजेक्शन लगाना है। इन सुअरों को मारने का अभियान पिछले दो दिनों से चलाया जा रहा है लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं। पशु पालक सहयोग नहीं कर रहे हैं। वार्ड 14 में बुधवार को पशु चिकित्सकों की टीम पहुंची तो वहां सिर्फ तीन ही सुअर पकड़ में आए। शेष सभी पालकों के बाड़े खाली थे।
इधर उधर मरे मिल रहे सुअर
अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने दहशत फैला दी है। शहर में जगह जगह सुअर मररहे हैं। सुअरों की मौत से लोग डर रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो वार्डों में जिंदा सुअर भी डराने लगे हैं। यही वजह है कि लगातार इन्हें हटाए जाने की शिकायतें नगर निगम के पास पहुंच रही हैं। बुधवार को वार्ड क्रमांक 44 और वार्ड क्रमांक 7 में भी सुअर के मारे जाने की सूचा दी गई। वार्ड 44 में कई सुअर के बच्चों के मरने की सूचना दी गई।
नगर निगम की टीम का नहीं मिला सहयोग
पशु चिकित्सा विभाग के अभियान को नगर निगम का भी सहयोग पूरा नहीं मिल रहा है। बुधवार को अभियान में नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी नहीं पहुंचे। इसके कारण भी मिशन फेल हो गया। जिस तेजी से सुअरों की मौत और प्रभाव बढ़ रहा है। इससे हड़कंप मच रहा है। अब गुरुवार को नगर निगम की टीम से पशु चिकित्सका विभाग ने सहयोग मांगा है।
सुअर पालकों को मुआवजा भी दे रहे हैं
जिन पालकों के सुअरों को बीमारी के कारण मारा जा रहा है। उन पालकों को मुआवजा भी दिया जा रहा है। मुआवजा राशि अधिकतम 14 हजार रुपए तक निर्धारित है। यह राशि सुअर के वजन के हिसाब से दिया जाता है। 1 क्विंटल वजनी सुअर का मुआवजा अधिकतम 14 हजार रुपए तक बनता है। इन सुअरों को प्रति किलो करीब सवा सौ रुपए का मुआवजा दिया जाना निर्धारित है।
वर्सन….
वार्ड 14 में टीम गई थी। सिर्फ तीन सुअरों को इंजेक्शन दी गई। शेष सुअर मिले ही नहीं। पालकों ने उन्हें छोड़ दिया था। उन्हें बाड़े में रखने के लिए समझाइश दी गई है।
डॉ राजेश मिश्रा
संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं रीवा