रीवा। जिला अस्पताल ने जिले के मरीजों के लिए एक बड़ी सौगात दी है। यहां जल्द ही मैमोग्राफी मशीन इंस्टॉल की जा रही है। इसके लिए शासन स्तर से स्वीकृति मिल गई है व अस्पताल प्रबंधन से इस मशीन को इंस्टॉल करने व उससे संबंधित जानकारी तलब की गई है। जल्द ही यह सौगात जिला अस्पताल को मिलेगी और रीवा सहित आस-पास के जिलों को इस मशीन से होने वाली जांच सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। फिलहाल यह सुविधा जिले के किसी सरकारी अस्पताल में नहीं है। मेडिकल कॉलेज में भी इस सुविधा के न होने से मरीजों को भटकना पड़ता है। बताया गया कि एक मात्र शहरी क्षेत्र के प्राइवेट जांच केन्द्र में यह सुविधा है, लेकिन वह भी बीते कई दिनों से मशीन खराब होने से बंद पड़ी है। जिला अस्पताल में मशीन आने के बाद इस जांच सुविधा के लिए जिले के मरीजों को नहीं भटकना पड़ेगा।
———
मशीन से होंगी ये जांचे
जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की मानें तो मैमोग्राफी से प्रमुख रूप से स्तन कैंसर की जांच की जाती है। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण टेस्ट है जिसमें नियमित चिकित्सकीय जांचों और स्तन की स्वयं जांच के साथ स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिलती है। इस टेस्ट में डॉक्टर स्तन का एक्स रे करता है।
———–
मेडिकल कॉलेज से भी गया प्रस्ताव
हाल ही में शासन स्तर से सभी मेडिकल कॉलेजों में इस मशीन को इंस्टॉल करने के लिए आदेश किए गए हैं। मेडिकल कॉलेज रीवा को पहले चरण में शामिल किया गया है। हालांकि पूर्व में भी प्रस्ताव इस मशीन से संबंधित भेजा गया है, लेकिन अब तक मशीन नहीं दी गई। एसजीएमएच में सोनोग्राफी ही फिलहाल की जाती है। हैरानी इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि मेडिकल कॉलेज से पहले इस मशीन को जिला अस्पताल को कैसे दे दिया गया। हालांकि जानकारों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज से केवल प्रस्ताव की औपचारिकता अब तक की गई, लेकिन जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. केपी गुप्ता लगातार इसकी मांग को लेकर अपना पक्ष रख रहे थे। जिससे इस मशीन के लिए पहले जिला अस्पताल को प्राथमिकता दी गई।
————
प्राइवेट में होता है ज्यादा खर्च
इस मशीन से जांच के लिए प्राइवेट अस्पतालों में ढाई से तीन हजार रुपए तक खर्च मरीज को करना पड़ता है। जिला अस्पताल में यह सुविधा शुुरु होने के बाद मरीज को काफी कम खर्च या फिर नि:शुल्क यह सुविधा मिल सकती है। हालांकि अभी इस पर कोई विचार नहीं किया गया है। मशीन इंस्टॉल होने के बाद आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी। बता दें कि महिलाओं के उपचार को लेकर जिला अस्पताल के कार्यों की सराहना प्रदेश स्तर पर हो रही है, इसी को लेकर यह सौगात जिला अस्पताल को मिली है ऐसा कहा जा रहा है। प्राइवेट में जांच बंद होने से फिलहाल लोग महानगरों की ओर जांच कराने के लिए जा रहे हैं।
————-
खतरनाक स्टेज में होती है जानकारी
चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर जब कैंसर की गांठें बनना शुरू होती हैं तो इसकी जांच महिलाएं नहीं करवातीं। खासकर ग्रामीण महिलाएं कैंसर की शुरूआत में जांच नहीं करवातीं। कैंसर की गांठें बनना शुरू होती हैं तो वह उसे नॉर्मल बीमारी समझकर जांच नहीं करवातीं। मगर जब यह तीसरे स्टेज से आगे बढ़ जाता है और इसमें दर्द होना शुरू होता है तो ही वह जांच के लिए आती हैं। सरकारी सुविधा नहीं होने व बाहर जाने के डर से और समस्या होती है, लेकिन सुविधा शुरु होने के बाद इस गंभीर बीमारी को मात दी जा सकेगी।
————-
बच्चों को दूध न पिलाना या अन्य कारण
बदलती जीवन-शैली ने स्तन कैंसर का खतरा और बढ़ा दिया है। आमतौर पर स्तन कैंसर 30 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को होता था, लेकिन खराब जीवन-शैली के चलते यह उम्र घटकर लगभग 25 से 30 साल तक हो गई है। देर से मां बनना, बच्चे को कम समय तक दूध पिलाना और माहवारी का कम उम्र में ही शुरू होना स्तन कैंसर के कुछ प्रमुख कारण हैं।
————-
वर्जन
शासन स्तर से मैमोग्राफी मशीन के संबंध में जानकारी ली गई है। जिला अस्पताल को मशीन देने की बात कही गई है। मशीन आने से जिले भर के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। कई दफा इसकी मांग की गई।
डॉ. केपी गुप्ता, सिविल सर्जन जिला अस्पताल
———
स्तर कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी मशीन का प्रस्ताव भेजा गया है, कई दफा मांग की गई है। फिलहाल सोनोग्राफी ही की जा रही है। मशीन जल्द ही मिलने की संभावना है।
डॉ. राहुल मिश्रा, विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी एसजीएमएच
००००००००००००००००००००