रीवा। शासन के नियम एसजीएमएच में चार महीने तक दम तोड़ता रहा। एक गरीब मनमानी का शिकार हुआ। न्याय की गुहार लगाई तब प्रबंधन एक्टिव हुआ और नए नियम याद आए। जिला अस्पताल से ब्लड लेने एसजीएमएच आए मरीज से प्रोसेसिंग फीस के 1 हजार 50 रुपए वसूल लिए गए। फ्री सेवा को पेड में बदल दिया गया। इस वसूली के खिलाफ मरीज ने आवाज उठाई तो अब प्रबंधन हरकत में आया। सोमवार को इसे अब लागू किया जाएगा। सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों को नि:शुल्क ब्लड दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि राज्य रक्ताधान परिषद संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने 10 मई 2022 को एक आदेश जारी कर होल ब्लड और ब्लड कम्पोनेंट्स प्रोसेसिंग फीस के नए दिशा निर्देश जारी कर दिए। इसे सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल सिविल अस्पताल में लागू करने के निर्देश दिए गए। यह नियम जिला अस्पताल और संजय गांधी अस्पताल ने लागू तो किया लेकिन अधूरा ही रहा। संजय गांधी अस्पताल में भर्ती मरीजों को ब्लड बिना प्रोसेसिंग फीस लिए दिया जाता रहा लेकिन जिला अस्पताल से आने वाले मरीजों से फीस की अवैध वसूली जारी रही। यह अवैध वसूली शनिवार तक की गई। आदेश को चार महीने हो गए लेकिन इसे संजय गांधी अस्पताल में लागू नहीं किया गया। इस लापरवाही और मनमानी का शिकार एक गरीब हुआ। जिला अस्पताल में भर्ती एक गरीब को ब्लड की जरूरत थी। उसे संजय गांधी अस्पताल भेजा गया। यहां मरीज के परिजन से प्रोसेसिंग फीस वसूल ली गई। जबकि यह नि:शुल्क काम होना था। मरीज के साथ की गई वसूली की आवाज प्रबंधन तक पहुंची तब जाकर वह हरकत में आया। प्रभारी ब्लड बैंक ने अब फाइल आगे बढ़ाई है। सोमवार से संजय गांधी अस्पताल में चार महीने पुराना नियम लागू किया जाएगा। वहीं गरीब से वसूले गए प्रोसेसिंग शुल्क को भी वापस किया जाएगा।
नया नियम हुआ था लागू
10 मई को आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं ने आदेश जारी कर कहा था कि सभी शासकीय अस्पतालों में भर्ती होरक उपचार प्राप्त करने वाले सभी मरीजों को रक्ताधान की जरूरत होने पर उन्हें सभी शासकीय ब्लड सेंटरों से नि:शुल्क रक्त एवं कम्पोनेंट दिया जाना अनिवार्य होगा। सभी गर्भवती महिलाओं, गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों एवं हिमोग्लोबिनोपेथरी से प्रभावित मरीजों, ट्रामा व एक्सीडेंट के मामले में रक्ताधान की जरूरत होने पर नि:शुल्क एवं रिप्लेसमेंट फ्री रक्त एवं कम्पोनेंट दिया जाएगा। इस निर्देश और नए नियम को एसजीएमएच में लागू ही नहीं किया गया था।
चार महीने से वसूल रहे थे शुल्क
मई महीने में ही इस आदेश को लागू कर दिया गया था। इसे आदेश के बाद से ही अपनाना था। हालांकि एजसीएमएच स्वशासी संस्था का हवाला देकर बचता रहा। यही वजह है कि जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को पिछले चार महीने से ब्लड प्रोसेसिंग फीस के नाम से ठगा जा रहा था। कई मरीज और उनके परिजन एसजीएमएच ब्लड बैंक पहुंचे। इन सभी से प्रोसेसिंग फीस वसूली गई।
सिर्फ इनसे ले सकते हैं शुल्क
नए नियम के तहत जिलों में शासकीय अस्पताल के प्रायवेट वार्ड, निजी चिकित्सालयों, नर्सिंग होम्स में भर्ती होकर उपचार कराने वाले मरीजों से ही होल ब्लड एवं कम्पोनेंट्स की आवश्यकता होने पर ही शासकीय अस्पतालों में प्रोसेसिंग फीस लिया जा सकता है। हालांकि इस नियम में जिला अस्पताल को भी एसजीएमच शामिल करके रखा हुआ था।
इस तरह शिकार हुआ मरीज
जिला अस्पताल में मरीज का उपचार चल रहा है। उसके परिजन को खून के लिए संजय गांधी अस्पताल के ब्लड बैंक भेजा गया। एसजीएमच में ए पॉजिटिव ग्रुप का होल ब्लड देने के पहले 1 हजार 50 रुपए का रसीद कटवाया गया। इसके बाद ही खून दिया गया। जबकि मरीज के परिजन ने नियमों का हवाला भी दिया। ब्लड लेने के बाद रुपए वापस किए जाने की बात भी की लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई। हालांकि प्रबंधन की आंखे जरूर खुल गईं। नियमों का पाठ पढऩे के बाद अब प्रबंधन इसे सोमवार से लागू करने जा रहा है।
वर्सन…
पहले का आदेश था कि जो अस्पताल में भर्ती हैं उन्हें नि:शुल्क ब्लड देना है। बाहर के अस्पताल में भर्ती मरीजों का शुल्क लगता था। अभी कुछ दिन पहले नया आदेश आया है कि सरकारी अस्पताल में जो भी भर्ती मरीज हैंं उसका शुल्क नहीं लगेगा। अभी यहां नया नियम लागू नहीं हो पाया है। सोमवार को लागू कर दिया जाएगा। आटोनोमस होने के कारण सस्पेंस था। मरीज के रुपए भी लौटा दिए जाएंगे।
डॉ लोकेश त्रिपाठी
प्रभारी ब्लड बैंक, एसजीएमएच रीवा
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